प्राकृतिक संतुलन के लिए जैव-विविधता का संरक्षण आवश्यक है। मानव एवं पर्यावरण के मध्य सह-अस्तित्व के माध्यम से ही संतुलित विकास को जन्म दिया जा सकता है। वर्तमान में इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा देश में विभिन जैव-आरक्षित क्षेत्रों को बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया है। बायोस्फीयर रिजर्व के माध्यम से पेड़-पौधों एवं जीवों के पारस्परिक महत्व को ध्यान में रखते हुए संरक्षण के विविध प्रयास किए जा रहे है जिससे की स्थानिक पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित किया जा सके। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भारत के प्रमुख बायोस्फीयर रिजर्व (List Of Biosphere Reserves In India In Hindi) एवं इनके महत्व के सम्बन्ध में जानकारी प्रदान करने वाले है।
साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आपको देश के सभी प्रमुख बायोस्फीयर रिजर्व के सम्बन्ध में अन्य महत्वपूर्ण बिंदुओं से भी अवगत कराया जायेगा। प्रतियोगी परीक्षाओं में भी प्रायः बायोस्फीयर रिजर्व से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते है ऐसे में यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहने वाला है।
Article Contents
यहाँ भी देखें -->> क्विज़ गेम खेलें और नकद जीतें
बायोस्फीयर रिजर्व (Biosphere Reserves) क्या होता है ?
बायोस्फीयर रिजर्व (Biosphere Reserves) या जैव-आरक्षिति क्षेत्र वह क्षेत्र होता है जहाँ स्थानिक जीवों, पेड़-पौधों एवं वनस्पतियों को प्राकृतिक आवास प्रदान करते हुए मानवों के साथ सहअस्तित्व बनाये रखते हुए संरक्षित करने का प्रयास किया जाता है। जैव-आरक्षिति क्षेत्र में स्थानिक जीवों एवं वनस्पतियों को संरक्षित रखने के हेतु समुचित प्रयास किये जाते है साथ ही स्थानीय निवासियों के विकास को ध्यान में रखते हुए भी यहाँ समुचित संतुलन बनाया जाता है।
बायोस्फीयर रिजर्व अन्य संरक्षण क्षेत्रों से भिन्न होता है। जहाँ अन्य संरक्षण क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियाँ पूर्ण रूप से निषिद्ध होती है वहीं बायोस्फीयर रिजर्व में सम्बंधित क्षेत्र से जुड़े स्थानीय निवासियों की भूमिका को स्वीकार करते हुए उन्हें निर्धारित क्षेत्र में मानवीय गतिविधियाँ करने की छूट होती है। इस प्रकार से बायोस्फीयर रिजर्व जीवों एवं मानवो के सहअस्तित्व को स्वीकार करते हुए संतुलन बनाने का प्रयास करता है।
बायोस्फीयर रिजर्व का इतिहास
आर्थिक विकास के क्रम में प्रकृति के विनाश एवं मानव एवं जीवो के मध्य होने वाले संघर्ष को न्यून करने के लिए संतुलित विकास की अवधारणा को जन्म मिला। विकास की आवश्यकता एवं प्राकृतिक संरक्षण तथा जीवों के प्राकृतिक आवास के बीच संतुलन बनाने के लिए बायोस्फीयर रिजर्व के विकास को दिशा मिली। इस विचार को मूर्त रूप देने के लिए यूनेस्को द्वारा वर्ष 1971 में मैन एंड बायोस्फीयर रिज़र्व प्रोग्राम (Man and Biosphere Reserve Program) शुरू किया गया।
मैन एंड बायोस्फीयर रिज़र्व प्रोग्राम (Man and Biosphere Reserve Program) के तहत आर्थिक विकास एवं जैव-संरक्षण दोनों की आवश्यकता को स्वीकार किया गया एवं बायोस्फीयर रिजर्व क्षेत्र की शुरुआत हुयी। इसके माध्यम से मानव एवं जीवों के सहअस्तित्व को स्वीकार किया गया एवं दोनों के मध्य संतुलन बनाने के लिए बायोस्फीयर रिजर्व क्षेत्र कार्यक्रम को शुरू किया गया।
बायोस्फीयर रिजर्व की संरचना
बायोस्फीयर रिजर्व अन्य संरक्षित क्षेत्रों से आकार में वृहद् होता है जहाँ स्थानिक पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित करने के प्रयास किए जाते है। बायोस्फीयर रिजर्व को संरक्षण के स्तरों पर मुख्यत 3 भागो में विभाजित किया जाता है :-
