प्रत्येक धर्म की अपनी अपनी मानयताएं और गुरु होते है। सिख धर्म भी सभी धर्मो में से एक है। सिख धर्मो में गुरु नानक जी की काफी मान्यता है। क्योंकि गुरु नानक देव जी सिख धर्म के पहले गुरु थे। इनके बाद भी सिख धर्मों के बहुत से गुरु थे। जिनके बारे में आज हम बात करेंगे सिख गुरुओं के नाम हिंदी में | Sikh Guru Name list और जानेगे सिख धर्म के गुरुओ के बारे में। सिख धर्म के बारे में तो आप सब जानते ही होंगे आज हम सिख गुरुओं की ही बात करेंगे और इनके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करेंगे।
तो दोस्तों अगर आप भी सिख गुरुओं के नाम हिंदी में जानना चाहते है। तो उसके लिए आप सभी को हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ना होगा। क्योंकि लेख में ही हमने इससे सम्बंधित जानकारी प्रदान की हुई है। इसलिए यह जानकारी प्राप्त करने के लिए लेख में दी गयी जानकारी को ध्यान से पढ़े एवं इससे संबंधित जानकारी प्राप्त करें
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Sikh Guru Name list
सिख धर्म में मुख्य रूप से 10 गुरु है, सिख गुरुओं के नाम निम्न है :-
1) गुरु नानक देव जी (1469-1539)
सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरु नानक देव जी है। गुरु नानक देव जी सिख धर्म के प्रचारक भी है और इन्होने ही सिख धर्म की स्थापना भी की थी। इनका जन्म 15 अप्रैल 1469 में तलवंडी नमक स्थान पर हुआ था। नानक जी के पिता जी का नाम कल्यानचंद और माता जी का नाम तृपुरा था। उनकी पत्नी का नाम सुलक्खनी था। नानक जी के जन्म के बाद तलवंडी का नाम नानकाना पड़ गया था। वर्तमान में ये जगह पाकिस्तान में है। 1496 में गुरु नानक देव जी को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। गुरु नानक जी ने संगत और पंचशील की स्थापना की थी जहाँ संगत का अर्थ होता है धर्मशाला और पचशील का अर्थ होता है लंगर लगाना।
2) गुरु अंगद देव जी (1539-1552)
गुरु अंगद देव जी सीखो के दूसरे गुरु है। इनका जन्म फ़िरोज़पुर में 31 मार्च 1504 में हुआ था। गुरु नानक देव जी ने अपने दोनों पुत्रो को उत्तराधिकारी न बनाते हुए इनको अपना उत्तराधिकारी बनाया था। इनके पिता जी का नाम फेरु तथा माता जी का नाम रामा था। इनकी पत्नी का नाम खीवी था। इनको लहिणा के नाम से भी जाना जाता है। गुरु अंगद देव जी करीब 7 सालो तक गुरु नानक देव जी के साथ रहे और उनके बाद गद्दी को संभाला। इन्होने जात-पात का भेदभाव खत्म करके लंगर प्रथा चलायी और पंजाबी भाषा का प्रचार शुरू किया।
3) गुरु अमर दास जी (1552-1574)
गुरु अमर दास जी सिख धर्म के तीसरे गुरु है। जब ये 61 साल के थे तब इन्होने गुरु अंगद देव जी को अपना गुरु बनाया और लगातार उनकी सेवा की थी। गुरु अंगद देव जी ने उनकी सेवा देखकर अपनी गद्दी इनको सौंपी थी। इन्होने सती प्रथा का विरोध किया और अंतर जातीय विवाह का समर्थन किया। विधवा विवाह को भी बढ़ावा दिया।
4) गुरु रामदास जी (1574-1581)
गुरु रामदास जी सिख धर्म के चौथे गुरु है। गुरु अमरदास जी ने अपनी गद्दी अपने दामाद गुरु रामदास जी को सौंपी और गुरु रामदास जी सिख धर्म के चौथे गुरु बने। गुरु रामदास जी ने अमृत-सरोवर नामक नगर की स्थापना 1577 में की थी जो वर्तमान में अमृतसर के नाम से जाना जाता है। इन्होने शरण सरोवर का निर्माण करवा कर उसमे हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) बनवाया था जिसकी नीव सूफी संत मिया मीर जी से रखवाई गयी थी।
