कौन हैं नीम करोली बाबा, जीवन परिचय | Neem Karoli Baba Biography and Miracles in Hindi

भारतवर्ष सदैव से ही ऋषि-मुनियों, साधु-संतो एवं महापुरुषों की भूमि रही है। पुण्य-भूमि भारत में विभिन समय पर अनेक चमत्कारी पुरुषों ने जन्म लिया है जिन्होंने लाखों मनुष्यों के कष्टों को अपने चमत्कार से दूर किया है। आधुनिक भारत के एक ऐसे ही महान चमत्कारी संत-पुरुष थे कैंची धाम से संस्थापक बाबा नीम करौली (Neem Karoli Baba). देवभूमि उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित कैंची धाम नीब करौरी बाबा (नीम करौली) के चमत्कारों का गवाह रहा है। बाबा नीम करौली के चमत्कारों की चर्चा पूरे विश्व में फैली हुयी है यही कारण है दुनिया के कोने-कोने से बाबा नीम करौली के पावन धाम कैंची धाम के दर्शन के लिए भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी से लेकर एप्पल के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक से संस्थापक मार्क जुकरबर्ग एवं हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स भी नीम करौली बाबा के भक्तो में शामिल है। यहाँ आपको हनुमान के अवतार नीम करोली बाबा का जीवन परिचय (Neem Karoli Baba Biography and Miracles in Hindi) सम्बंधित सभी जानकारियाँ प्रदान की जा रही है।

नीम करोली बाबा का जीवन परिचय
नीम करोली बाबा का जीवन परिचय

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कौन हैं नीम करोली बाबा ?

नीम करोली बाबा भारत में 20वीं सदी के महानतम संतो में शामिल किए जाते है जो भगवान हनुमान के अनन्य भक्त थे। नीम करोली बाबा को लक्ष्मण दास, हांडी वाला बाबा, और तिकोनिया बाबा के नाम से भी जाना जाता है जो की हनुमान जी का साक्षात् अवतार माने जाते है। नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था जिनका जन्म उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव वर्ष 1900 में हुआ था। मात्र 11 वर्ष की अल्पायु में ही नीम करोली बाबा का बाल-विवाह हो गया था हालांकि हनुमान भक्ति में रमे होने के कारण उनका मन गृहस्थ जीवन में नहीं लगता था। यही कारण रहा की वर्ष 1958 में बाबा नीम करौली ने गृह त्याग कर दिया एवं स्वयं को हनुमान जी की भक्ति में पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया।

कहा जाता है की बाबा नीम करौली को 17 वर्ष की आयु में ही हनुमान जी की सिद्धि से ज्ञान की प्राप्ति हो गयी थी। नीम करौली बाबा के चमत्कारों को सुनकर पूरे विश्व से लोग उनकी ओर खींचे चले आते है।

कैसे पड़ा नीम करोली नाम

बाबा नीम करौली को पूर्व में लक्ष्मण दास, हांडी वाला बाबा, और तिकोनिया बाबा के नाम से जाना जाता था। हालांकि बाबा नीम करौली के नामकरण के पीछे भी चमत्कारिक कहानी छुपी हुयी है। कहा जाता है की एक बार ट्रेन में सफर के दौरान बाबा नीम करौली के पास टिकट ना होने पर टिकट चेकर ने उन्हें स्टेशन के पास स्थित नीब करौरी नामक गाँव में उतार दिया था। ट्रेन से उतारे जाने के पश्चात बाबा नीम करौली अपना चिमटा धरती में गाड़कर बैठ गए। कहा जाता है की इसके पश्चात इंजन को स्टार्ट करने के पश्चात भी ट्रेन एक इंच आगे नहीं बढ़ सकी थी। इस घटना के पश्चात जिले के मजिस्ट्रेट जो की बाबा को जानता था, ने रेलवे ऑफिसियल से बाबा नीम कारौली से क्षमा मांगने एवं ट्रेन में बैठाने का आग्रह किया।

इसके पश्चात रेलवे ऑफिसियल द्वारा बाबा नीम करौली से माफ़ी मांगकर उन्हें सम्मानपूर्वक ट्रेन में बैठाया गया एवं इसके बाद ही ट्रेन आगे बढ़ सकी। इस घटना के पश्चात बाबा नीम करौली को इस नाम से जाना जाने लगा।

