जब भी हम बाजार में कोई वस्तु खरीदने जाते है तो प्रत्येक वस्तु पर एक निर्धारित मूल्य छपा होता है, उसी निर्धारित मूल्य को MRP कहते है। MRP की अवधारणा भारत में 1990 के नियम बाँट एवं माप के संसोधन 1997 के बाद अस्तित्व में आयी थी। कीमत के बढ़ते भ्रष्टाचार की तरफ ध्यान देने के बाद यह सुनिश्चित करने के लिए एमआरपी का संशोधन किया गया कि उपभोग्ताओ के साथ कोई धोखा ना हो जाये। आज इस लेख में हम जानेगे MRP Full Form in Hindi, MRP Kya Hota Hai? MRP के फायदे, नियम, निर्धारण उद्देश्य तो चलिए जानते है MRP Full Form in Hindi
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MRP Full Form in Hindi,
हम कोई वस्तु खरीदते है तो उसपर उस वस्तु की कीमत लिखी होती है जिसको MRP कहते है। MRP का पूर्ण रूप अधिकतम खुदरा मूल्य है। MRP की फुल फॉर्म इंग्लिश में Maximum Retail Price है। एमआरपी उस उत्पाद पर लगाया गया वह उच्चतम मूल्य है जो उत्पाद के विक्रेता द्वारा वसूला जा सकता है। भारत में सभी वस्तुओ, उत्पादों पर एमआरपी अंकित किया जाता है जिससे उपभोग्ता वस्तु का उच्चतम मूल्य जानने में सक्षम हो सके।
Maximum Retail Price की गणना किसी उत्पाद के निर्माता द्वारा की जाती है। सभी निर्माताओं के लिए वस्तु पर एमआरपी चिन्हित करना अनिवार्य है। एमआरपी में उन सभी सरकारी करो को भी शामिल किया जाता है जो उन वस्तुओ पर लगाए जाते है। यह उच्चतम वास्तविक संभव मूल्य होता है जो उत्पाद के लिए ग्राहक से वसूला जा सकता है।
MRP Kya Hota Hai?
किसी कंपनी द्वारा निर्मित उत्पाद मार्किट में आता है तो उसके बेचने के लिए एक कीमत निर्धारित की जाती है जिसको MRP कहते है। एमआरपी किसी वस्तु का निर्धारित किया गया मूल्य होता है जिस मूल्य के अनुसार ही विक्रेता(दुकानदार) उपभोगता(ग्राहक) को वो वस्तु बेच सकता है। एमआरपी एक ऐसी मूल्य संख्या होती है जिसे किसी प्रोडक्ट पर उस कंपनी द्वारा निर्धारित किया जाता है जिस कंपनी ने उस प्रोडक्ट का निर्माण किया हो।वस्तु का निर्माता ही उस वस्तु की एमआरपी तय करता है। कोई भी होलसेलर या रिटेलर तय की गयी एमआरपी से ज्यादा उस वस्तु की कीमत नहीं वसूल सकता, यदि कोई ऐसा करता है तो यह गैर कानूनी होगा जिसके लिए उसपर सरकारी कारवाही भी ही सकती है।
MRP के फायदे,
- कुछ दुकानदार ग्राहकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए एमआरपी से नीचे कीमत पर भी अपना सामान बेचते है।
- ग्राहक को वस्तु का जायज मूल पता होगा जिससे वो ठगी से बचेगा।
- रिटेल में बेचे जाने वाले सभी उत्पादों पर एमआरपी चिन्हित की जाती है।
- कोई भी दुकानदार ग्राहक से एमआरपी से ज्यादा कीमत नहीं वसूल सकता।
- प्रोडक्ट्स पर एमआरपी छपी होगी तो कोई भी दुकानदार किसी भी ग्राहक से ज्यादा पैसे नहीं सकेगा।
- जब एमआरपी का नियम नहीं था तो कई दुकानदार अपनी मर्जी से सामान की कीमत वसूला करते थे लेकिन नियम के बाद कोई भी दुकानदार ऐसा नही कर सकता।
