आप सभी यह तो जानते ही हैं की गणित कितना पुराना विषय हैं। इस विषय में हमको बहुत सी चीजें पढ़ने को एवं सीखने को मिलती हैं। गणित में हम सभी को बहुत सी चीजों के बारे में सिखाया जाता हैं। जैसे की अगर हमको किसी बिल्डिंग की हाइट निकालनी हैं तो गणित की मदद से हम किसी भी बिल्डिंग की हाइट आसानी से निकल सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि गणित में ऐसे बहुत से फॉर्मूले हैं जिसकी मदद से कार्य बहुत ही आसान हो जाता हैं। गणित में ऐसे ही बहुत सी चीजों के बारे में पढ़ाया जाता हैं उनमे से एक हैं थियोरम। थियोरम एक प्रकार का सिद्धांत हैं जिसके बारे में गणित में हमको सिखाया जाता हैं। ऐसे ही गणित में एक जरूरी थियोरम हैं जिसका नाम हैं Pythagoras. इसके बारे में हमको 10वी कक्षा में पढ़ाया जाता हैं।
इस थियोरम का नाम Pythagoras इसलिए पढ़ा क्योंकि जिन्होंने इसका अविष्कार किया था उनका नाम पाइथागोरस था तो दोस्तों आज हम आप सभी को पाइथागोरस थियोरम के बारे में बहुत सी जानकारी देने वाले हैं जैसे की – पाइथागोरस का जन्म कब हुआ था,पाइथागोरस का जीवन परिचय आदि जैसी बहुत सी आवश्यक जानकारी के बारे में आज हम इस लेख में पढ़ने वाले हैं। तो दोस्तों अगर आप भी पाइथागोरस के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको हमारे इस लेख को पूर्ण रूप से पढ़ना होगा तब ही आप पाइथागोरस के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकोगे।
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Pythagoras का जीवन परिचय
पाइथागोरस का जन्म 570 BC में पूर्वी एजियन के एक यूनानी द्वीप में हुआ था जिसका नाम सामोस था। इनकी माता का नाम पयिथिअस था। बताया यह जाता है की इनकी माता सामोस द्वीप की निवासी थी। इनके पिता का नाम मनेसार्चस था वह लेबनान स्थित टायर के व्यापारी थे जो की रत्नों का व्यापर करते थे। पाइथागोरस ने अपना अधिकतर जीवन उसी सामोस द्वीप में बिताया था। पाइथागोरस के भाई व बहन भी थे। जैसे जैसे पाइथागोरस बड़े होते गए तब उनके पिता उनको अपने साथ व्यापार यात्रा पर लेके जाने लगे। उनके पिता उनको कई बार व्यापारी यात्रा में टायर लेकर गए थे जहां पर पाइथागोरस ने सीरिया के कुछ विद्वानों से शिक्षा प्राप्त की पाइथागोरस ने इसके चलते इटली का दौरा भी लगाया था।
इसी प्रकार उन्होंने अपने पिता के साथ बहुत सी यात्रायें की परन्तु उसका असर इनकी शिक्षा पर नहीं पढ़ा इनकी शिक्षा ऐसे ही चलती रहीं। केवल यह ही नहीं बल्कि इन्होने उसके साथ साथ होमर के काव्य का भी प्रयास किया और उसके साथ वीणा का भी अध्ययन किया। उसके बाद ये सीरिया भी गए थे सीरिया में इन्होने वहां के बहुत से विद्वानों से भी इन्होने शिक्षा प्राप्त की जैसा की हमने आपको बताया यह अपने पिता के साथ यात्रा करते रहते थे तो यह यात्रा के दौरान शल्डिया नामक स्थान पर भी गए यहाँ पर भी इन्होने इस जगह के विद्वानों को अपना गुरु माना था और इनसे भी शिक्षा प्राप्त की थी।
