भारतीय संविधान का इतिहास | History of Indian Constitution in Hindi

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है। संविधान द्वारा भारत को एक संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया है। भारत के लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत हमारा संविधान है जिसके द्वारा सम्पूर्ण देश का संचालन किया जाता है। भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है जिसके निर्माण में दो वर्षो से भी अधिक का समय लगा है। भारतीय संविधान के निर्माण में देश के विभिन महापुरुषों ने अपना योगदान दिया है। स्वतंत्रता के पश्चात शुरू हुआ भारतीय संविधान निर्माण का सफर वर्ष 1950 में पूर्ण हुआ था जिसके पश्चात इसे 26 जनवरी 1950 को देश को समर्पित किया गया। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम भारत के संविधान के सफर के बारे में जानकारी प्राप्त करने वाले है। इस आर्टिकल के माध्यम से आपको भारतीय संविधान का इतिहास (History of Indian Constitution in Hindi) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की जाएगी।

प्रतियोगी परीक्षाओं में संविधान निर्माण एवं भारतीय संविधान से जुड़े विभिन प्रश्न पूछे जाते है ऐसे में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए यह लेख उपयोगी रहने वाला है।

गणतंत्र दिवस क्या है और ये क्यों मनाया जाता है?

यहाँ भी देखें -->> क्विज खेलकर इनाम कमाएं

History of Indian Constitution in Hindi
भारत संविधान का इतिहास

Article Contents

भारतीय संविधान का इतिहास

भारत में ब्रिटिशर्स के आगमन के पश्चात देश में गुलामी का भयावह दौर शुरू हो गया था जिसके कारण भारतीय नागरिको को आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया। औपनिवेशिक काल के दौरान भारतीय नागरिको के मन में स्वतंत्रता की चाह ने जन्म लिया जिसकी परणिति संविधान के रूप में हुयी। स्वतंत्रता के पश्चात देश के नागरिको द्वारा निर्वाचित संविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण का कार्य शुरू किया गया। भारत जैसे विशाल एवं विविधता से भरे देश के लिए संविधान निर्माण एक कठिन चुनौती था परन्तु हमारे संविधान निर्माताओं के द्वारा इस चुनौती की बखूबी निभाया गया।

bhart ka samvidhan

दुनिया के विभिन देशो के संविधान से सभी महत्वपूर्ण एवं आवश्यक प्रावधानों को भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल निर्धारित करके संविधान में शामिल किया गया। औपनिवेशिक काल में उपयोग किए गए विभिन अधिनियमों एवं प्रावधानों को भी भारतीय संविधान में शामिल किया गया। संविधान निर्माताओं के अथाह परिश्रम के फलस्वरूप 2 वर्ष 11 माह एवं 18 दिन की मेहनत के पश्चात देश के संविधान को 26 जनवरी 1950 को देश को समर्पित किया गया।

औपनिवेशिक काल में भारतीय संविधान का विकास

17वीं सदी में व्यापारी के रूप में देश के आए ब्रिटिशर्स द्वारा भारत की आँतरिक कमजोरियों का फायदा उठाते हुए देश को उपनिवेश के रूप में स्थापित किया गया एवं भारत का जमकर दोहन किया जाने लगा। औपनिवेशिक काल में अंग्रेजो का शोषणपूर्ण व्यवहार एवं दोहन नीति के स्वरुप भारत में स्वतंत्रता की मांग उठने लगी। लम्बे संघर्ष एवं स्वतंत्रता आंदोलन के तीव्र होने पर 15 अगस्त 1947 को भारत ब्रिटिशर्स की गुलामी से आजाद हुआ। औपनिवेशिक काल के दौरान देश के संचालन के लिए ब्रिटिशर्स द्वारा विभिन अधिनियम एवं प्रावधान बनाए गए जो की आगे चलकर भारतीय संविधान का आधार बने। इन अधिनियमों का विवरण इस प्रकार है :-

