कौन था नाथूराम गोडसे ? गोडसे ने आखिर महात्मा गांधी को क्यों मारा था? जानिए सच्चाई

भारत की आजादी के पश्चात विभिन अवसर पर ऐसी घटनाएँ हुयी है जिन्होंने पूरे देश को झकझोरा है। हालांकि 30 जनवरी 1948 को स्वतंत्र भारत के इतिहास का सबसे काला दिन माना जाता है। इस दिन ही देश की आजादी के लिए 30 करोड़ भारतवासियों को एकजुट करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की नाथूराम गोडसे द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। इस घटना के पश्चात सम्पूर्ण देश हतप्रभ सा रह गया था। वर्ष 1949 में नाथूराम गोडसे को फाँसी दिए जाने के पश्चात भी इस बात को लेकर प्रायः चर्चा होती रहती है आखिर नाथूराम गोडसे के द्वारा महात्मा गांधी को क्यों मारा गया? चलिए आज के इस आर्टिकल के माध्यम से इतिहास के पन्नों को खंगालते है एवं जानने की कोशिश करते है की कौन था नाथूराम गोडसे ! जिसने महात्मा गाँधी की हत्या की थी ? साथ ही नाथूराम द्वारा गाँधीजी की हत्या के पीछे की सच्चाई पर भी इस आर्टिकल के माध्यम से प्रकाश डाला जायेगा।

कौन सा नारा किसने दिया | Kaun Sa Nara Kisne Diya (Slogan)

कौन था नाथूराम गोडसे
Nathuram godse kaun tha

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जानिए कौन था नाथूराम गोडसे ?

19 मई 1910 को पुणे के बारामती में नाथूराम का जन्म विनायक वामनराव गोडसे एवं लक्ष्मी देवी के घर हुआ था। बचपन में नाथूराम को रामचंद्र के नाम से जाना जाता था। कहा जाता है की बचपन में उनका नाक छेदने के कारण उन्हें नाथूराम नाम मिला। हाई-स्कूल तक की शिक्षा पूरी करने के पश्चात नाथूराम स्वतंत्रता आंदोलनों में सक्रिय हो गया। इस दौरान वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं हिन्दू महासभा जैसे हिंदूवादी संगठनो से भी जुड़ गया। प्रारम्भ में गाँधीजी की विचारधारा से प्रभावित गोडसे का गांधीजी के प्रति सम्मान कब नफरत में बदल गया जिसके कारण गोडसे द्वारा गाँधीजी की हत्या जैसे जघन्य अपराध को अंजाम दिया गया यह विश्वास करना भी संभव प्रतीत नहीं होता। गाँधीजी की हत्या के पश्चात अदालत द्वारा विनायक गोडसे (नाथूराम) को 8 नवंबर 1949 को मौत की सजा सुनाई गयी।

गांधीजी की विचारधारा से असहमति

गाँधीजी की हत्या करने वाला नाथूराम गोडसे गाँधीजी की विचारधारा से असहमत था। प्रारम्भ में गांधीजी के विचारो से प्रभावित गोडसे बाद में गाँधीजी के विचारो से नफरत करने लगा एवं उन्हें मुस्लिमो का समर्थक एवं देश का दुश्मन मानने लगा। हिन्दू महासभा एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते हुए गोडसे द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया गया था। कट्टर हिन्दू विचारधारा से प्रभावित होने के कारण गोडसे गाँधीजी को तानाशाह एवं देश के लिए खतरा मानता था। गोडसे का मानना था की गाँधीजी देश के नेता के रूप में किसी तानाशाह की तरह व्यवहार करते है एवं अपनी सनक भरी योजनाओं से देश का नुकसान करते है।

भारत विभाजन में भूमिका

गोडसे द्वारा गाँधीजी की हत्या की सबसे बड़ी वजह भारत के विभाजन में गाँधीजी का भूमिका को बताया गया। दरअसल नाथूराम गोडसे भारत के विभाजन की सबसे बड़ी वजह जिन्ना एवं काँग्रेस को मानता था। गोडसे का मानना था की काँग्रेस गाँधीजी के विचारो के द्वारा संचालित होती है एवं गाँधीजी भारत के विभाजन को रोक सकते है परन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया। यही कारण रहा की भारत विभाजन के लिए गाँधीजी को जिम्मेदार समझने के कारण गोडसे के द्वारा गाँधीजी की हत्या की गयी थी।