- कोर क्षेत्र (Core Areas)– कोर क्षेत्र या केंद्रीय भाग बायोस्फीयर रिजर्व का सबसे भीतरी भाग होता है जहाँ मुख्यत स्थानिक जीवों एवं वनस्पतियों को संरक्षित करने के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित किया जाता है। कोर क्षेत्र में मानवीय गतिविधियाँ पूर्ण रूप से निषिद्ध होती है। कोर क्षेत्र में जीव-जंतु बिना किसी हस्तक्षेप के अपने प्राकृतिक वातावरण में निवास कर सकते है।
- बफर क्षेत्र (Buffer Zone)– बफर क्षेत्र मुख्यत कोर क्षेत्र के बाहरी भाग को कहा जाता है जो की कोर क्षेत्र क्षेत्र के चारों ओर फैला होता है। बफर क्षेत्र में सीमित मात्रा में मानवीय गतिविधियों की अनुमति दी जाती है जैसे की सीमित पर्यटन, घास-चारा, मछली पकड़ना, लकड़ी चुगना एवं चराई करना। यह क्षेत्र मानवीय गतिविधियों को संतुलित मात्रा में होने की अनुमति देता है एवं कोर क्षेत्र एवं संक्रमण क्षेत्र के मध्य बफर जोन के रूप में कार्य करता है।
- संक्रमण क्षेत्र (Transition Zone)– संक्रमण क्षेत्र बायोस्फीयर रिजर्व का सबसे बाहरी भाग होता है जहाँ बफर क्षेत्र की तुलना में अधिक मानवीय गतिविधियों की छूट होती है। संक्रमण क्षेत्र में मानवीय गतिविधियों के साथ मानव बस्तियों एवं कृषि कार्यो की अनुमति भी होती है। इस क्षेत्र में मानव उद्यम एवं जैव संरक्षण में संतुलन बनाने हेतु समुचित प्रयास किए जाते है।
भारत के प्रमुख बायोस्फीयर रिजर्व
वर्तमान समय में संतुलित विकास एवं जैव-संरक्षण की अवधारण को ध्यान में रखते हुए भारत में कुल 18 क्षेत्रों को बायोस्फीयर रिजर्व (Biosphere Reserves) या जैव-आरक्षिति क्षेत्र घोषित किया गया है। यहाँ आपको भारत के सभी 18 बायोस्फीयर रिजर्व (Biosphere Reserves) की लिस्ट प्रदान की गयी है :-
क्र. सं. | जैव-आरक्षिति क्षेत्र का नाम (Biosphere Reserves) | सम्बंधित राज्य | सम्बंधित भौगोलिक क्षेत्र | घोषित वर्ष |
1. | नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व | कर्नाटक, तमिलनाडु एवं केरल | पश्चिमी घाट | 1986 |
2. | नन्दा देवी बायोस्फीयर रिजर्व | उत्तराखंड | पश्चिमी हिमालय | 1988 |
3. | नोकरेक बायोस्फीयर रिजर्व | मेघालय | पूर्वी हिमालय | 1988 |
4. | मन्नार की खाड़ी बायोस्फीयर रिजर्व | तमिलनाडु | तट | 1989 |
5. | सुन्दरवन बायोस्फीयर रिजर्व | पश्चिम बंगाल | गंगा डेल्टा | 1989 |
6. | मानस | असम | पूर्वी हिमालय | 1989 |
7. | ग्रेट निकोबार द्वीप बायोस्फीयर रिजर्व | अंडमाननिकोबार द्वीपसमूह | द्वीप | 1989 |
8. | सिमलीपाल | उड़ीसा | दक्कन प्रायद्वीप | 1994 |
9. | डिब्रू-सैखोवा | असम | पूर्वी हिमालय | 1997 |
10. | दिहंग-दिबंग | अरुणाचल प्रदेश | पूर्वी हिमालय | 1998 |
11. | पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व | मध्य प्रदेश | अर्द्ध शुष्क | 1999 |
12. | खंगचेंदजोंगा/कंचनजंघा | सिक्किम | पूर्वी हिमालय | 2000 |
13. | अगस्त्यमलाई बायोस्फीयर रिजर्व | केरल, तमिलनाडु | पश्चिमी घाट | 2001 |
14. | अचानकमार-अमरकंटक बायोस्फीयर रिजर्व | मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ | मैकले हिल्स | 2005 |
15. | कच्छ का रण | गुजरात | रेगिस्तान | 2008 |
16. | कोल्ड डेज़र्ट | हिमाचल प्रदेश | पश्चिमी हिमालय | 2009 |
17. | शेषचलम पहाड़ियाँ | आंध्र प्रदेश | पूर्वी घाट | 2010 |
18. | पन्ना राष्ट्रीय उद्यान | मध्य प्रदेश | अर्द्ध शुष्क | 2011 |