  • रेगुलेटिंग एक्ट (1773) – (Regulating Act 1773​)
  • पिट का इंडिया एक्ट (1784) Pitt’s India Act 1784​)
  • चार्टर एक्ट (1813) (Charter Act of 1813)​
  • चार्टर एक्ट (1833) (Charter Act of 1833)​
  • चार्टर एक्ट (1853) (Charter Act of 1853​)
  • भारत सरकार अधिनियम (1858) (Government of India Act 1858)​
  • भारत परिषद् अधिनियम (1861) (India Council Act of 1861​)
  • भारत परिषद् अधिनियम (1909) (India Council Act of 1909)​
  • भारत सरकार अधिनियम (1919) (Govt. of India Act 1919​)
  • भारत सरकार अधिनियम (1935) (Govt. of India Act 1935​)

ब्रिटिशर्स द्वारा भारत में लागू किए गए अधिनियमों में भारत सरकार अधिनियम (1858) (Government of India Act 1858)​ उल्लेखनीय है। 1857 की क्रांति के पश्चात ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत का शासन कंपनी से लेकर अपने हाथ में लिया गया एवं भारत सचिव की नियुक्ति की गयी। भारतीय संविधान में सर्वाधिक योगदान भारत सरकार अधिनियम (1935) (Govt. of India Act 1935​) का है जिसके द्वारा भारत के संविधान की रूपरेखा तैयार की गयी है। इसके अधिकतर अनुच्छेदों को भारतीय संविधान में शामिल किया गया है।

स्वतंत्रता पश्चात भारतीय संविधान का विकास

स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान संविधान सभा का प्रथम विचार भारत में कम्युनिस्ट पार्टी के अग्रदूत नेता एम. एन. रॉय ने वर्ष 1934 में प्रस्तुत किया गया था। भारतीय स्वतंत्रता के अग्रणी नेता जवाहरलाल नेहरू के द्वारा भारतीय संविधान को बिना किसी बाहरी हस्तक्षेप के भारतीय जनता द्वारा निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के द्वारा निर्मित करने का विचार दिया गया था। स्वतंत्रता से पूर्व संविधान सभा के निर्माण के लिए अगस्त प्रस्ताव (August Offer), 1942 का क्रिप्स मिशन एवं वर्ष 1946 में सर पैथिक लॉरेन्स के नेतृत्व में गठित कैबिनेट मिशन (Cabinet Mission 1946) के द्वारा भारतीय संविधान के निर्माण की नींव रखी गयी। कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर भारतीय संविधान सभा का गठन वर्ष 1946 में ही कर दिया गया। स्वतंत्रता के पश्चात निर्वाचित संविधान सभा के द्वारा भारत के संविधान का निर्माण किया गया।

भारतीय संविधान सभा का गठन

वर्ष 1946 में गठित कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों के आधार पर देश के संविधान का निर्माण करने हेतु संविधान सभा का गठन किया गया। संविधान सभा का गठन जुलाई 1946 में किया गया था जिसके लिए चुनाव भी जुलाई माह में ही किए गए। संविधान सभा के लिए कुल 389 सदस्यों का चुनाव किया जाना था जिसमे ब्रिटिश शासन के प्रत्यक्ष नियंत्रण में आने वाले 292, देशी रजवाड़ो एवं रियासतों से 93 एवं चीफ कमिश्नर के क्षेत्रों से 4 प्रतिनिधियों का चयन किया जाना था। स्वतंत्रता के पश्चात संविधान सभा का पुनर्गठन हुआ था जिससे इसके सदस्यों की संख्या 299 रह गयी।

निर्वाचन के पश्चात संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर 1946 को आयोजित की गयी थी जिसमे सबसे बुजुर्ग सदस्य डॉ. सच्चिनन्द सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। 11 दिसंबर 1946 को संविधान सभा के स्थायी अध्यक्ष के रूप में डॉ. राजेंद्र प्रसाद का चयन किया गया। 13 दिसंबर 1946 से संविधान सभा की नियमित कार्यवाही प्रारम्भ हुयी।

संविधान निर्माण हेतु प्रमुख समितियां

भारतीय संविधान के निर्माण हेतु संविधान सभा द्वारा विभिन समितियों का गठन किया गया था। इन समितियों के माध्यम से संविधान के विभिन पहलुओं के निर्माण का कार्य किया गया। संविधान सभा की प्रमुख समितियाँ एवं उनके अध्यक्ष की सूची इस प्रकार है :-

