वर्ष 1971 में दुनिया के नक़्शे पर एक नए राष्ट्र का उदय हुआ था जब भारतीय सेना के पराक्रम से बांग्लादेश को पाकिस्तान के अत्याचारों से मुक्ति दिलाकर एक नए राष्ट्र के रूप में मान्यता दी गयी। भारतीय सेना द्वारा वर्ष 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध में असाधारण वीरता का परिचय दिया गया था। पूरी दुनिया के दबावों के बावजूद भी भारत द्वारा वर्ष 1971 के बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में सर्वाधिक अहम योगदान दिया गया था। भारतीय सेना द्वारा इस युद्ध में किए गए अभूतपूर्व शौर्य प्रदर्शन के कारण बांग्लादेश को अंतत एक नवीन राष्ट्र के रूप में मान्यता मिली एवं पाकिस्तान को अपने जीवनकाल की सबसे करारी हार का सामना करना पड़ा था। भारतीय सैनिकों के बांग्लादेश स्वतंत्रता में योगदान को ध्यान में रखते हुए प्रतिवर्ष भारतीय सेना द्वारा विजय दिवस (Vijay Diwas 2022) का आयोजन किया जाता है।
Sushasan Diwas | सुशासन दिवस कब मनाया जाता है
आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको विजय दिवस (Victory day) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले है। साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से Vijay Diwas के इतिहास व महत्व के बारे में भी सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी।
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विजय दिवस (Victory day)
भारतीय सेना द्वारा वर्ष 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता युद्ध में किए गए अभूतपूर्व साहस के प्रदर्शन के उपलक्ष में प्रतिवर्ष विजय दिवस या विक्ट्री डे का आयोजन किया जाता है। वर्ष 1971 में पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश की अस्मिता को कुचलते हुए बांग्लादेशी जनता पर विभिन प्रकार के अत्याचार किए जा रहे थे। पाकिस्तान द्वारा बांग्लादेश वासियों के राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों के दमन के फलस्वरूप बांग्लादेश में स्वतंत्रता की मांग उठने लगी थी जिसके पश्चात बांग्लादेश द्वारा मुक्ति वाहिनी (Mukhti Bahini) की स्थापना की गयी थी।
भारतीय सेना द्वारा बंगाल के स्वतंत्रता संग्राम में बांग्लादेश की गुरिल्ला सेना को सैनिक सहायता एवं ट्रेनिंग प्रदान की गयी थी। इस युद्ध में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान को बुरी तरह से पराजित किया गया एवं बांग्लादेश को नवीन देश के रूप में मान्यता प्रदान की गयी। भारतीय सेना के वर्ष 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में विजय के फलस्वरूप प्रतिवर्ष 16 दिसंबर को विजय दिवस (Victory day) का आयोजन किया जाता है।
विजय दिवस कब मनाया जाता है ?
विजय दिवस (Victory day) को प्रतिवर्ष 16 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिवस को भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान पर विजय के उपलक्ष में आयोजित किया जाता है। 16 दिसंबर 1971 को ही भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण किया गया था जिसके फलस्वरूप इस दिन को विजय दिवस के रूप में मनाया गया। वर्ष 1971 का भारत पाकिस्तान युद्ध इतिहास में महत्वपूर्ण है चूँकि इसी युद्ध के परिणामस्वरुप दुनिया के नक़्शे पर बांग्लादेश का उदय हुआ था।
विजय दिवस क्यों मनाया जाता है ?
