नमस्कार दोस्तों जैसा की आप सभी जानते है की की हमारे इस हिन्दू धर्म में बहुत से त्यौहार मनाये जाते है। आप सभी यह तो जानते होंगे की होली का त्यौहार भारत में काफी लोकप्रिय माना जाता है। यह त्यौहार हर वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष के आखरी माह यानि के फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। आप सभी यह तो जानते होंगे की होली का त्यौहार रंगों के त्यौहार के नाम से भी जाना जाता है। जिसको लोग बहुत ही धूम धाम से मनाते है। लेकिन क्या आप सभी यह जानते है की कब से मनाया जा रहा है होली का त्यौहार और क्या आप History of Holi जानते है। अगर नहीं तो आप में से किसी को भी चिंतित होने की बिलकुल भी आवश्यकता नहीं है। क्योंकि आज हम आप सभी को हमारे इस लेख के जरिये होली के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है।
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तो दोस्तों अगर आप भी History of Holi के बारे में जानना चाहते है। तो आज हम आप सभी को हमारे इस लेख के जरिए होली के बारे में बहुत सी जानकारी प्रदान करने वाले है। जैसे की – History of Holi: कब से मनाया जा रहा है होली का त्योहार | होली के त्योहार का इतिहास और महत्व आदि जैसी कई अन्य जानकारी। तो दोस्तों अगर आप भी होली के त्यौहार का महत्त्व व इतिहास जानना चाहते है। तो उसके लिए आपको हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ना होगा। इसलिए दोस्तों कृपया करके हमारे इस लेख को अंत तक ध्यानपूर्वक पढ़िए
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Article Contents
History of Holi | होली का इतिहास
दोस्तों जैसा की आप सभी जानते है की होली का पर्व बहुत वर्षों से मनाया जा रहा है। जिसके पीछे बहुत सी कथाएं है। जिनमे से एक है। प्रह्लाद की कथा। माना यह जाता है की इस दिन हिरण्यकशिपु (प्रह्लाद के पिता) ने अपनी बहन को होलिका को प्रह्लाद को मारने के लिए कहा था। जिसके पश्चात होलिका ने प्रह्लाद को मारने के बहुत से प्रयास किये लेकिन वह उन सभी में विफल हुई। आपको यह भी बतादे की होलिका को भगवान् शिव के द्वारा वरदान दिया गया था की होलिका को कभी भी अग्नि से जलाया नहीं जा सकता है। इसी वरदान का लाभ उठाते हुए होलिका ने यह योजना बनाई की वह प्रह्लाद को अपनी गोद में बैठाकर चारों ओर आग लगा दी जाए।
जिसके बाद होलिका अपने वरदान के कारण बच जायेगी और प्रह्लाद की अग्नि के कारण मृत्यु हो जायेगी। लेकिन आप सभी यह तो जानते ही होंगे की प्रह्लाद भगवान विष्णु जी का बहुत बड़ा भक्त था। जिसके कारण भगवान विष्णु जी का आशीर्वाद सदैव प्रह्लाद जी के साथ रहता था। जिसकी वजह से कोई भी प्रह्लाद को किसी भी प्रकार का कष्ट पहुंचने में असमर्थ होता था। जिसकी वजह से जब होलिका प्रह्लाद को अपनी गोदी में बैठाकर अग्नि के बीच में बैठ गयी तो तब होलिका ने यह सोचा की वह उस अग्नि से बच जायेगी और प्रह्लाद जलकर भष्म हो जायेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
प्रह्लाद को भगवान विष्णु पर अटूट विश्वास था की भगवान स्वयं उनकी रक्षा करेंगे। इसलिए वह भगवान विष्णु का नाम जपने लगे। उसके बाद जब लकड़ियों में आग लगायी गयी तो भगवान विष्णु की भक्ति के कारण भगवान् विष्णु ने प्रह्लाद की अग्नि से रक्षा की और प्रह्लाद के बजाए होलिका पर उस अग्नि का प्रभाव होने लगा और होलिका इस अग्नि में झुलस कर भष्म हो गयी और प्रह्लाद बिलकुल सुरक्षित बचे रहे और वह तब भी भगवान विष्णु का नाम जपते रहे। उस दिन के बाद से इस दिन को सभी हिन्दू राष्ट्रों में होली का पर्व मनाया जाता है।
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होलिका दहन की कुछ अन्य कथाएं
तो दोस्तों आज हम आप सभी को यहाँ पर होली के पीछे कुछ अन्य कथाएं बताने वाले है। तो अगर आप भी उन कथाओं के बारे में जानना चाहते है। तो कृपया कर दी गयी जानकारी को ध्यान से पढ़े।
- कामदेव जी की कथा – कामदेव की कथा के अनुसार यह बताया गया है की इसी दिन सतयुग में शिव जी ने क्रोध के कारण कामदेव जी को भस्म करने के पश्चात कामदेव की धर्मपत्नी रति को श्री कृष्ण भगवान् के यहाँ पर कामदेव के जन्म लेने का वरदान भी दिया था। इसी कारण से इस दिन को वसंत महोत्सव के नाम से और काम महोत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
- फाग उत्सव की शुरुआत श्री कृष्ण भगवान के द्वारा की गयी थी – सबसे पहले तो आप सभी को यह बतादे की होली को धुलेंडी के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि जब त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। उस समय भगवान विष्णु ने धूलि वंदना की थी। इसलिए ही इस दिन को धुलेंडी के नाम से जाना जाता है। उसके बाद होलिका दहन के अगले दिन यानि के धुलेंडी के दिन इस त्यौहार के शुभ दिन पर रंगों से खेलने की शुरुआत भगवान कृष्ण के द्वारा की गयी थी। तब ही से इस दिन को रंगो से खेला जाता है। उसके साथ साथ आपको बतादे की जब श्री कृष्ण ने राधा पर रंग भी डाला था। उस दिन को रंग पंचमी के नाम से भी जाना जाता था।
होली के त्योहार का महत्त्व
- जैसा की आप सभी जानते है की होली का त्यौहार वसंत के मौसम में आता है। जिसको सर्दियों का अंत भी माना जाता है।
- होली को रंगों का त्यौहार बताया जाता है। रंगों को ख़ुशी का प्रतीक माना जाता है।
- यह त्यौहार भारत के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है। जिसको आज के समय में विश्वभर में मनाया जाता है।
- इस दिन सच्चाई की बुराई पर जीत हुई थी। इसलिए इस त्यौहार को सच्चाई का प्रतीक माना जाता है।
- इस दिन भारत में बहुत से स्थानों पर होलिका दहन भी किया जाता है। ताकि उस अग्नि में पाप भी जलकर भस्म हो सकें।
- इस दिन होलिका की पूजा भी की जाती है। क्योंकि माना जाता है इस दिन होलिका की पूजा करने से सबके घरों में लक्ष्मी निवास करती है।
होली से सम्बंधित कुछ प्रश्न व उनके उत्तर
2023 में होली 8 मार्च के दिन मनाई जायेगी।
प्रह्लाद के पिता का नाम हिरण्यकशिपु था।
होली का महत्त्व
इस दिन सच्चाई की बुराई पर जीत हुई थी। इसलिए इस त्यौहार को सच्चाई का प्रतीक माना जाता है। होली को रंगों का त्यौहार बताया जाता है। रंगों को ख़ुशी का प्रतीक माना जाता है।
इस दिन होलिका की पूजा भी की जाती है। क्योंकि माना जाता है इस दिन होलिका की पूजा करने से सबके घरों में लक्ष्मी निवास करती है।