Red data book kya hai | रेड डाटा बुक किसे कहते हैं?

पारिस्थितिक तंत्र में मानव के साथ-साथ सूक्ष्म जीवों, जीव-जन्तुओ एवं पेड़-पौधों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पृथ्वी पर जीवन के संतुलन के लिए सभी जीवों एवं पेड़-पौधों की उपस्थिति आवश्यक होती है ऐसे में जीवन संतुलन हेतु जीवों एवं पादपों का संरक्षण आवश्यक होता है। पारिस्थितिक तंत्र के विभिन जीवों एवं पादपों के संरक्षण के लिए रेड डाटा बुक एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसे की वर्तमान में संकटग्रस्त प्रजातियों की पहचान एवं संरक्षण के लिए प्रमुख रूप से प्रयोग किया जाता है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपको रेड डाटा बुक (Red data book) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की जाएँगी।

यह भी पढ़े :- जानवरों के जीवनकाल की सूची

व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp
Red data book kya hai
रेड डाटा बुक

इस आर्टिकल के माध्यम से आपको रेड डाटा बुक क्या है ? (What is Red Data Book?), इसका उद्देश्य, कार्य एवं लाभ क्या-क्या है सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ साझा की जाएँगी। Red data book kya hai सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के अतिरिक्त इस आर्टिकल के माध्यम से आप रेड डाटा बुक (Red data book in Hindi) से जुड़े अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

प्रतियोगी परीक्षाओ के लिए भी रेड डाटा बुक (Red data book) एक महत्वपूर्ण टॉपिक है ऐसे में प्रतियोगी परीक्षाओ में इससे सम्बंधित प्रश्न अपेक्षित होते है।

रेड डाटा बुक किसे कहते हैं?

रेड डाटा बुक (Red data book) एक सार्वजनिक दस्तावेज है जिसके तहत विश्व के सभी भागो के जीव-जन्तुओ, सूक्ष्म जीवों, पादपों एवं पेड़-पौधों तथा स्थानीय उप-प्रजातियों की दुर्लभ एवं संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची सम्बंधित जानकारी संरक्षित की जाती है। सरल शब्दो में कहा जाए तो रेड डाटा बुक वह किताब है जिसमे दुनिया के जितने भी दुर्लभ एवं संकटग्रस्त प्रजातियां हैं उनका रिकॉर्ड रखा जाता है। जैसे की इसके नाम रेड डाटा बुक यानी लाल सूची (लाल रंग खतरे का निशान होता है) से ही इंगित होता है की इसमें संकटग्रस्त एवं खतरे में पड़ी प्रजातियों (पौधों एवं पादपों) का रिकॉर्ड रहता है।

व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp

red data book kya hai

वैश्विक स्तर पर रेड डाटा बुक को सर्वप्रथम बार अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) (International Union for Conservation of Nature (IUCN) द्वारा वर्ष 1964 में प्रकाशित किया गया था। आईयूसीएन की स्थापना वर्ष 1948 में की गयी थी जो की पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी वैश्विक संस्था है।

रेड डाटा बुक (Red data book) का क्या उद्देश्य है ?

वैश्विक स्तर पर दुर्लभ प्रजातियों एवं संकटग्रस्त प्रजातियों जिनका अस्तित्व खतरे में है या जो विलुप्त होने की कगार पर है सम्बंधित डाटा के लिए रेड डाटा बुक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। रेड डाटा बुक के माध्यम से विश्व की सभी संकटग्रस्त एवं खतरे में पड़ी प्रजातियों का डाटा एकत्र किया जाता है जिससे दुनिया का ध्यान इन प्रजातियों के संरक्षण की ओर आकर्षित किया जा सके। रेड डाटा बुक के माध्यम से संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची के आधार पर ही विभिन्न देशो द्वारा इन प्रजातियों के संरक्षण के लिए विभिन कदम उठाये जाते है। साथ ही यह बुक वैश्विक स्तर पर जीवों एवं पादपों के महत्व के प्रति जागरूकता का कार्य भी करती है।

यह भी पढ़े :- पालतू जानवर के नाम (Domestic Animal Names)

रेड डाटा बुक का वर्गीकरण | Classification of Red Data Book

रेड डाटा बुक के अंतर्गत जीवों को विभिन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इस पुस्तक में जीवों एवं पादपों के डाटा को लुप्तप्राय, संकटग्रस्त, गंभीर संकटग्रस्त, न्यून जोखिम, विलुप्त, सुभेद्य, मूल्यांकन नहीं एवं डाटा की कमी के आधार पर वर्गीकृत नहीं, में विभाजित किया गया है। इसका अर्थ है की रेड डाटा बुक में विभिन रंग जीवो एवं पादपों की भिन्न-भिन्न स्थिति को प्रदर्शित करते है। यहाँ आपको इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी प्रदान की गयी है :-