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MRP के नियम,
जीएसटी लागू होने के बाद सरकार द्वारा एमआरपी के लिए नए नियम लागू किये गए है
- किसी भी उत्पाद की कीमत बढ़ाने पर अखबार में कम से कम 2 बार विज्ञापन देना होगा।
- जीएसटी लागू होने के बाद जिन उत्पादों की कीमत घटी है उनको विज्ञापन देने की आवश्यकता नहीं है।
- यदि कोई विक्रेता एमआरपी से अधिक दाम मांगता है तो उपभोगता उसको स्वतंत्र रूप से मना कर सकता है और उसके खिलाफ मुनाफाखोरी का की शिकायत दर्ज करा सकता है।
लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड एंड कमोडिटी रूल) 2011 के अनुसार नियम
- आयातित उत्पादों के मामलो में उत्पादित देश, निर्माता का नाम घोषित करना अनिवार्य है।
- सभी पैक्ड उत्पादों पर लेबल अनिवार्य है और लेबल पर घोषणा और MRP होनी चाहिए।
- ऑनलाइन ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर विक्रेता द्वारा सामान के निर्माता, पैकर और आयातक का नाम और पता MRP, नेट कंटेंट,कस्टमर केयर नंबर आदि की जानकारी होनी चाहिए।
- चिकित्सा उपकरणों पर एमआरपी और डिक्लेरेशन देना होगा।
- एक उत्पाद पर दो MRP नहीं होनी चाहिए एकवस्तु पर केवल एक ही एमआरपी होनी चाहिए।
- MRP, Expiry date आदि का विवरण बड़े फॉण्ट में छपा होना चाहिए जिससे ग्राहक आसानी से पढ़ सके।
MRP का निर्धारण
वस्तु की एमआरपी निर्धारित करते समय उस पर लगने वाले टैक्स, होलसेलर और रिटेलर का प्रॉफिट, लागत, परिवहन, विज्ञापन ये सभी चीजों को ध्यान में रखा जाता है और उसके बाद वस्तु की कीमत निर्धारित की जाती है, जिससे कोई भी विक्रेता किसी भी ग्राहक से ज्यादा मूल्य न वसूल सके। सभी उत्पादक कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स पर MRP चिन्हित करना आवश्यक है जिससे कोई भी विक्रेता ग्राहक से ज्यादा पैसे न वसूल सके। यदि कोई भी कंपनी उत्पाद पर बिना एमआरपी अंकित किये उसको बाजार में बेचती है तो उसपर कानूनी कार्यवाही की जा सकती है।
MRP के उद्देश्य
- भारत सरकार के नियमानुसार प्रत्येक प्रोडक्ट पर एमआरपी होना आवश्यक है
- प्रोडक्ट पर MRP लिखी होने से कोई भी विक्रेता उसको अधिक दाम पर नहीं बेच सकता
- यदि कोई भी विक्रेता एमआरपी से ज्यादा मूल्य पर वस्तु को बेचता है तो यह गैर कानूनी है।
- प्रत्येक प्रोडक्ट पर एमआरपी होना आवश्यक है यह नियम 2006 में सरकार द्वारा लागू किया गया था।
- एमआरपी से ऊँची कीमत पर वस्तु बेच कर ग्राहक को मुर्ख बनाने के लिए विक्रेता को प्रतिबंधित करता है।
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MRP Full Form in Hindi FAQs
एमआरपी की फुल फॉर्म हिंदी में अधिकतम खुदरा मूल्य है।
MRP को इंग्लिश में maximum retail price कहते है।
एमआरपी लगाने का नियम 2006 में भारत सरकार के द्वारा लागू किया गया।
किसी वस्तु की कीमत बढ़ाने के लिए अख़बार में कम से कम 2 बार विज्ञापन देना होगा।