क्र.सं.समिति का नाम अध्यक्ष
1.सञ्चालन समिति डॉ. राजेंद्र प्रसाद
2.प्रारूप समिति डॉ. भीमराव अम्बेडकर
3.संघीय संविधान समिति पंडित जवाहरलाल नेहरू
4.संघ संविधान समिति पंडित जवाहरलाल नेहरू
5.प्रांतीय संविधान समिति सरदार वल्लभाई पटेल
6.राष्ट्रध्वज सम्बंधित तदर्थ समिति डॉ. राजेंद्र प्रसाद
7.मौलिक अधिकार एवं अल्पसंख्यकों सम्बंधित परामर्श समिति सरदार वल्लभाई पटेल

संविधान की प्रारूप समिति (drafting committee of the Indian Constitution) का अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर को बनाया गया था। इस समिति के अन्य सदस्यों में एन. गोपाल स्वामी, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, अल्लादि कृष्णा स्वामी अय्यर, एन. माधव राव, सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला एवं डी. पी. खेतान शामिल थे। ड्राफटिंग कमेटी में कुल सात सदस्य थे।

संविधान का विकास

13 नवंबर 1946 को प्रधानमन्त्री नेहरू के उद्देश्य प्रस्ताव को पेश करने के साथ संविधान सभा की कार्यवाही प्रांरभ हो गयी। 22 जनवरी 1947 को संविधान सभा द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव स्वीकृत किया गया एवं संविधान निर्माण के लिए विभिन समितियों का गठन किया गया। संविधान निर्माण के लिए संविधान निर्माताओं ने विभिन देशो के संविधानो से सर्वश्रेष्ठ प्रावधानों एवं नियमो को संविधान में शामिल किया। इसके लिए सभा द्वारा विभिन देशों के संविधान का अवलोकन एवं परिक्षण किया गया। विभिन बिन्दुओ पर गहनता से विचार करने, तर्क-वितर्क एवं स्वीकृति के पश्चात देश के संविधान में विभिन प्रावधानों को शामिल किया गया। साथ ही भारत की विशिष्ठ भौगोलिक, आर्थिक, सांस्कृतिक एवं राजनैतिक परिस्थितियों को देखते हुए संविधान निर्माताओं के द्वारा संविधान में कई विशिष्ठ प्रावधान भी शामिल किए थे जिससे की सभी वर्गों को समानता का अधिकार एवं अवसर की समता का अधिकार प्रदान किया जा सके।

2 वर्ष 11 माह एवं 18 दिन के अथक परिश्रम के पश्चात देश का संविधान पूर्ण रूप से तैयार हुआ। संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान पारित किया गया जिसे की 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इसके साथ ही भारत दुनिया का सबसे बड़ा गणतांत्रिक देश बन गया। भारतीय संविधान दुनिया के सबसे जीवंत एवं प्रभावशाली संविधानो में शामिल किया जाता है।

भारतीय संविधान के नायक

भारतीय संविधान में विभिन महापुरुषों एवं व्यक्तित्वों ने अपना अमूल्य योगदान दिया है। संविधान निर्माण के लिए गठित विभिन समितियों के द्वारा देश के संविधान के निर्माण में अपना योगदान दिया गया है। हालांकि डॉ. भीमराव अम्बेडकर की अध्यक्षता में गठित प्रारूप समिति का संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। संविधान निर्माण में डॉ. भीमराव अम्बेडकर के योगदान को देखते हुए उन्हें आधुनिक भारत का मनु एवं संविधान का पितामाह की संज्ञा दी जाती है। भारतीय संविधान देश के महापुरुषों के अथक परिश्रम का जीवंत दस्तावेज है।

वर्तमान में संविधान की स्थिति

26 जनवरी 1950 को लागू होने के समय भारत के संविधान में 395 अनुच्छेद, 22 भाग एवं 8 अनुसूचियाँ शमिल थी। समय के साथ संविधान में नए आर्टिकल एवं अनुसूचियों को शामिल किया जाता रहता है। वर्तमान समय की बात की जाए तो वर्तमान में भारतीय संविधान में 448 अनुच्छेद है जो की 25 भागो में विभाजित किए गए है। साथ ही भारतीय संसद द्वारा संविधान में अनुसूचियों की संख्या में भी वृद्धि की गयी है जिससे की वर्तमान में भारतीय संविधान में कुल 12 अनुसूचियाँ है। संसद द्वारा समय-समय पर संविधान में संशोधन भी किया जाता है। वर्तमान में भारतीय संविधान में 100 से भी अधिक संशोधन किए जा चुके है।