रंग प्रजाति की स्थिति
काला विलुप्त प्रजाति (वैश्विक स्तर पर)
ऑरेंज संकटग्रस्त प्रजाति
लाल गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजाति
सफ़ेद दुर्लभ प्रजाति
हरा संकट से बाहर प्रजाति (खतरे से बाहर)
स्लेटी दुर्लभ या लुप्तप्राय प्रजातियां जिनका पर्याप्त डाटा उपलब्ध नहीं
अम्बर सुभेद्य प्रजाति (Vulnerable species)
Red data book color code

रेड डाटा बुक के संस्करण | Red Data Book Editions

रेड डाटा बुक द्वारा जीवों एवं पादपों की स्थिति के लिए विभिन संस्करण प्रकाशित किए जाते है। इसके तहत विभिन भौगोलिक क्षेत्रों में रहने वाले जीवों को उनके आवास, भोजन एवं अन्य मानकों के आधार पर विभिन भागो में रखा गया है। रेड डाटा बुक द्वारा वर्तमान तक कुल 5 संस्करण प्रकाशित किए गए है जिनका विवरण इस प्रकार से है :-

  • प्रथम रेड डाटा बुक – रेड डाटा बुक के प्रथम संस्करण के तहत स्तनधारी जीवों को शामिल किया गया है। इसमें वैश्विक स्तर पर सभी दुर्लभ, विलुप्त एवं संकटग्रस्त स्तनधारियों को शामिल किया गया है।
  • दूसरी रेड डाटा बुक– द्वितीय रेड डाटा बुक के अंतर्गत सभी पक्षियों को शामिल किया गया है जिसके अंतर्गत विभिन दुर्लभ, विलुप्त एवं संकटग्रस्त प्रजातियों से सम्बंधित पक्षियों एवं नभचर जीवों का डाटा प्रदान किया गया है।
  • तीसरी रेड डाटा बुकरेड डाटा बुक के तृतीय संस्करण में उभयचर जीवो से सम्बंधित डाटा को साझा किया गया है जिसके अंतर्गत रेगिस्तान में आवास वाले जीवों एवं उभयचरों को शामिल किया गया है। उभयचर ऐसे जीव होते है जो जल एवं स्थल दोनों ही जगह पर वास कर सकते है जैसे मेंढक, सरीसृप एवं मगरमच्छ।
  • चौथी रेड डाटा बुक– चौथी रेड डाटा बुक के अंतर्गत जलीय जीवों को शामिल किया गया है जिसमे विभिन दुर्लभ, विलुप्त एवं संकटग्रस्त जलीय जीवों सम्बंधित डाटा प्रदान किया गया है।
  • पाँचवी रेड डाटा बुक– पाँचवी रेड डाटा बुक के अंतर्गत विभिन पेड़-पौधों एवं पादपों की प्रजातियों को शामिल किया गया है। वैश्विक स्तर पर पादपों की विभिन प्रजातियाँ भी मानवीय हस्तक्षेप के कारण संकट में है ऐसे में रेड डाटा बुक के अंतर्गत संकटग्रस्त पादपों का डाटा भी एकत्रित किया गया है।

भारत की रेड डाटा बुक में स्थिति

भारत सदैव से ही पर्यावरण एवं जीव-जन्तुओ के संरक्षण के क्षेत्र में अग्रणी देश रहा है। वर्तमान में भी भारत सरकार द्वारा देश के दुर्लभ एवं संकटग्रस्त जीवों तथा पेड़-पौधों की प्रजातियों के संरक्षण के लिए विभिन प्रकार के कार्यक्रम संचालित किए जा रहे है। हालाँकि मानवीय कारकों से देश में भी विभिन जन्तुओ एवं पेड़-पौधों की प्रजातियों पर गंभीर संकट मौजूद है। यहाँ आपको रेड डाटा बुक में भारत की विभिन संकटग्रस्त एवं दुर्लभ प्रजातियों के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है :-

  • संकटग्रस्त स्तनधारी
    • कोंडाना रातो
    • कश्मीर हिरन
    • मालाबार सिवेट
  • संकटग्रस्त मत्स्य
    • गंगा नदी शार्क
    • पूकोडे लेक बारबो
    • पांडिचेरी शार्क
  • संकटग्रस्त उभयचर
    • घड़ियाल
    • टॉड स्किनड मेंढक
    • श्वेत धब्बेदार बुश फ्रॉग

