पंजाब केसरी की उपाधि से विभूषित लाला लाजपत राय भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाने वाले नेताओ में शामिल किए जाते है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पंजाब में प्रमुख क्रांतिकारी नेता के रूप में स्थापित लाला लाजपत राय कांग्रेस की गरम दल विचारधारा वाले नेताओ में प्रमुख थे। भारत में बैंकिंग व्यवस्था को शुरू करने एवं निर्धनों के हित के लिए कार्य करने में लाला लाजपत राय द्वारा अनेक कार्यक्रम एवं संस्थाएँ शुरू की गयी थी। अपने क्रांतिकारी जीवन के दौरान उन्होंने भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव एवं चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारी नौजवानों को प्रेरित किया था। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको ‘पंजाब केसरी’ लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है। साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आप लाला लाजपत राय जयंती 2023 एवं उनके बलिदान दिवस के सम्बन्ध में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
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लाला लाजपत राय जयंती 2023
लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) की जयंती प्रतिवर्ष 28 जनवरी को मनायी जाती है। भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी एवं सामाजिक सुधार के अग्रणी दूत लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब के मोगा जिले में हुआ था। वर्ष 2023 में लाला लाजपत राय जयंती, शनिवार 28 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी।
जानें ‘पंजाब केसरी’ की वीर गाथा
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गरम दल के नेता के रूप में प्रमुख भूमिका निभाने वाले लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को पंजाब राज्य के मोगा जिले में स्थित दुधिके नामक स्थान पर हुआ था। बचपन से ही देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत लाला लाजपत राय द्वारा प्रारंभिक शिक्षा रेवाड़ी, पंजाब से पूरी करने के पश्चात विधि की शिक्षा ली गयी जिसके बाद इन्होने कुछ समय तक हिसार एवं रोहतक जिलों में वकालत का कार्य भी किया। अपने जीवन को देशसेवा के लिए समर्पित करने के उद्देश्य से इन्होने सभी प्रमुख आंदोलनों में भाग लेना प्रारम्भ कर दिया।
आजादी के आंदोलन के दौरान इन्होने पंजाब क्षेत्र में स्वतंत्रता की अलख जगायी एवं युवाओ को स्वतंत्रता आंदोलन हेतु प्रेरित करने लगे। पंजाब क्षेत्र में स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता एवं क्रांतिकारी विचारधारा का प्रमुख व्यक्तित्व होने के कारण इन्हे ‘पंजाब केसरी’ (Punjab Kesari) एवं ‘पंजाब का शेर’ या शेर-ए-पंजाब (Lion of Punjab) उपाधि से सम्बोधित किया गया। अपने जीवनकाल में इन्होने निर्धनों की सहायता के लिए शिक्षा एवं समाज के उत्थान के लिए अनेक कार्य किये।
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लाल-बाल-पाल तिकड़ी के सूत्रधार
शुरू से ही गरम विचारधारा का समर्थक होने के कारण लाला लाजपत राय क्रांति में विश्वास रखते थे। वर्ष 1905 में अंग्रेजो के द्वारा बंगाल का विभाजन किए जाने के कारण उनका यह विश्वास दृढ़ हो गया एवं वे अंग्रेजी शासन से मुक्ति हेतु क्रांति को ही एकमात्र रास्ता मानने लगे। इसी के फलस्वरूप वर्ष 1907 के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस का 2 भागों में विभाजन हो गया जिन्हे क्रमश गरम दल एवं नरम दल कहा गया। कांग्रेस के गरम दल का नेतृत्व विपिन चन्द्र पाल, बाल गंगाधर तिलक और लाला लाजपत राय की तिकड़ी कर रही थी इसी कारण से इस तिकड़ी को ‘लाल-बाल-पाल’ का नाम दिया गया। 20वीं सदी के प्रारंभिक 2 दशको तक स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व कांग्रेस के गरम दल ने किया था।
पंजाब नेशनल बैंक के संस्थापक
देश में वित्तीय सुगमता को बढ़ाने एवं भारतीयों को बैंकिंग सुविधा का लाभ देने के लिए लाला लाजपत राय द्वारा 19 मई 1894 को भारत के प्रथम स्वदेशी बैंक पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank) की स्थापना की थी। इस कार्य में इनका सहयोग दयाल सिंह मजीठिया द्वारा किया गया था। साथ ही ‘कांगड़ा वैली रिलीफ कमेटी, एवं सर्वेट आफ पीपल सोसायटी’ संस्थाओ के माध्यम से उन्होंने देश सेवा में अमूल्य योगदान दिया।
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स्वतंत्रता संग्राम में रहा प्रमुख योगदान
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लाला लाजपत राय द्वारा गरम दल का नेतृत्व किया गया एवं देश के युवाओ का स्वतंत्रता आंदोलन हेतु आह्वान किया गया। साथ ही इस दौरान वे समाज सेवा से जुड़े अन्य कार्य भी करते रहे। आर्य समाज के सम्पर्क में आने के बाद उन्होंने छुआछूत, जातिवाद, साम्प्रदायिकता एवं निर्धनता उन्मूलन के लिए विभिन कार्य किये। साथ ही समाज में शिक्षा एवं जागरूकता को बढ़ाने के लिए देश में दयानन्द एंग्लो वैदिक विद्यालयों जिन्हे वर्त्तमान में डीएवी स्कूल एवं कॉलेज कहा जाता है की नींव भी डाली।
साइमन कमीशन का विरोध
वर्ष 1928 के वर्ष ब्रिटिश सरकार द्वारा साइमन कमीशन को भारत भेजा गया। इस कमीशन में एक भी भारतीय सदस्य नहीं था जिसके कारण भारतीयों द्वारा इस कमीशन का विरोध किया जा रहा था। 30 अक्टूबर 1928 को लाहौर में साइमन कमीशन के विरुद्ध प्रदर्शन के दौरान लाला लाजपत राय को लाठीचार्ज में गंभीर चोटे आयी थी जिसके कारण 17 नवंबर 1928 को इनका निधन हो गया।
लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि
साइमन कमीशन का विरोध में घायल लाला लाजपत राय 17 नवंबर 1928 को शहीद हो गए। विरोध प्रदर्शन के दौरान चोटिल होने पर उन्होंने कहा था की “मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील का काम करेगी।” आखिर उनकी यह भविष्यवाणी सत्य साबित हुयी एवं 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजो की भारत को स्वतंत्र करना पड़ा। भारत के इस महान सपूत के बलिदान को स्मरण करने के लिए प्रतिवर्ष 17 नवंबर को लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि मनायी जाती है।
लाला लाजपत राय सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
लाला लाजपत राय की जयंती प्रतिवर्ष 28 जनवरी को मनायी जाती है।
पंजाब केसरी की उपाधि से लाला लाजपत राय को सम्मानित किया गया था।
लाल-बाल-पाल तिकड़ी में लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक एवं बिपिन चंद्र पाल शामिल थे।
पंजाब नेशनल बैंक की स्थापना 19 मई 1894 को लाला लाजपत राय एवं दयाल सिंह मजीठिया द्वारा की गयी थी।
लाला लाजपत राय की पुण्यतिथि प्रतिवर्ष 17 नवंबर को मनाई जाती है।