सयरस के फेरेसायडेस पाइथागोरस, पाइथागोरस के पहले शिक्षक थे और पाइथागोरस ने इनसे फिलोसोफी के बारे में ज्ञान प्राप्तं किया था। जब पाइथागोरस की आयु 18 वर्ष हो चुकी थी उस दौरान इन्होने मिल्ट्स की यात्रा की और फिर मिल्ट्स में इनकी मुलाक़ात थेल्स से हुई। थेल्स गणित व् अंतरिक्ष विज्ञान के ज्ञाता थे इनको इनके बारे में बहुत अधिक ज्ञान प्राप्त था। Pythagoras थेल्स से भी शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे परन्तु उस समय तक थेल्स की काफी अधिक उम्र हो चुकी थी और वह तब तक शिक्षा देने की स्थिति में नहीं थे। लेकिन पाइथागोरस उनसे मिलने के बाद काफी प्रभावित हुए थे। उनसे मिलने के बाद उनको गणित व अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में ज्ञान प्राप्त करने की काफी उत्सुक हुए थे।
थेल्स के एक बहुत ही होनहार और विद्वान शिष्य थे जिनका नाम अनेक्जिमेंडर था। पाइथागोरस की जिज्ञासा गणित और अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति इतनी बढ़ चुकी थी की इन्होने अनेक्जिमेंडर को अपना गुरु बना लिया। फिर इन्होने उनसे शिक्षा प्राप्त करनी आरम्भ की और इन्होने उन विषय के बारे में काफी ध्यान से पढ़ने लगे। क्योंकि अनेक्जिमेंडर काफी विद्वान थे तो उन्होंने भी बहुत से सिद्धांतों की खोज की थी और जब पाइथागोरस भी इसके बारे में ज्ञान प्राप्त कर चुके थे तो पाइथागोरस के द्वारा भी सिद्धानोतो की खोज की गयी और पाइथागोरस और अनेक्जिमेंडर के सिद्धांतो को काफी हद तक समांतर पाया गया। जिन सिद्धांतो की खोज पाइथागोरस और अनेक्जिमेंडर के द्वारा हुई उनको उनके गुरु के सिद्धांतो का विकसित रूप माना गया।
उसके बाद 535 BC में पाइथागोरस इजिप्ट चले गए और इन्होने वहाँ पर जाकर भी वहाँ के मंदिरों के पुजारियों से भी शिक्षा प्राप्त की। इसके बारे में उनको थेल्स ने कहा था। लेकिन इजिप्ट जाने का एक और कारण था वो यह था की पाइथागोरस जहाँ पर रहते थे यनिओ के सामोस में वहां पर एक शाशक था जिसका नाम पोलिक्रेट्स था वह बहुत ही क्रूर था और उसके अत्याचारों के वजह से पाइथागोरस को इजिप्ट जाना पढ़ा था। पाइथागोरस इजिप्ट में करीब 10 सालों तक रहे और उसके बाद इनको डियोस्पोलिस में एडमिशन मिला क्योंकि वहाँ पर प्रवेश करने के लिए कुछ नियम होते हैं और नियमों की पूर्ती करने के बाद ही पाइथागोरस को वहाँ पर प्रवेश दिया गया।
उसके बाद इनको वहाँ के मंदिरों में इनको पुजारी का स्थान भी दिया गया। बताया यह भी जाता हैं की उसके बाद इन्होने हेलिपोलिस के पुजारी ओएनुफिस से भी शिक्षा प्राप्त की थी। माना यह भी जाता हैं की 525 BC में पर्शिया के शासक कैम्बीसस द्वितीय ने इजिप्ट पर हमला किया था और उसके पश्चात उसने पाइथागोरस को बंधी बना लिया था और बेबीलोन ले जाय गया था। लेकिन जब इनको बेबीलोन ले जाया गया तो बेबीलोन के विद्वानों से भी पाइथागोरस काफी अच्छी तरह से घुल मिल चुके थे और उनसे उन्होंने गणित,संगीत,और विज्ञान की शिक्षा प्राप्त की थी। उसके बाद 522 ईसा पूर्व में किसी कारणवश पर्शिया के शाशक कैम्बीसस द्वितीय की मृत्यु हो गयी।