विजय दिवस (Victory day) का आयोजन प्रतिवर्ष 16 दिसंबर को किया जाता है। इस दिवस को वर्ष 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना की अभूतपूर्व विजय के फलस्वरूप मनाया जाता है। वर्ष 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सैनिको द्वारा अभूतपूर्व साहस का प्रदर्शन किया गया था एवं पाकिस्तान को अपने जीवनकाल की सबसे करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस युद्ध में पाकिस्तान के 93,000 सैनिको ने आत्मसमर्पण किया था जो की वर्तमान तक दुनिया के किसी भी देश के सैनिको का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाता है। साथ ही बांग्लादेश की मुक्ति के लिए भी यह दिन अहम है।
विजय दिवस का इतिहास
विजय दिवस के इतिहास के विषय में जानने से पूर्व हमे बांग्लादेश के इतिहास के बारे में जानना आवश्यक है। वर्ष 1971 से पूर्व बांग्लादेश पाकिस्तान का ही एक हिस्सा था जिससे की “पूर्वी पाकिस्तान” कहा जाता था। पाकिस्तान द्वारा पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक रूप में विभिन अधिकारों से वंचित किया गया था। वर्ष 1971 के आम चुनावो में पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बांग्लादेश) के एक लोकप्रिय नेता शेख़ मुजीबुर रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) द्वारा जीत दर्ज करने पर भी पाकिस्तान द्वारा उन्हें प्रधानमन्त्री पद प्रदान नहीं किया गया एवं बांग्लादेश के लोगों का नरसंहार शुरू कर दिया गया।
पाकिस्तान के अत्याचारों के फलस्वरूप बांग्लादेश में विद्रोह की आग भड़क उठी एवं एक गुरिल्ला फ़ोर्स “मुक्ति वाहिनी” का गठन किया गया जिसे की भारत सरकार द्वारा विभिन प्रकार की सहायता तथा भारतीय सेना द्वारा आर्मी ट्रेनिंग एवं असिस्टेंस प्रदान की गयी। पाकिस्तान के अत्याचारों के फलस्वरूप बांग्लादेश द्वारा भारत सरकार से सहायता मांगी गयी जिसके तहत भारत सरकार द्वारा बांग्लादेश को आवश्यक सहायता प्रदान की गयी। पाकिस्तान के हमले के पश्चात भारतीय सेना द्वारा पलटवार किया गया एवं पूर्वी पाकिस्तान को बांग्लादेश के कब्जे से मुक्त कराया गया। इसी विजय के उपलक्ष में प्रतिवर्ष विजय दिवस का आयोजन किया जाता है।
Vijay Diwas का महत्व
Vijay Diwas भारतीय सेना के शौर्य एवं असाधारण साहस को प्रदर्शित करने का दिवस है। भारतीय सेना द्वारा हमेशा ही देश के दुश्मनों को मुँहतोड़ जवाब दिया गया है एवं अपने प्राणों को बलिदान करके देश के हित में सर्वोच्च त्याग किया गया है। Vijay Diwas भारतीय सेना के उन वीर जवानों के सम्मान का दिवस है जिन्होंने अपने जीवन को दाँव पर लगाकर देश को गर्व करने का अवसर दिया है। भारतीय सेना द्वारा वर्ष 1971 के युद्ध में बांग्लादेश की आजादी के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया गया है एवं वर्तमान बांग्लादेश के निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा की गयी है। विजय दिवस के अवसर पर बांग्लादेश सरकार द्वारा भी 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में वीरगति प्राप्त भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।
विजय दिवस सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
विजय दिवस का आयोजन वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध में भारतीय सेना की विजय के उपलक्ष में मनाया जाता है जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का उदय हुआ।
विजय दिवस को प्रतिवर्ष 16 दिसंबर को मनाया जाता है। वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान के युद्ध में पाकिस्तान द्वारा 16 दिसंबर 1971 को आत्मसमर्पण किया गया था।
विजय दिवस के इतिहास सम्बंधित सम्पूर्ण प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। यहाँ आपको विजय दिवस के इतिहास सम्बंधित सभी जानकारी प्रदान की गयी है।
बांग्लादेश को एक नवीन देश के रूप में वर्ष 1971 में मान्यता मिली थी। इससे पूर्व यह पाकिस्तान का पूर्वी भाग था जिसे की पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था।
वर्ष 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के कारण ही बांग्लादेश का उदय हुआ साथ ही इस युद्ध में भारतीय सेना को अपने इतिहास की सबसे बड़ी विजय प्राप्त हुयी थी जिसमे 93,000 पाकिस्तानी सैनिको द्वारा आत्मसमर्पण किया गया।