5) गुरु अर्जुन देव जी (1581-1606)
गुरु अर्जुन देव जी सिख धर्म के पाँचवे गुरु है। इनका जन्म 15 अप्रैल 1563 में हुआ था। गुरु अर्जुन देव जी सिख धर्म के चौथे गुरु रामदास जी के पुत्र थे।धार्मिक ग्रन्थ की रचना का श्रेय भी इन्ही को जाता है।
6) गुरु हरगोविंद सिंह जी (1606-1645)
गुरु हरगोविंद सिंह जी सिख धर्म के छठे गुरु है। गुरु हरगोविंद सिंह जी पांचवे सिख गुरु अर्जुन देव जी के पुत्र थे। इन्होने ही सिख पंथ को राजकुमार का रूप प्रदान किया था। गुरु गोविन्द सिंह जी 12 वर्ष तक मुग़ल कैद में रहे और रिहा होने के बाद शाहजहाँ के खिलाफ बगावत छेड़ दी थी और 1628 में अमृतसर के नजदीकी युद्ध में शाही मुगलो हो हरा दिया था। इन्होने अकाल तख्त का निर्माण भी करवाया था।
7) गुरु हरराय जी (1645-1661)
गुरु हरराय जी सिख धर्म के सातवे गुरु है। यह सिख धर्म के छठे गुरु हरगोविंद सिंह जी के बेटे गुरदीता जी के छोटे बेटे थे। गुरु हरराय जी की पत्नी का नाम किशन कौर था और उनके दो बेटे राम राय और हरकिशन साहिब जी थे।
8) गुरु हरकिशन साहिब जी (1661-1664)
गुरु हरकिशन साहिब जी सिख धर्म के आठवे गुरु है। ये सिख धर्म के सातवे गुरु हरराय जी के ही बेटे है। इनका जन्म 7 जुलाई 1556 में करतापुर शाहिब में हुआ था। जब इनको गद्दी मिली तब ये केवल 5 वर्ष के थे। उम्र कम होने के कारण औरंगजेब ने इनका विरोध किया इस विवाद को सुलझाने के लिए औरंजेब से मिलने के लिए दिल्ली गयी तो वह फैली महामारी चेचक से वे भी ग्रस्त हो गए और 30 मार्च 1664 को उनका निधन हो गया। अपने अंतिम क्षणों में उनके मुख से बाबा वकाले शब्द निकले जिसका अर्थ टी है की अगली शिक्षा बाबा वकाले गांव से धुंडी जाये।
9) गुरु तेग बहादुर जी (1664-1675)
गुरु तेग बहादुर जी सिख धर्म के नौवे गुरु है। इनका जन्म 18 अप्रैल 1621 को पंजाब में हुआ था। गुरु तर्ज बहादुर जी को हिंद की चादर कहा जाता है। इन्होने धार्मिक स्वतंत्रा के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था। इन्होने कश्मीरी पंडितो और हिन्दुओ को बलपूर्वक इस्लाम धर्म स्वीकार करवाने पर औरंगजेब का विरोध किया था। गुरु तेग बहादुर जी ने कहा था शीश कटवा देंगे लेकिन केश नहीं। औरंजेब ने 24 नवंबर 1675 में चांदनी चौक में इनका शीश कटवा दिया था। इनके शहीद स्थान को शीश गंज के नाम से जाना जाता है और वही शीशगंज साहिब नामक गुरुद्वारा भी है।
10) गुरु गोबिंद सिंह जी (1675-1699)
गुरु गोबिंद सिंह जी सिख धर्म के दसवे गुरु है। इनका जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना में हुआ था। गुरु गोबिंद सिंह जी नोवे गुरु तेग बहादुर जी के पुत्र थे ये मात्र 9 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठे थे। इन्होने खालसा पंथ की स्थापना की और गुरु प्रथा को समाप्त कर दिया। गुरु गोविन्द सिंह जी ने सिख धर्म के पांचवे गुरु द्वारा रचित गुरु ग्रन्थ साहिब जी को ही अगला गुरु बनाया।
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सिख गुरुओं के नाम से सम्बंधित प्रश्न व उनके उत्तर
सिख धर्म के ग्रन्थ का नाम गुरु ग्रन्थ साहिब है।
सिख धर्म के पांचवे गुरु गोविन्द सिंह जी ने गुरु ग्रन्थ साहिब की रचना की थी।
सिख धर्म के नौवें गुरु तेग बहादुर जी का औरंजेब ने शीश कटवा दिया था।
सिख धर्म के प्रथम गुरु नानक देव जी है।to dosto