उसकी मृत्यु होने के पश्चात सामोस को भी उसके आतंक से छुटकारा मिल चूका था। उसके बाद जब उसकी मृत्यु हो गयी तब 520 ईसा पूर्व में Pythagoras वापस से अपने जन्मस्थान सामोस में वापस लौट गए थे।
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पाइथागोरस का व्यक्तिगत जीवन
पाइथागोरस की एक पत्नी भी थी जिसका नाम थेनो था। बताया यह भी जाता हैं की थेनो ओर्फिक कल्चर को मानती थी और थेनो क्रोटन की थी और थेनो ने क्रोटन के किसी मठ में पाइथागोरस से शिक्षा भी प्राप्त की थी। थेनो भी एक काफी बुद्धिमान थी और वह एक फिलॉस्फर थी। थनों ने बहुत सी मशहूर किताबों की रचना की थी जिनका नाम था ‘On Virtue’ और ‘Doctrine of Golden Mean’ .पाइथागोरस का एक बेटा भी था जिसका नाम टेलिगास था उनकी तीन बेटियां भी थी जिनका नाम डामो, अरिग्नोत तथा मयिया था। बताया यह भी जाता हैं की पाइथागोरस की कुल सात संतान थी। माना यह भी जाता हैं की पाइथागोरस की दूसरी बेटी यानि के अरिग्नोत भी अपने पिता की तरह ही बहुत बुद्धिमान थी।
उनकी बेटी अरिग्नोत काफी बुद्धिमान थी और उसको भी काफी ज्ञान प्राप्त था और उसन भी कई किताबें लिखी थी जैसे की – The Rites of Dionysus’ और ‘Sacred Discourses’ .उनकी तीसरी बेटी जिसका नाम मयिया था उसका विवाह क्रोटन के एक काफी प्रसिद्ध पहलवान के साथ किया गया था जिसका नाम मिलो था। मिलो भी पाइथागोरस के साथ ही रहता था और उसने किसी दुर्घटना के दौरान उसने पाइथागोरस की जान भी बचायी थी।
Pythagoras की दुनिया को देन
जिस प्रकार से पाइथागोरस मशहूर थे उसी तरह इनके द्वारा दिया गया प्रमेय भी काफी मशहूर हैं जिसका नाम इनके नाम पर ही रखा गया हैं वो है पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras theorem)। पाइथागोरस द्वारा दिया गए इस प्रमेय को काफी प्रसिद्धि मिली हैं जितने की शायद ही किसी और को प्राप्त हुई होगी। इनके द्वारा दिए गए इस प्रमेय को सबसे पहले इजिप्ट के वासियों के द्वारा अमल में लाया गया था। लेकिन इजिप्ट के वासियों के द्वारा इस प्रमेय के सही होने का कोई भी प्रमाण नहीं था। इसलिए ही इस प्रमेय को सही साबित करने वाले पाइथागोरस ही थे इसलिए इस प्रमेय को पाइथागोरस प्रमेय का नाम दिया गया।
Pythagoras Theorem
तो आइये हम आपको यह भी बता दे की क्या हैं और इसमें इस्तेमाल होने वाले सूत्र के बारे में भी बताएँगे। पाइथागोरस थ्योरम और इसका प्रूफ भी बताने वाले हैं तो कृपया इसको पूर्ण रूप से पढ़े
पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras theorem) – इस प्रमेय के अनुसार, समकोण त्रिभुज में, कर्ण भुजा का वर्ग, आधार भुजा और लम्ब भुजा के वर्ग के योग के बराबर होता है। Pythagoras Theorem Pythagoras Theorem in Hindi का उपयोग समकोण त्रिभुज की किसी भी भुजा को ज्ञात करने के लिए किया जाता है जब शेष दो भुजायें दी गई हो।
Pythagoras theorem formula :-
(कर्ण)2 = (आधार)2 + (लम्ब)2
त्रिभुज ABC में, (BC)2 = (AB)2 + (AC)2
Pythagoras theorem proof :-
क्योंकि, त्रिभुज ABC और BDA में, कोण (Angle) B और कोण D, एक समकोण (90 डिग्री) है. यानी यह दोनों त्रिभुज ही समकोण त्रिभुज हैं.
