राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस क्यों मनाया जाता है? आइये जाने क्या है इसका इतिहास, महत्व | National Technology day history in hindi

देश को और भी ताकतवर बनाने में टेक्नोलॉजी का बड़ा हाथ रहता है। टेक्नोलॉजी देश के विकास के लिए भी जरुरी है। वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी हमारे दैनिक जीवन में भी आवश्यक हो गयी है। जीवन को आसान बनाने मे टेक्नोलॉजी का बहुत बड़ा हाथ है। टेक्नोलॉजी के कारण ही घंटो का काम घर बैठे मिनटों में हो जाता है। बहुत से काम जैसे टिकट बुकिंग, पेमेंट, शॉपिंग, शिक्षा ग्रहण, व्यापार, इनफार्मेशन निकलना आदि सब काम टेक्नोलॉजी की मदद से आप बेहद आसानी से कर सकते है। हमारा भारत देश भी टेक्नोलॉजी के मामले में किसी अन्य देश से कम नहीं है। आज के इस लेख में हम बात करेंगे राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस क्यों मनाया जाता है? आइये जाने क्या है इसका इतिहास, महत्व | National Technology day history in hindi के बारे में। तो चलिए जानते है राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस क्यों मनाया जाता है?

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस क्यों मनाया जाता है?
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस क्यों मनाया जाता है?

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राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस क्यों मनाया जाता है?

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस को इंग्लिश में National Technology Day कहते है। भारत देश में प्रत्येक वर्ष 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस कार्यक्रम का आयोजन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड(Technology Development Board) द्वारा किया जाता है। यह दिन वैज्ञानिको, शोधकर्ताओं, एवं प्रशिक्षकों के योगदान के लिए उनको सम्मानित करने का दिन होता है टेक्नॉलजी को और भी ऊँचे स्तर पर ले जाने के लिए भारत सरकार द्वारा डिजिटल भारत(Digital India) और मेक इन इंडिया(Make In India) जैसे अभियान चलाये जा रहे है। यह दिवस 1998 में किये गए पोखरण-2 के परमाणु परीक्षण की याद में मनाया जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस दिवस की घोषणा की थी।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस का इतिहास | National Technology day history in hindi

1998 में भारत ने दूसरी बार परमाणु परीक्षण किया था, तबसे प्रत्येक वर्ष 11 मई को टेक्नोलॉजी डे के रूप में मनाया जाने लगा। इस दिन को देश में तकनीकी क्रांति के लिए याद किया जाता है। 11 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण परीक्षण श्रंख्ला मे भारत ने दूसरी बार सफलतापूर्वक परमाणु परीक्षण किया था जिसका नेतृत्व डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने किया था। इस ऑपरेशन को पोखरण -2 कहा गया था। इसी उपलब्धि को याद करने के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस मनाया जाता है। इस परीक्षण के बाद ही भारत भी उन देशो में शामिल हो गया जिनके पास परमाणु शक्ति है। 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे।

इस परीक्षण को भारत के अनुंसधान विभाग ने शक्ति नाम दिया। यह परीक्षण 11 मई और 13 मई को किया गया था और पहला सफल परमाणु परीक्षण बना। इस दिन को पीढ़ियों तक यादगार बनाने के लिए देश के वैज्ञानिको ने बेहद मेहनत की थी, ऐसे ही महान वैज्ञानिको को सम्मान देने के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस मनाये जाने की शुरुआत की गयी। भारत ने अपना पहला परमाणु बम परीक्षण 1974 में किया था, इस परीक्षण का नाम स्माइलिंग बुद्धा रखा गया था। इसी दिन(11 मई 1998) रक्षा अनुसधान और विकास संगठन ने एक मिसाइल का परीक्षण भी किया था जिसका नाम त्रिशूल रखा गया था। जिसके सफल होने के बाद उस मिसाइल को भारतीय वायु सेना और भारतीय थल सेना में शामिल कर लिया गया था। त्रिशूल जमीन से हवा जाने वाली एक छोटी मिसाइल है।

पोखरण परमाणु परीक्षण

पोखरण परीक्षण 1998 में भारतीय सेना द्वारा किये गए 5 विस्फोटो की श्रृंखला थी। 1974 के पहले परमाणु परीक्षण के बाद दूसरा 1998 परीक्षण पूरी तरह नियंत्रित था। भारत के सम्मानित राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने पोखरण परीक्षण का नेतृत्व किया था। एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का मिसाइल मैन भी कहा जाता है। राजस्थान के पोखरण में जब 11 और 13 मई को हुए विस्फोट से पुरे विश्व में तहलका मच गया था क्योंकि अब भारत भी परमाणु क्षेत्र में संपन्न हो चूका था। इस परीक्षण में भूकंप के झटके महसूस किये गए थे जिनका माप रिएक्टर स्केल पर 5.4 था। परीक्षण स्थल के आस पास के घरो की दीवारों में भी दरारे पड़ गयी थी। लेकिन इस उपलब्धि को लेकर लोगो में बहुत प्रसन्नता थी.

