इस्लाम धर्म का इतिहास और जानकारी | History Of Islam Dharm In Hindi

इस्लाम धर्म दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मो में शामिल किया जाता है। इस्लाम का अर्थ होता है “अल्लाह को समर्पित” या “अल्लाह को समर्पण”। स्वयं को अल्लाह को समर्पित करने वाले अनुयायी को ही इस्लाम में सच्चा मुसलमान कहा गया है। इस्लाम का मूलभूत सिद्धांत एकमात्र अल्लाह की सत्ता को स्वीकार करके अल्लाह द्वारा बताए गए संदेशो का पालन करके मनुष्यों के बीच एकता एवं भाईचारे का विकास करना है। इस्लाम में अंतिम रसूल और नबी, हजरत मुहम्मद साहब सल्ल. को अल्लाह के पैगम्बर के रूप में मान्यता दी जाती है। 7वीं शताब्दी में अरब के रेगिस्तान से शुरू हुआ हजरत मुहम्मद साहब का पवित्र कुरान का सन्देश आज दुनिया के सभी भूभागों में प्रमुखता से फ़ैल चुका है। वर्तमान में दुनिया में करोड़ो लोग इस्लाम धर्म के अनुयायी है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इस्लाम धर्म का इतिहास और जानकारी (History Of Islam Dharm In Hindi) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है। Islam Dharm History & Facts In Hindi सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के अतिरिक्त इस आर्टिकल के माध्यम से आपको इस्लाम धर्म से सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओ से भी अवगत कराया जायेगा।

इसपर भी गौर करें :- हज मक्का मदीना यात्रा की जानकारी

इस्लाम धर्म का इतिहास
इस्लाम का इतिहास

Article Contents

यहाँ भी देखें -->> क्विज खेलकर इनाम कमाएं

इस्लाम धर्म का उदय – Islam Dharm Story in Hindi

इस्लाम धर्म का उदय 7वीं शताब्दी में अरब में हुआ। हालांकि कुछ विद्वान इस्लाम का जन्म आदिकाल से मानने का तर्क भी देते है परन्तु इस्लाम को एक धर्म के रूप वैश्विक पटल पर स्थापित करने का श्रेय पैगम्बर मुहम्मद साहब (Prophet Muhammad) को ही दिया जाता है। पैगम्बर मुहम्मद साहब के द्वारा पवित्र कुरान का संदेश दिया गया था। पैगम्बर साहब को इस्लाम धर्म में ईश्वर के संदेशवाहक के रूप में माना जाता है जिन्होंने दुनिया में मानवता की स्थापना एवं लोगो की बीच प्रेम और भाईचारे की स्थापना के लिए कुरान का पवित्र सन्देश दिया था। इस्लाम में अल्लाह को ही सर्वशक्तिमान, सर्वशक्तिशाली, एकमात्र सत्ता और जगत के रचयिता के रूप में माना जाता है। इस्लाम में अल्लाह को “ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर्रसूलुल्लाह “अर्थात ‘अल्लाह एक है, उसके अलावा कोई दूसरा (दूसरी सत्ता) नहीं और मुहम्मद उसके रसूल या पैगम्बर‘ कहकर सबसे महान एवं पवित्र बताया गया है। कुरान के पवित्र संदेशो का पालन करने तथा अल्लाह पर ऐतबार लाने वाले लोगो को ही इस्लाम में मुस्लिम कहा गया है।

हजरत मुहम्मद साहब का प्रारंभिक जीवन

हजरत मुहम्मद साहब का जन्म 570 ई. में मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। पैगम्बर मुहम्मद के पिता का नाम अब्दुल्ला व माता अमीना थी। इनके जन्म के कुछ समय पश्चात ही इनके पिता का देहांत हो गया था जिसके पश्चात इनके चाचा अबू तालिब द्वारा इनका पालन पोषण किया गया। इस्लाम धर्म में हजरत मुहम्मद साहब के जन्मदिवस का अत्यंत महत्व है चूँकि यह दिन इस्लाम के अनुयायियों का पैगम्बर साहब से मिलने का दिन होता है। यही कारण है की मुस्लिम इस दिवस को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (EID-E-Milad-Un-Nabi) के रूप में मनाते है।