इसके अतिरिक्त जंगली उल्‍लू, ग्रेट इंडियन बास्टर्ड, लाल सिर वाला गिद्ध, साइबेरियन क्रेन, हिमालयी बटेर, सोसिएबल लैपविंग, सफेद पेट वाला बगुला, जेरडॉन्‍स करसर, चम्‍मचनुमा चोंच वाली टिटहरी को भी देश में संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में शामिल किया गया है।

क्या है Red data book के लाभ

  • रेड डाटा बुक के माध्यम से वैश्विक स्तर पर विभिन दुर्लभ, संकटग्रस्त एवं लुप्तप्रायः पादप एवं जीवों की प्रजातियों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है जिससे की इन प्रजातियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए प्रयास किए जा सकते है।
  • वैश्विक स्तर पर संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए रेड डाटा बुक महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है।
  • वैश्विक स्तर पर दुर्लभ, लुप्तप्रायः एवं संकटग्रस्त जीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता उत्पन करने एवं संकटग्रस्त प्रजातियों के संरक्षण के लिए विभिन कार्यक्रमों के संचालन में रेड डाटा बुक का महत्वपूर्ण योगदान है।
  • रेड डाटा बुक के माध्यम से ही विभिन देशो के द्वारा सम्बंधित देश में जैव-विविधता के संरक्षण एवं संकटग्रस्त प्रजातियों के संवर्धन के लिए कार्यक्रम निर्धारित किए जाता है।

रेड डाटा बुक वैश्विक स्तर पर संकटग्रस्त जीवों के संवर्धन की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास है। हालांकि कई बार डाटा के सत्यापन में कमी होने, विभिन जीवों के बारे में अपर्याप्त डाटा, माइक्रोब्स के बारे में जानकारी का अभाव तथा अन्य कारणों से रेड डाटा बुक की आलोचना भी की जाती रही है। वैश्विक स्तर पर पादप एवं जंतु संरक्षण की दिशा में रेड डाटा बुक (Red data book) का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

इसपर भी गौर करें :-Scientific Name of Animals with Image in Hindi

रेड डाटा बुक (Red data book) से सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

रेड डाटा बुक (Red data book) क्या है ?

रेड डाटा बुक (Red data book) एक दस्तावेज है जिसके अंतर्गत वैश्विक स्तर पर विभिन दुर्लभ, संकटग्रस्त एवं लुप्तप्राय पादपों एवं जीव-जन्तुओ का डाटा रखा जाता है।

रेड डाटा बुक (Red data book) को किसके द्वारा पब्लिश किया जाता है ?

रेड डाटा बुक (Red data book) को अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) (International Union for Conservation of Nature (IUCN) द्वारा प्रकाशित किया जाता है। आईयूसीएन द्वारा Red data book को सर्वप्रथम बार वर्ष 1964 में प्रकाशित किया गया था।

रेड डाटा बुक में किसे शामिल किया गया है ?

रेड डाटा बुक में दुर्लभ, लुप्तप्रायः एवं संकटग्रस्त जीव-जंतुओं एवं पौधों की प्रजातियों को शामिल किया जाता है।

रेड डाटा बुक के अंतर्गत जीवों एवं पादपों को कुल कितने वर्गों के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है ?

रेड डाटा बुक के अंतर्गत जीवों एवं पादपों को कुल को कुल 8 वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है जो निम्न प्रकार से है :- लुप्तप्राय, संकटग्रस्त, गंभीर संकटग्रस्त, न्यून जोखिम, विलुप्त, सुभेद्य, मूल्यांकन नहीं एवं डाटा की कमी के कारण सूचीबद्ध नहीं प्रजातियाँ।

लाल सूची पुस्तक (Red data book) के अनुसार भारत की स्थिति का वर्णन का वर्णन करें ?

लाल सूची पुस्तक (Red data book) के अनुसार भारत में विभिन जीवों एवं पादपों को संकटग्रस्त प्रजातियों की सूची में रखा गया है। विस्तृत जानकारी के लिए आप ऊपर दिया गया आर्टिकल चेक कर सकते है।

Red data book के अंतर्गत लाल रंग का पृष्ठ क्या प्रदर्शित करता है ?

Red data book के अंतर्गत लाल रंग का पृष्ठ गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों के बारे में संकेत करता है जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर संवर्धन किए जाने की आवश्यकता है।

Leave a Comment