बायोस्फीयर रिजर्व सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- भारत का प्रथम बायोस्फीयर रिजर्व, नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व है जो की पश्चिमी घाट में कर्नाटक, तमिलनाडु एवं केरल राज्य की सीमा पर फैला हुआ है। नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व पश्चिमी घाट एवं पूर्वी घाट के मिलन बिंदु पर स्थित है जिसे वर्ष 1986 में बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया है। नीलगिरि पहाड़ियों पर टोडा नामक भैंस पालक जनजाति निवास करती है।
- भारत का सबसे बड़ा बायोस्फीयर रिजर्व कच्छ का रण बायोस्फीयर रिजर्व है जिसे की वर्ष 2008 में जैव-आरक्षिति क्षेत्र घोषित किया गया है। गुजरात राज्य में स्थित कच्छ का रण जंगली गधों के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र है। भारत में जंगली गधों का एकमात्र निवास गुजरात में स्थित कच्छ का रण जैव-आरक्षिति क्षेत्र को माना जाता है।
- भारत का सबसे छोटा जैव-आरक्षिति क्षेत्र असम राज्य में स्थित डिब्रू-सैखोवा बायोस्फीयर रिजर्व है। पूर्वी हिमालय में स्थित डिब्रू-सैखोवा बायोस्फीयर रिजर्व को वर्ष 1997 में जैव-आरक्षिति क्षेत्र घोषित किया गया है।
- ग्रेट निकोबार द्वीप बायोस्फीयर रिजर्व भारत के अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह केंद्रशासित प्रदेश में स्थित है जिसे की वर्ष 1989 में जैव-आरक्षिति क्षेत्र घोषित किया गया है। यह देश में केंद्रशासित प्रदेशो में स्थित एकमात्र जैव-आरक्षिति क्षेत्र है ।
- मन्नार की खाड़ी बायोस्फीयर रिजर्व भारत के दक्षिण में स्थित तमिलनाडु राज्य में स्थित है जो की मन्नार की खाड़ी स्थित तट पर है। वर्ष 1989 में घोषित मन्नार की खाड़ी बायोस्फीयर रिजर्व “तट” पर स्थित रिज़र्व है जो की जैव संरक्षण हेतु महत्वपूर्ण है।
- सुन्दरवन बायोस्फीयर रिजर्व पश्चिम बंगाल राज्य में स्थित जैव आरक्षिति क्षेत्र है जो की गंगा के डेल्टा पर स्थित है। इसे वर्ष 1989 में जैव आरक्षिति क्षेत्र घोषित किया गया है। सुंदरबन में मैंग्रोव वन पाए जाते है जो की प्राकृतिक संरक्षण हेतु आवश्यक है। साथ ही यह जैव-आरक्षिति बंगाल टाइगर के लिए भी प्रसिद्ध है।
जैव-आरक्षिति क्षेत्र के लाभ
किसी संरक्षित क्षेत्र में जैव-आरक्षिति क्षेत्र घोषित करने पर सम्बंधित क्षेत्र को विभिन प्रकार के लाभ मिलते है। यहाँ आपको किसी संरक्षित क्षेत्र को जैव-आरक्षिति क्षेत्र घोषित किये जाने पर मिलने वाले लाभों का वर्णन किया गया है :-
- जैव-आरक्षिति क्षेत्र में जीवों एवं वनस्पतियों को उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षित रखा जाता है जिससे की सम्बंधित क्षेत्र के जीवों एवं वनस्पतियों का बेहतर तरीके से संरक्षण हो पाता है।
- जैव आरक्षित क्षेत्र में मानवो एवं जीवों के सहअस्तित्व को स्वीकार करते हुए संतुलित विकास पर जोर दिया जाता है ऐसे में जैव-आरक्षिति क्षेत्र संतुलित विकास का परिचायक है।
- सतत-विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने एवं विनाश रहित संतुलित विकास के लिए बायोस्फीयर रिजर्व महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। संतुलित विकास में जैव-आरक्षिति क्षेत्र की भूमिका महत्वपूर्ण है।
- वन में रहने वाले समुदायों एवं आदिवासी जनजातियों के निवास स्थान को संरक्षित रखने एवं विकास के समुचित लाभ पहुँचाने के बायोस्फीयर रिजर्व अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
- बायोस्फीयर रिजर्व मानव एवं प्रकृति के सहअस्तित्व को स्वीकार करते है एवं मानव के विकास एवं जीवों के संरक्षण हेतु संतुलित उपायों को लागू करता है।