इस सफलता के बाद तात्कालिक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी 20 मई को बुद्ध-स्थल पहुंचे, और वहा प्रधानमंत्री द्वारा एक नारा दिया गया जय जवान जय किसान जय विज्ञान। प्रधानमंत्री के साथ सभी लोग देश के नागरिक होने पर गर्व महसूस कर रहे थे। इन परीक्षणों को करने का मुख्य उद्देश्य पडोसी देशो को यह बताना था कि हम सामरिक योग्यता का जवाब देने के लिए तैयार है। भारत ने जब इन परमाणु परीक्षणों में सफलता हासिल कर ली थी तो संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, जापान एवं अन्य देशो ने भारत के खिलाफ बहुत से प्रतिबंद लगा दिए थे लेकिन इन सबसे न डरते हुए भारत देश में अपनी जीत का जश्न मनाया था।

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National Technology Day का महत्त्व

भारत देश के विकास में वैज्ञानिको का बहुत बड़ा हाथ है। भारत देश को बाहरी आक्रमणों से बचाने के लिए टेक्नोलॉजी का विशेष स्थान है। वैज्ञानिको को सम्मान देने के लिए अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस मनाये जाने की घोषणा की गयी। नेशनल टेक्नोलॉजी दिवस हर साल 11 मई को मनाया जाता है क्योंकि इस दिन ही भारत ने अपना परमाणु बम परीक्षण सफल किया था। भारत में सर्वप्रथम राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस 11 मई 1999 को मनाया गया था। इस दिन हमारा भारत देश तकनिकी क्षेत्र में भी शक्तिशाली हो गया था और परमाणु शक्ति संपन्न देशो की सूचि में शामिल हो गया था।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस की थीम

राष्ट्रीय प्रोद्योगिक दिवस मनाने के लिए प्रत्येक वर्ष एक थीम निकाली जाती है। प्रत्येक वर्ष थीम का चुनाव टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बोर्ड द्वारा किया जाता है। यह थीम देश के विकास की और ले जाने के लिए प्रौद्योगिक के महत्व पर प्रकाश डालती है। आमतौर पर थीम का विषय विज्ञान तकनीक से जुड़ा होता है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस की कुछ थीम निम्न है :-

वर्ष थीम
2016 स्टार्टअप इंडिया के प्रौद्योगिक समर्थक
2017 समावेशी और टिकाऊ विकास के लिए प्रौद्योगिक
2018 स्वदेशी प्रौद्योगिकियों का व्यवसायीकरण: बेंचमार्क से व्यवसाय तक की यात्रा
2019 विज्ञान के लिए लोग और लोगों के लिए विज्ञान
2020 रीबूटिंग द इकोनॉमी विद साइंस, टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च ट्रांसलेशन
2021 एक सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी
2022 सतत भविष्य के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी में एकीकृत दृष्टिकोण
2023 अभी ज्ञात नहीं

National Technology Day कैसे मनाया जाता है

प्रत्येक वर्ष 11 मई को नशनल टेक्नोलॉजी डे मनाया जाता है। इस दिन को पहली बार 11 मई 1999 में मनाया गया था। भारत में राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस मनाने के लिए भारत की राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है, इस कार्यक्रम का आयोजन इंडिया गेट के पास किया जाता है और वहा राष्ट्रपति और अन्य राजनीतिक नेताओ को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है। वैज्ञानिको, भौतिकियो, खगोलविदियो, एवं अन्य शोधकर्ताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है। इस दिन विज्ञान के छात्रों को कई बड़े विज्ञानिको से मिलने का भी मौका मिलता है। कई इंजीनीयरिंग कॉलेज या टेक्नोलॉजी कॉलेज में कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते है जिनमे छात्र प्रतिभाग करते है और विज्ञान के सम्बन्ध में अविष्कार और कार्यक्रम प्रस्तुत करते है।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस के उद्देश्य

  • राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस मनाने से छात्रों में भी उमंग पैदा होगी और वह भी विज्ञान क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए अपनी रूचि दिखाएंगे।
  • राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस का उद्देश्य भारत के वैज्ञानिक, इंजीनियरो की तकनिकी उपलब्धियो का स्मरण करना है।
  • देश के वैज्ञानिको और शोधकर्ताओं को उनके काम के लिए सम्मानित करना जिससे उनके कार्य को प्रोत्साहन मिले।
  • इस दिन हम परमाणु परीक्षण को याद करते है, जो देश के लिए एक बड़ी सफलता है।
  • 11 मई 1998 को ही भारत के एक एयरक्राफ्ट टैनिंग के लिए वायुसेना में जोड़ा गया था जिसका नाम हंसा-3 है।

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राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस के रूप में किसके द्वारा घोषित किया गया ?

11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस के रूप में 1988 के तात्कालिक प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा घोषित किया गया था।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस क्यों मनाया जाता है ?

राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस देश के महान विज्ञानिको और इंजीनियर को सम्मनित करने के लिए और 1998 में परमाणु परीक्षण के सफल होने की ख़ुशी में मनाया जाता है।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस पहली बार कब मनाया गया था ?

राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस पहली बार 11 मई 1999 को मनाया गया था।

पहला परमाणु परीक्षण कब हुआ था ?

18 मई 1974 को पहला परमाणु परीक्षण हुआ था, इस ऑपरेशन का कोड नाम स्माइलिंग बुद्धा रखा गया था।

राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस कब मनाया जाता है ?

प्रत्येक वर्ष की 11 मई को राष्ट्रीय प्रौद्योगिक दिवस मनाया जाता है।

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