हजरत मुहम्मद साहब के जन्म के समय अरब में मुख्यत जनजातीय कबीलों एवं घुमक्कड़ जातियों का शासन था जहाँ सदैव हिंसा, महिलाओं एवं बच्चों के साथ दुर्व्यहवार एवं लड़ाई-झगडे चलते रहते थे। ऐसे समय में अरब की धरती पर हजरत मुहम्मद साहब ज्ञान का प्रकाश लेकर आये एवं कुरान के द्वारा सभी कबीलों को अल्लाह के मार्ग पर चलने का सन्देश दिया।

पैगम्बर मुहम्मद को पवित्र कुरान की प्राप्ति

पैगम्बर मुहम्मद अपनी युवावस्था में व्यापारिक गतिविधियों में संलग्न रहे। हालांकि इस दौरान वे अपने कबीले के लोगों के हित को लेकर भी निरंतर चिंतनशील रहते थे। तत्पश्चात व्यापारिक गतिविधियों को त्यागकर वे ज्ञान प्राप्ति हेतु हीरा की गुफा में चले गए जिसे इस्लाम में जबल-ए-नूर के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ चिंतन मनन एवं ध्यान के दौरान 610 ई. में मुहम्मद साहब को अल्लाह के दूत गैब्रियल जिन्हें इस्लाम में जिब्राईल कहा जाता है ने दर्शन दिए एवं मुहम्मद साहब को अरबी में कुरान का पवित्र सन्देश दिया। जिब्राईल द्वारा मुहम्मद साहब को अल्लाह के संदेशो को मानवता की भलाई हेतु प्रचार-प्रसार की आज्ञा दी गयी। इसके पश्चात पैगम्बर मुहम्मद अरबवासियों को कुरान का सन्देश देने लगे। कुरान शरीफ इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र ग्रन्थ है जिसमे मुहम्मद साहब की शिक्षाओ का वर्णन है। कुरान शरीफ में कुल 30 पारे, 114 सूरतें और 540 रुकूअ एवं 6666 (छः हज़ार छः सौ छियासठ) आयतें है।

यह भी पढ़े :- बुर्का, हिजाब और नकाब में क्या अंतर है ?

हिजरी सम्वत की शुरुआत

जिब्राईल द्वारा अल्लाह के सन्देश के प्रचार की आज्ञा प्राप्त करने के पश्चात पैगम्बर मुहम्मद अरबवासियों के मध्य इस्लाम धर्म का प्रचार-प्रसार करने लगे। चूँकि वे लोगो को अल्लाह का सन्देश दे रहे थे जो बात अरब के अभिजात्य वर्ग के लोगों को पसंद नहीं आयी एवं उन्होंने मुहम्मद साहब का पुरजोर विरोध करना शुरू कर दिया। अंतत पैगम्बर मुहम्मद द्वारा अपने अनुयायियों के साथ 622 ई. में मक्का से मदीना का कूच किया गया जिसे इस्लाम में ‘हिजरत’ के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष से इस्लाम धर्म का कैलेंडर हिजरी सम्वत की शुरुआत भी हुयी। प्रारंभ में इस्लाम स्थापित करने में मुहम्मद साहब को विभिन प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड़ा। धीरे-धीरे लोग मुहम्मद साहब के पवित्र सन्देश एवं कुरान शरीफ की शिक्षाओं की ओर आकर्षित होने लगे एवं इस्लाम तेजी से लोकप्रिय होने लगा। वर्ष 630 में मुहम्मद साहब द्वारा अपने अनुयायियों के साथ मिलकर मक्का पर विजय प्राप्त की गयी। इस्लाम का पवित्र सन्देश देने वाले पैगम्बर मुहम्मद 632 ई. में दुनिया से पर्दा कर गए।

मोहम्मद साहब के पश्चात इस्लाम का प्रसार

मोहम्मद साहब के निधन के पश्चात इस्लाम में उनके उत्तराधिकारी को लेकर मतभेद उत्पन हो गया। कुछ लोग मुहम्मद साहब की बेटी फातिमा के पति अर्थात मुहम्मद साहब के दामाद अली को मुहम्मद साहब का उत्तराधिकारी मानते थे तो कुछ लोग मुहम्मद साहब की शिक्षाओं अर्थात सुन्ना को ही इस्लाम का गुरु मानते है। वर्ष 661 ई. में अली एवं वर्ष 680 में अली के पुत्र हुसैन की हत्या (कर्बला के मैदान में) कर दी गयी जिसके पश्चात इस्लाम दो भागो में विभाजित हो गया :-

  • शिया- मुहम्मद साहब के दामाद अली को पैगम्बर का उत्तराधिकारी मानने वाले
  • सुन्नी- मुहम्मद साहब की शिक्षा अर्थात सुन्ना को मानने वाले