<ABC = <BDA = 90o
<A = <A (दोनों त्रिभुजों में <A common है.)
AA Similarity के नियम के अनुसार, जब दो त्रिभुज एक समान होती हैं, तो उनकी corresponding sides का अनुपात (ratio) भी बराबर होता है.
AD /AB = AB / AC
AB × AB = AD × AC
(AB)2 = AD × AC ——————–(1)
त्रिभुज BDC और ABC में,
CD / BC = BC / AC
BC × BC = CD × AC
(BC)2 = CD × AC ———————(2)
समीकरण (1) और (2) को जोड़ने पर,
(AB)2 + (BC)2 = AD × AC + CD × AC
(AB)2 + (BC)2 = AC (AD + CD)
त्रिभुज से, AD + CD = AC
(AB)2 + (BC)2 = AC × AC
(AB)2 + (BC)2 = (AC)2 , यह समीकरण सिद्ध करती है की कर्ण का वर्ग, लम्ब और आधार के वर्ग के योग के बराबर होता है.
पाइथागोरस की मृत्यु
बताया यह भी जाता हैं की पाइथागोरस कुछ अलग किस्म के इंसान थे। वह सबके सामने सब कुछ बोल देते थे यानि के अगर उनको कोई व्यक्ति असंद नहीं आया तो वह उसको साफ साफ बोल देते थे की तुम अच्छे व्यक्ति नहीं। इस प्रकार के इंसान को मुंहफट भी कहा जा सकता हैं। उनके इसी व्यवहार के कारण पाइथागोरस के बहुत से दुश्मन बन चुके थे। बताया यह भी जाता हैं की इनके दुश्मनों ने एक बार कुछ लोगो को पाइथागोरस के प्रति भड़काया था जिसके कारण उन लोगो ने उस घर में आग लगा दी थी जिसमे की पाइथागोरस रुके हुए थे। परन्तु उस समय उनकी जान को कोई भी हानि नहीं पहुंची थी वह बिलकुल सुरक्षित थे।
उस घटना के पश्चात पाइथागोरस ने उस शहर को छोड़ दिया था और वह वहां से चले गए और फिर वह मेतापोंतम में आ गये थे। फिर 495 ईसा पूर्व में इनकी मृत्यु हो गयी थी। लेकिन आज तक कोई भी इनकी मृत्यु का असली कारण नहीं जान पाया था। कई बार तो यह भी कहा जाता हैं की इनको अग्रिएन्तम और सिराकुसंस समूह के बीच संघर्ष में सिराकुसंस के लोगो के द्वारा पाइथागोरस की हत्या कर दी गयी।
Pythagoras से सम्बंधित कुछ प्रश्न और उनके उत्तर
पाइथागोरस एक बहुत ही महान वैज्ञानिक थे जिन्होंने गणित के मशहूर प्रमेय की खोज की थी जिसका नाम भी इन्ही के नाम पर पढ़ा था उस प्रमेय के नाम पाइथागोरस प्रमेय हैं।
पाइथागोरस का जन्म 570 BC में पूर्वी एजियन के एक यूनानी द्वीप में हुआ था जिसका नाम सामोस था।
पाइथागोरस की कुल 7 संतान थी।
Pythagoras की पत्नी का थेनो था।
इस प्रमेय के अनुसार, समकोण त्रिभुज में, कर्ण भुजा का वर्ग, आधार भुजा और लम्ब भुजा के वर्ग के योग के बराबर होता है। Pythagoras Theorem Pythagoras Theorem का उपयोग समकोण त्रिभुज की किसी भी भुजा को ज्ञात करने के लिए किया जाता है जब शेष दो भुजायें दी गई हो।
तो दोस्तों आज हमने आपको इस लेख के जरिये Pythagoras के जीवन के बारे में बहुत सी जानकारी दी हैं तो अगर आपको भी यह जानकारी पसंद आयी हो तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं और अगर आपको किसी समस्या के हल के बारे में जानना चाहते हैं तो भी आप हमको कमेंट बॉक्स के जरिये पूछ सकते हैं हम जितनी जल्दी हो सकें आपकी समस्या का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।