हिन्दुओ के हितों का प्रतिकार

नाथूराम गोडसे गाँधीजी को मुस्लिम परस्त एवं हिन्दुओ का विरोधी समझता था। गाँधीजी के विचारो से असहमत नाथूराम गोडसे के द्वारा गाँधीजी पर मुस्लिमो का पक्ष लेने का आरोप लगाया गया था। नाथूराम का मानना था की गाँधीजी के कारण देश के करोड़ो हिन्दुओ को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है एवं गाँधीजी की मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति से देश को नुकसान पहुंच रहा है।

आजादी के बाद विभाजन में लाखों लोगों की जान चली गयी थी। हजारों हिन्दू शरणार्थियों को पाकिस्तान द्वारा मारा गया था जिस कारण नाथूराम की गाँधीजी के प्रति नफरत और भी प्रबल हो गयी थी। विभाजन के बाद पाकिस्तान के द्वारा भारत सरकार से 55 करोड़ रुपए माँगे गए थे जिन्हे भारत सरकार द्वारा देने से इंकार कर दिया गया। इसके कारण गाँधीजी उपवास पर बैठ गए एवं पाकिस्तान को 55 करोड़ रुपए देने की मांग की। यह घटनाक्रम देखकर गोडसे गाँधीजी को मारने का निश्चय कर चुका था।

अदालत में गोडसे का बयान

30 जनवरी 1948 को गाँधीजी की हत्या करने के पश्चात नाथूराम ने तुरंत ही आत्मसमर्पण कर दिया था। गाँधीजी की हत्या में नाथूराम पर हत्या का मुकदमा चला एवं 8 नवम्‍बर 1948 को गोडसे का अदालत में 90 पेज का बयान पढ़ा गया जिसमे गोडसे द्वारा गाँधीजी की हत्या की वजह बतायी गयी थी। अपने बयान में गोडसे द्वारा गाँधीजी के विचारो से असहमत होने एवं गाँधीजी की तुष्टीकरण की राजनीति को गाँधीजी की हत्या की वजह बताया गया था। गोडसे द्वारा स्पष्ट किया गया था की उसे गाँधीजी से किसी भी प्रकार की व्यक्तिगत रंजिश नहीं थी अपितु वह गाँधीजी के राजनैतिक विचारो एवं कार्यो से असहमत था। हालांकि देश में गाँधीजी की हत्या को लेकर विभिन्न प्रकार के वाद-विवाद चलते रहते है जिसमे कुछ लोग गोडसे को अपना हीरो मानते है तो कुछ लोग उन्हें देश का सबसे बड़ा विलेन।

नाथूराम गोडसे सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

नाथूराम गोडसे कौन था ?

नाथूराम गोडसे एक हिन्दू कार्यकर्ता, कट्टर हिंदूवादी एवं पत्रकार था जिसके द्वारा महात्मा गाँधी की हत्या की गयी थी।

नाथूराम गोडसे का वास्तविक नाम क्या था ?

नाथूराम गोडसे का वास्तविक विनायक गोडसे था। बचपन में नाथूराम को रामचंद्र के नाम से जाना जाता था। कहा जाता है की नाक छिदे होने के कारण नाथूराम को नाथूराम के नाम से जाना गया।

नाथूराम गोडसे का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?

नाथूराम गोडसे का जन्म 19 मई 1910 को पुणे के बारामती में हुआ था। नाथूराम की माता लक्ष्मी देवी एवं पिता विनायक वामनराव गोडसे थे।

नाथूराम गोडसे किन संगठनो से जुड़ा हुआ था ?

नाथूराम गोडसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं हिन्दू महासभा में जुड़ा हुआ था। हालांकि प्रारम्भ में नाथूराम गोडसे महात्मा गाँधी के विचारो से प्रभावित था एवं गाँधीजी को अपना आदर्श मानता था। गाँधीजी से प्रभावित होकर गोडसे ने विभिन गांधीवादी आंदोलनों में भी भाग लिया था।

गाँधीजी की हत्या किसके द्वारा की गयी थी ?

गाँधीजी की हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा की गयी थी।

गाँधीजी की हत्या कब की गयी थी ?

नाथूराम गोडसे के द्वारा 30 जनवरी 1948 को गाँधीजी की हत्या दिल्ली के बिडला भवन में की गयी थी।

गोडसे ने आखिर महात्मा गांधी को क्यों मारा था?

गाँधीजी की विचारधारा से असहमत होने एवं उन्हें मुस्लिमो का हितैषी होने को नाथूराम गोडसे ने गाँधीजी की हत्या की वजह करार दिया था। विस्तृत जानकारी के लिए आप ऊपर दिया गया आर्टिकल चेक कर सकते है।

गोडसे द्वारा कौन सी पुस्तक लिखी गयी है ?

नाथूराम गोडसे द्वारा लिखित पुस्तक का नाम मैंने गाँधी का वध क्यों किया (Why I Killed Gandhi) है।

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