हनुमान के अवतार माने जाते है बाबा नीम करौली

बाबा नीम करौली को भक्तो के द्वारा हनुमान जी का अवतार माना जाता है। बचपन से ही हनुमान भक्ति में रमे होने के कारण बाबा नीम करौली को हनुमान जी से अत्यंत प्रेम था। हनुमान जी की कृपा से बाबा नीम करौली को असीम चमत्कारी सिद्धियाँ प्राप्त थी। सदैव हनुमान भक्ति में रमे रहने वाले बाबा नीम करौली हमेशा सादगी में रहते थे एवं बिना किसी बाह्य आडम्बर के भक्तो के कष्टों को दूर करते थे। बाबा नीम करौली किसी को भी अपने चरण स्पर्श नहीं करने देते थे एवं भक्तों को हनुमान जी के चरण छूने का आदेश देते थे।

देवभूमि उत्तराखंड में है पवित्र कैंची धाम

हिमालय में भ्रमण के दौरान वर्ष 1961 में बाबा नीम करौली देवभूमि उत्तराखंड में आये एवं अपने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहाँ एक आश्रम स्थापित करने का निर्णय लिया। वर्ष 1964 में बाबा नीम करौली द्वारा उत्तराखंड के नैनीताल जिले में पवित्र कैंची धाम की स्थापना की गयी जो की श्रद्धालुओं के लिए पवित्र आध्यात्मिक केंद्र है। कैंची धाम में प्रतिवर्ष 15 जून को विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमे भाग लेने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु शिरकत करते है। कहा जाता है की बाबा नीम करौली के कैंची धाम के दर्शन मात्र से ही भक्तो की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती है।

चमत्कारों से भरा है कैंची धाम

बाबा नीम करौली द्वारा स्थापित कैंची धाम चमत्कारों से परिपूर्ण है। बाबा नीम करौली से सैकड़ो चमत्कारिक कथाएँ जुड़ी हुयी है जो की भक्तो को बाबा के आश्रम आने पर मजबूर कर देती है। नीम करौली बाबा के चमत्कारों का वर्णन उनके परम भक्त भक्त रामदास (रिचर्ड अल्पार्ट) द्वारा अपनी पुस्तक “मिरेकल ऑफ़ लव” में किया गया है। अपनी पुस्तक में रिचर्ड अल्पार्ट द्वारा ‘बुलेटप्रूफ कंबल’ का उद्धरण दिया गया है जहाँ बाबा नीम करोली द्वारा युद्ध भूमि में अपने भक्त के बच्चो की रक्षा की गयी थी।

अन्य कथानक में कहा गया है की एक बार आश्रम में भंडारे के दौरान घी की कमी पड़ गयी थी। बाबा नीम करौली द्वारा भक्तो को पास की नदी से कनस्तर में जल लाने को कहा गया। कहा जाता है की जब इस जल को प्रसाद बनाने के लिए डाला गया तो यह घी में बदल गया था इसी प्रकार के अन्य सैकड़ों चमत्कार बाबा नीम करौली से जुड़े हुए है। 11 सितंबर 1973 को बाबा नीम करौली का देहवसान हुआ जिनकी समाधि वृन्दावन में है।

फेसबुक, एप्पल के संस्थापक है बाबा नीम करोली के भक्त

बाबा नीम करौली के धाम में भक्तो में देश ही नहीं अपितु विदेशी श्रद्धालुओं का भी अटूट विश्वास है। एप्पल के संस्थापक एवं वर्तमान समय के महान नवोन्मेषक स्टीव जॉब्स भी बाबा नीम करौली के भक्त रहे है। इसके अतिरिक्त फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग एवं हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स भी बाबा नीम करौली के भक्तो में शुमार है।

नीम करोली बाबा का जीवन परिचय सम्बंधित से सम्बंधित प्रश्न

नीम करौली बाबा कौन थे ?

नीम करौली बाबा को भक्तो के द्वारा हनुमान का अवतार माना जाता है जो की देश-विदेश में प्रसिद्ध संत है।

नीम करौली बाबा का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?

नीम करौली बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश में फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव वर्ष 1900 में हुआ था। इनका वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा एवं अन्य नाम लक्ष्मण दास, हांडी वाला बाबा, और तिकोनिया बाबा थे।

कैंची धाम आश्रम कहाँ स्थित है ?

कैंची धाम आश्रम उत्तराखंड राज्य के नैनीताल में स्थित है।

कैंची धाम कब स्थापित किया गया था ?

कैंची धाम आश्रम को वर्ष 1964 में बाबा नीम करौली के द्वारा स्थापित किया गया था। यह धाम हनुमान धाम के रूप में प्रसिद्ध है।

कैंची धाम आश्रम में भंडारे के आयोजन कब किया जाता है ?

कैंची धाम में प्रतिवर्ष 15 जून को विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमे देश-विदेश से श्रद्धालु भाग लेते है।

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