- बायोस्फीयर रिजर्व के माध्यम से सम्बंधित क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित एवं संरक्षित रखने में सहायता मिलती है। साथ ही स्थानिक जीवों एवं वनस्पतियों के संरक्षण में भी बायोस्फीयर रिजर्व की भूमिका आवश्यक है।
- जैव आरक्षित क्षेत्र के माध्यम से सम्बंधित क्षेत्र के निवासियों की आर्थिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विकास किया जाता है ऐसे में सम्बंधित हितधारकों के हितों की पूर्ति के साथ प्रकृति का संरक्षण भी हो पाता है।
भारत के प्रमुख बायोस्फीयर रिजर्व सम्बंधित प्रश्न-उत्तर (FAQ)
बायोस्फीयर रिजर्व (Biosphere Reserves) या जैव-आरक्षिति क्षेत्र वह क्षेत्र होता है जहाँ जीव-जंतुओ एवं मानवो के सहअस्तित्व को स्वीकार करते हुए संतुलित विकास पर ध्यान दिया जाता है जिससे जैव संरक्षण एवं विकास की प्रक्रिया संतुलित रूप से चलती है। बायोस्फीयर रिजर्व संरक्षण एवं विकास दोनों की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए संतुलन बनाने का प्रयास करता है।
जीवों के संरक्षण एवं मानवीय विकास की संतुलित प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए बायोस्फीयर रिजर्व आवश्यक है। बायोस्फीयर रिजर्व आर्थिक विकास के साथ जैव-संरक्षण पर भी जोर देता है।
बायोस्फीयर रिजर्व (Biosphere Reserves) घोषित करने के लिए सम्बंधित क्षेत्र में वृहद् क्षेत्र, सभी पोषण स्तरों की उपस्थिति, सम्बंधित क्षेत्र के निवासियों के विकास हेतु सभी आवश्यक साधन मौजूद होने आवश्यक है।
बायोस्फीयर रिजर्व को सम्बंधित देश की केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा यूनेस्को द्वारा संचालित मैन एंड बायोस्फीयर रिज़र्व प्रोग्राम (Man and Biosphere Reserve Program) के निर्धारित मानकों के अंतर्गत जैव-आरक्षिति क्षेत्र घोषित किया जाता है।
Biosphere Reserves In India In Hindi के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। यहाँ आपको भारत के सभी प्रमुख बायोस्फीयर रिजर्व सम्बंधित जानकारी प्रदान की गयी है।
किसी क्षेत्र को बायोस्फीयर रिजर्व घोषित करने पर सम्बंधित क्षेत्र में जैव-विविधता का बेहतर तरीके से संरक्षण हो पाता है। साथ ही आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए भी सम्बंधित क्षेत्र में समुचित उपाय किए जाते है। मानवीय विकास एवं जैव-संरक्षण के लिए बायोस्फीयर रिजर्व महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
भारत का सबसे बड़ा बायोस्फीयर कच्छ का रण बायोस्फीयर रिजर्व है जिसे की वर्ष 2008 में जैव-आरक्षिति क्षेत्र घोषित किया गया है। कच्छ का रण बायोस्फीयर रिजर्व को भारत में जंगली गधों का एकमात्र निवास स्थल माना जाता है। यहाँ एशियाई जंगली गधे पाए जाते है।
भारत का सबसे छोटा बायोस्फीयर रिजर्व डिब्रू-सैखोवा बायोस्फीयर रिजर्व है जिसे की वर्ष 1997 में जैव-आरक्षिति क्षेत्र घोषित किया गया है। यह असम राज्य में है।
भारत का प्रथम बायोस्फीयर रिजर्व नीलगिरी बायोस्फीयर रिजर्व है जिसे की वर्ष 1986 में जैव आरक्षिति क्षेत्र घोषित किया गया था। यह केरल, कर्नाटक एवं तमिलनाडु राज्य के मिलन बिंदु पर स्थित है।
नोकरेक बायोस्फीयर रिजर्व भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मेघालय में स्थित है। नोकरेक बायोस्फीयर रिजर्व को वर्ष 1988 में जैव-आरक्षिति क्षेत्र घोषित किया गया है। यह बायोस्फीयर रिजर्व पूर्वी हिमालय क्षेत्र में स्थित है।
जैव-संरक्षण हेतु बायोस्फीयर रिजर्व परियोजना को वर्ष 1971 से यूनेस्को के द्वारा संचालित किया जा रहा है। यह परियोजना मैन एंड बायोस्फीयर रिज़र्व प्रोग्राम (Man and Biosphere Reserve Program) के अंतर्गत संचालित की जा रही है।