दोस्तों आप सभी ने कभी न कभी राष्ट्रीय आय के बारे में तो सुना ही होगा। सबसे पहले तो आप सभी को यह बतादे की राष्ट्रीय आय को अंग्रेजी में National income कहते है। तो क्या आप यह जानते है की National income Kya Hai? अगर आप भी इसके बारे में नहीं जानते है। तो आपको चिंतिंत होने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि आज हम आप सभी को हमारे इस लेख के जरिये राष्ट्रीय आय के बारे में बहुत सी जानकारी प्रदान करने वाले है। जैसे की – National income Kya Hai. राष्ट्रीय आय किसे कहते है ? अगर आप भी इसके बारे में इस प्रकार की जानकारी प्राप्त करना चाहते है। तो उसके लिए आप सभी को हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ना होगा। क्योंकि इस लेख में ही हमने इससे सम्बंधित जानकारी प्रदान की हुई है। इसलिए लेख को ध्यान से पढ़े
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National income Kya Hai | राष्ट्रीय आय किसे कहते है ?
A.C. पीगू के अनुसार :- “किसी राष्ट्र की आय का वह हिस्सा जिसमें विदेशों से प्राप्त आय भी शामिल होती है और जिसे मुद्रा के रूप में लाया जा सकता है उसको राष्ट्रीय आय कहते है।”
प्रो साइमन कुंजनेट्स के अनुसार :- “राष्ट्रीय आय का तात्पर्य एक वित्तीय वर्ष में देश में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं में बाजार मूल्यों से है जिनमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय भी सम्मिलित है। ”
मार्शल के अनुसार :- “किसी देश की श्रम एवं पूंजी उस देश के प्राकृतिक संसाधनों के साथ मिलकर प्रतिवर्ष विभिन्न भौतिक एवं अभौतिक वस्तुओं का उत्पादन करती है जिसमें सेवाएं भी शामिल होती है। जिसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध आय भी शामिल होती है। सभी के शुद्ध मूल्य रूप को राष्ट्रीय आय कहते है। “
उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है की किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था द्वारा वित्तीय वर्ष में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के शुद्ध मूल्यों के योग को राष्ट्रीय आय कहते है। आसान शब्दों में कहे तो एक वर्ष भर में अर्जित आय की कुल मात्रा को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। किसी भी राष्ट्र की आय एक वर्ष में कई आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से अर्जित की जाती है, इसमें मजदूरी, श्रम, ब्याज, किराया, परिवहन की सुविधा, अस्पताल की सुविधा आदि शामिल है। यह देश की प्रगति के लिए फायदेमंद है। यदि राष्ट्र में उत्पाद की मात्रा में कमी होती है तो राष्ट्रीय आय पर विपरीत असर पड़ता है वही अगर राष्ट्र में उत्पादों की मात्रा में वृद्धि होती है तो राष्ट्र की आय में भी वृद्धि हो जाती है।
भारत में राष्ट्र आय की सबसे पहले गणना दादा भाई नौरोजी ने सन 1868 में की थी। जिसका उल्लेख उनकी किताब “Poverty and un-British rule in India” में किया था। उनके द्वारा की गयी गणना के अनुसार वित्तीय वर्ष 1867-1868 की कुल राष्ट्रीय आय 340 करोड़ रुपए तथा प्रति व्यक्ति वार्षिक आय को 20 रूपये बताया गया था।
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राष्ट्रीय आय की गणना की विशेषता
- किसी भी देश में राष्ट्रीय आय का विश्लेषण एवं लेखांकन करना आवश्यक होता हैं।
- राष्ट्र की आर्थिक विकास की गति को मापने के लिए राष्ट्रीय आय की गणना करना महत्वपूर्ण है।
- राष्ट्रीय आय की गणना करने से किसी देश की अर्थव्यवस्था में प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीय क्षेत्र, तृतीय क्षेत्र के योगदान का विश्लेषण अच्छे से ज्ञात किया जा सकता है।
- राष्ट्रीय आय का विश्लेषण करने से पता लगाया जा सकता है कि कौन सा क्षेत्र ज्यादा विकसित है और कौन सा क्षेत्र कम विकसित है।
- दो या दो से अधिक देशो के बीच की आर्थिक विकास की तुलना मापने के लिए राष्ट्रीय आय का विश्लेषण आवश्यक है।
- राष्ट्रीय आय की गणना किसी देश की अर्थव्यवस्था की कमजोरी एवं ताकत को दर्शाता है।
- इससे ज्ञात होता है कि देश में शक्ति एवं आय का वितरण किस प्रकार हो रहा है।
- इसके द्वारा आय और व्यय का अनुमान लगाया जा सकता है।
- देश की अर्थव्यवस्था में दोष का अनुमान लगाया जा सकता है जिन कारणों से देश के विकास में रुकावट आ रही हो।
- गणना से यह भी ज्ञात होगा राष्ट्रीय आय में कौन-कौन से तत्व उत्तरदायी है।
- अर्थव्यवस्था में आ रहे दोषों को हटाया जा सकता है।
- इसमें देश के सभी व्यक्तियों की आय शामिल होती है।
- राष्ट्रीय आय एवं राष्ट्र का आर्थिक विकास दोनों एक दूसरे से जुड़े है।
- राष्ट्रीय आय में वृद्धि होने से देश के आर्थिक विकास में भी वृद्धि होती है।
National income की गणना करने में क्या कठिनाई होती है ?
- उत्पादन के कुछ भाग की गणना करना थोड़ा कठिन होता है।
- देश में औद्योगिक क्षमताओं का पूर्ण रूप से उपयोग न होना।
- राष्ट्रीय आय की गणना में सबसे विशाल समस्या दोहरी गणना की समस्या हैं यह समस्या अंतिम और मध्यवर्ती उत्पादों के बीच में ठीक से अंतर न कर पाने की वजह से होती है।
- विश्वसनीय एवं पर्याप्त आकड़ों का अभाव।
- क्षेत्रीय विविधता
- जनता में शिक्षा का अभाव
- भारत के कुछ क्षेत्रों में अभी भी मुद्रा लें दें नहीं है। वह अमौद्रिक क्षेत्र है
- व्यावसायिक विशेषज्ञता के अभाव के कारण उत्पाद विधि द्वारा गणना में कठिनाई आती है।
- स्वयं उपभोग के लिए रखी गयी वस्तु भी राष्ट्रीय आय गणना में कठिनाइयाँ उत्पन्न करती है।
- जन सहयोग की कमी भी राष्ट्रीय आय की गणना में कमी उत्पन्न करती है।
- देश में प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों को समुचित रूप से उपयोग न होना।
National income से सम्बंधित कुछ प्रश्न
किसी भी देश के व्यक्तियों की आय उत्पादन एवं मौद्रिक रूप के माध्यम से प्राप्त होती है इसकी गणना उत्पादन के योग के द्वारा की जाती है इसे ही उत्पादन गणना विधि कहते है।
राष्ट्रीय आय की गणना राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) करता हैं।
कुल देश की जनसँख्या से भाग देने पर प्रति व्यक्ति आय ज्ञात कर सकते है यानी प्रति व्यक्ति आय = कुल आय/ कुल जनसँख्या।
जिन क्षेत्रों में मुद्रा का लेन देन नहीं होता उन क्षेत्रों को अमौद्रिक क्षेत्र कहते है।
राष्ट्रीय आय की गणना करने वाले पहले व्यक्ति दादा भाई नैरोजी थे।