भारतीय संविधान, उपसंहार

भारत विविधताओं से भरा हुआ देश है जहाँ विभिन जाति-धर्म, सम्प्रदाय, बोली-भाषा, रहन-सहन, संस्कृतियों एवं मतों के लोग निवास करते है। भारत की विविधता को ध्यान में रखते हुए देश के लिए संविधान का निर्माण करना कठिन चुनौती थी। हालांकि संविधान निर्माताओं के द्वारा इस चुनौती को स्वीकार किया गया एवं देश के लिए एक ऐसे संविधान का निर्माण किया गया जो आजादी के 70 वर्षो के पश्चात भी बखूबी अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहा है। भारतीय संविधान द्वारा देश के विभिन वर्गों के मध्य समानता के अधिकार को स्वीकार करते हुए समता का अधिकार प्रदान किया गया है एवं विभिन प्रावधानों के द्वारा देश के नागरिको के लिए सामाजिक न्याय को सुनिश्चित किया गया है। भारत के लोकतंत्र का प्रमुख स्तम्भ भारतीय संविधान देश के लोकतंत्र का जीवंत वाहक है।

भारतीय संविधान का इतिहास सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान किस देश का है ?

दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान भारत देश का है।

भारतीय संविधान का विचार सर्वप्रथम किसके द्वारा प्रस्तुत किया गया था ?

भारतीय संविधान का विचार सर्वप्रथम कम्यूनिस्ट पार्टी के अग्रदूत नेता एम. एन. रॉय ने वर्ष 1934 में प्रस्तुत किया गया था।

भारतीय संविधान सभा का गठन किस कमेटी की संस्तुतियों पर किया गया था ?

भारतीय संविधान सभा का गठन 1946 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भेजी गयी कैबिनेट मिशन (Cabinet Mission) की संस्तुतियों पर किया गया था।

भारतीय संविधान का इतिहास सम्बंधित जानकारी प्रदान करें ?

भारतीय संविधान का इतिहास सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। यहाँ आपको History of Indian Constitution in Hindi सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है।

संविधान सभा का गठन कब किया गया था ?

संविधान सभा का गठन जुलाई 1946 में किया गया था।

संविधान सभा की प्रथम बैठक कब हुयी ?

संविधान सभा की प्रथम बैठक 9 दिसंबर 1946 को आयोजित की गयी थी जिसमे सबसे बुजुर्ग सदस्य डॉ. सच्चिनन्द सिन्हा को अस्थायी अध्यक्ष निर्वाचित किया गया।

संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष किसे नियुक्त किया गया था ?

भारतीय संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद को नियुक्त किया गया था जो की संविधान की संचालन समिति के अध्यक्ष भी थे।

भारतीय संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे ?

भारतीय संविधान सभा में प्रारम्भ में 389 सदस्यों का चुनाव किया गया था हालांकि विभाजन के पश्चात संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 299 रह गयी थी।

भारतीय संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे ?

संविधान सभा द्वारा डॉ. भीमराव अम्बेडकर को प्रारूप समिति का अध्यक्ष चुना गया था।

भारतीय संविधान सभा की प्रारूप समिति में कुल कितने सदस्य थे ?

भारतीय संविधान सभा की प्रारूप समिति में कुल सात सदस्य थे। इस समिति के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अम्बेडकर थे। समिति के अन्य सदस्यों में एन. गोपाल स्वामी, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, अल्लादि कृष्णा स्वामी अय्यर, एन. माधव राव, सैय्यद मोहम्मद सादुल्ला एवं डी. पी. खेतान को शामिल किया गया था।

भारतीय संविधान को कब पारित किया गया था ?

भारतीय संविधान को 26 दिसंबर 1949 को पारित किया गया था। इस दिन संविधान के कुछ अनुच्छेदों को लागू किया गया था।

भारत के संविधान को किस तिथि को लागू किया गया था ?

भारत के संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था। इस दिवस को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Leave a Comment

Join Telegram