Sukanya Samridhi Yojana: केंद्र सरकार के द्वारा देश की बेटियों के लिए कई प्रकार की योजना शुरू की जाती है। जिससे कि देश की बेटियां स्वतंत्र और आत्मनिर्भर बन सके। ऐसी ही एक योजना केंद्र सरकार के द्वारा शुरू की गयी है। इस योजना को सुकन्या समृद्धि योजना के नाम से जाना जाता है। यह एक सुरक्षित निवेश वाली योजना है। हाल ही में सरकार ने इस योजना के अंतर्गत कुछ बड़े बदलाव किये हैं। यदि आप भी इस योजना के लाभार्थी हैं या इस योजना के अंतर्गत खाता खुलवाना चाहते हैं तो आपके लिए इन बड़े बदलावों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है। आईये आपको इसके विषय में जानकारी देते हैं।
सुकन्या समृद्धि योजना में हुए 5 बदलाव
सरकार द्वारा शुरू की गयी इस योजना के अंतर्गत कुछ बदलाव किये गए हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस योजना में कुछ पुराने नियमों को हटा दिया है और कुछ नियमों को जोड़कर लागू किया गया है। आईये आपको इन नियमों की जानकारी देते हैं।
- नए नियम के अनुसार यदि एक बेटी के नाम से व्यक्ति का खाता खोल रखा है और दूसरी संतान के रूप में उसके घर में जुड़वां बेटियां पैदा होती है तो नए नियम के अनुसार वे दोनों बेटियों के नाम से यह खाता 80सी के तहत खुलवा सकते है। जबकि व्यक्ति पहले केवल एक ही बेटी के लिए खाता इस योजना के अंतर्गत खुल सकता था।
- सुकन्या समृद्धि योजना के तहत खोले गए खाते को पहले दो परिस्थियों में बंद किया जा सकता था। पहला यदि बेटी की मृत्यु हो जाती है और दूसरा यदि बेटी के निवास स्थान बदल जाता है। लेकिन अब अभिभावक की मौत होने पर भी समय से पहले अकाउंट बंद किया जा सकता है।
- खाते में सालभर में कम से कम 250 रुपये जमा करना आवश्यक है। यदि यह राशि जमा नहीं होती है तो खाते को डिफॉल्ट समझा जाता है। लेकिन नए नियमों के अनुसार अगर खाते को दोबारा चालु नहीं किया जाता है तो मैच्योर होने तक खाते में जमा राशि पर लागू दर से ब्याज मिलता रहेगा। पहले डिफॉल्ट खातों पर पोस्ट ऑफिस सेविंग्स अकाउंट के लिए लागू दर से ब्याज मिलता था।
- पहले इस नियम के अंतर्गत बेटी 10 साल में ही खाते को ऑपरेट कर सकती थी। लेकिन अब नए नियमों के अनुसार 18 साल की उम्र से पहले बेटी को खाता ऑपरेट करने की मंजूरी नहीं दी जाएगी। उससे पहले अभिभावक ही खाते को ऑपरेट करते रहेंगे।
- नए नियमों के अनुसार खाते में गलत ब्याज पड़ जाने पर उसे वापस पलटने के प्रावधान को बदला गया है। इसके साथ साथ खाते का सालाना ब्याज हर वर्ष के अंत में क्रेडिट किया जाएगा।