दुनिया में इस्लाम का प्रसार

मुहम्मद साहब के निधन के पश्चात उनके अनुयायियों के द्वारा इस्लाम का तीव्र गति से प्रचार-प्रसार किया गया। इस्लाम में जातिप्रथा का अभाव होना एवं सभी मनुष्यों का अल्लाह के सम्मुख एक होने के सिद्धांत ने विभिन समुदाय के लोगो को तेजी से इस्लाम की ओर आकर्षित किया एवं इस्लाम के अनुयायियों की सँख्या में तेजी से वृद्धि होने लगी। अपने उद्भव के कुछ ही समय के पश्चात इस्लाम धर्म दुनिया के सभी भूभागों में फ़ैल गया एवं दुनिया में करोड़ो लोग इस्लाम धर्म के अनुयायी बन गए। वर्तमान में दुनिया में 1.8 अरब से अधिक लोग जो की दुनिया की कुल आबादी का लगभग 24 फीसदी है इस्लाम धर्म का पालन करते है। इस्लाम के अनुयायी मुहम्मद साहब की पवित्र शिक्षाओं एवं मानवता के संदेशो का पालन करते है।

भारत में इस्लाम का उदय

भारत में इस्लाम का उदय 8वीं शताब्दी में हुआ। भारत का पहला अरब आक्रमण 712 ई. में मुहम्मद-बिन-कासिम के नेतृत्व में सिंध पर किया गया। उस समय सिंध पर ब्राह्मण राजा दाहिर का शासन था। अरबो द्वारा सिंध विजय के पश्चात भारत की भूमि पर इस्लाम का प्रचार किया गया। अरबो के पश्चात तुर्क, ईरानी एवं मुग़ल शासको ने भारत में विशाल साम्राज्य स्थापित किया एवं देश में इस्लाम का प्रचार-प्रसार किया।

इस्लाम धर्म का इतिहास और जानकारी सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

इस्लाम धर्म का संस्थापक किसे माना जाता है ?

इस्लाम धर्म का संस्थापक पैगम्बर मुहम्मद साहब को माना जाता है जिन्होंने पवित्र कुरान के माध्यम से अल्लाह के सन्देश को मानवता की भलाई के लिए प्रचारित किया था।

पैगम्बर मुहम्मद साहब का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?

पैगम्बर मुहम्मद साहब का जन्म 570 ई. में मक्का, सऊदी अरब में हुआ था। इनके पिता का नाम अब्दुल्ला व माता अमीना थी। इनका विवाह 25 वर्ष की उम्र में खदीजा नाम की विधवा से हुआ था। मुहम्मद साहब के जन्मदिवस को इस्लाम में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (EID-E-Milad-Un-Nabi) त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।

पैगम्बर मुहम्मद को ज्ञान की प्राप्ति कब हुयी थी ?

वर्ष 610 में हीरा गुफा में ध्यानमग्न पैगम्बर को अल्लाह के दूत गैब्रियल द्वारा अरबी भाषा में पवित्र कुरान सम्प्रेषित की गयी थी जिसके पश्चात मुहम्मद साहब द्वारा कुरान का सन्देश दिया गया।

इस्लाम धर्म का इतिहास सम्बंधित जानकारी प्रदान करें ?

इस्लाम धर्म का इतिहास सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल चेक करें। यहाँ आपको History Of Islam Dharm In Hindi सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है।

इस्लाम का सबसे पवित्र ग्रन्थ कौन सा है ?

इस्लाम का सबसे पवित्र ग्रन्थ कुरान शरीफ है जो मुहम्मद साहब के शिक्षाओं का संकलन है। कुरान में मानवता, भाईचारे एवं पवित्रता का सन्देश दिया गया है।

मुस्लिम कैलेंडर की शुरुआत कब हुयी ?

मुहम्मद साहब द्वारा वर्ष 622 ई. में अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना की यात्रा की गयी थी जिसे इस्लाम में हिजरत के नाम से जाना जाता है। वर्ष 622 ई. में ही इस्लामी कैलेंडर हिजरी सम्वत की शुरुआत हुयी।

भारत में पहला मुस्लिम आक्रमण किस वर्ष हुआ था ?

भारत में पहला मुस्लिम आक्रमण 712 ई. में मुहम्मद-बिन-कासिम के नेतृत्व में सिंध पर किया गया। उस समय सिंध पर ब्राह्मण राजा दाहिर का शासन था।

Leave a Comment

Join Telegram