हड़प्पा, इतिहास के विद्यार्थियों के लिए यह नाम सर्वाधिक प्रचलित एवं जाना-पहचाना नाम है। भारत के स्वर्णिम इतिहास की परतों को का अध्ययन करने पर हमारे सम्मुख सर्वप्रथम हड़प्पा सभ्यता का ही वर्णन आता है। प्राचीन समय में सर्वाधिक पुरातन संस्कृतियों में शामिल हड़प्पा सभ्यता एशिया महाद्वीप में स्थित प्रमुख सभ्यता के रूप में प्रचलित है जो की भारत के उत्तरी भाग में बहने वाली सिंधु नदी घाटी में फैली हुयी थी। भारत के प्राचीन इतिहास का अध्ययन करने पर सर्वप्रथम हमे हड़प्पा सभ्यता के अवशेष ही प्राप्त होते है जो की भारतवर्ष के गौरवपूर्ण इतिहास का वर्णन करती है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको हड़प्पा सभ्यता क्या है? (Harappan Civilisation), सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation) , हड़प्पा सभ्यता की शुरुआत कब हुयी एवं हड़प्पा सभ्यता के इतिहास (History of Harappan Civilisation) से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी प्रदान करने वाले है।
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प्राचीन भारत का इतिहास (Ancient indian history) के तहत हड़प्पा सभ्यता (Harrapan civilisation) या सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation) एक अत्यंत महत्वपूर्ण टॉपिक है जहाँ से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओ के सर्वाधिक प्रश्न पूछे जाते है। ऐसे में यहाँ आपको परिक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्यों को भी साझा किया जायेगा।
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हड़प्पा सभ्यता क्या है ? (Harappan Civilisation)
हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilisation) भारत के उतरी भाग में बहने वाली सिंधु नदी घाटी में स्थित सभ्यता थी जो की भारत की प्राचीन सभ्यता होने के साथ-साथ दुनिया की चार प्राचीन सभ्यताओं में भी शामिल की जाती है। सिंधु नदी घाटी में स्थित होने के कारण इस सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation) भी कहा जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता में सर्वप्रथम हड़प्पा शहर की खोज हुयी थी इसी कारण से इसे हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilisation) के नाम से भी जाना जाता है। सिंधु घाटी सभ्यता का आकार त्रिभुजाकार है जो 13 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में विस्तृत है। यह सभ्यता वर्तमान भारत, पकिस्तान एवं अफगानिस्तान के मध्य फैली थी। हड़प्पा सभ्यता कांस्ययुगीन सभ्यता के अंतर्गत शामिल की जाती है।
सिंधु घाटी सभ्यता की खोज कब और किसने की ?
सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation) या हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilisation) की खोज वर्ष 1921 में की गयी थी। भारत में तत्कालीन पुरातत्त्व सर्वेक्षण विभाग के महानिदेशक रहे ‘सर जॉन मार्शल’ के निर्देशन में रायबहादुर दयाराम साहनी द्वारा वर्ष 1921 में सिंधु घाटी सभ्यता के प्रथम स्थल हड़प्पा की खोज की गयी। इस खोज के अगले वर्ष ही वर्ष 1922 में राखल दास बनर्जी के द्वारा मोहनजो-दारो की खोज गयी जो की सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे प्रमुख स्थल है। कालांतर में इस सभ्यता से जुड़े सैकड़ो स्थलों की खोज की जा चुकी है।
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हड़प्पा सभ्यता की शुरुआत कब हुई?
हड़प्पा सभ्यता की शुरुआत की तिथि को लेकर विद्वान एकमत नहीं है। हालांकि वर्ष 2400 ई.पू. (B.C) से लेकर 1700 ई.पू. (B.C) हड़प्पा सभ्यता का सर्वमान्य काल है। इसके आधार पर कहा जा सकता है की सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation) की समयावधि 2400 ई.पू. (B.C)-1700 ई.पू. (B.C) तक है। हड़प्पा सभ्यता का काल कार्बन डेटिंग विधि के आधार पर निर्धारित किया गया है।
सिंधु घाटी सभ्यता से सम्बंधित प्रमुख नगर
सिंधु घाटी सभ्यता सिंधु नदी की घाटी में स्थित भारत की सर्वप्रथम सभ्यता थी जो की अपने नगर नियोजन एवं समृद्धि के लिए प्रसिद्ध थी। सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख बड़े नगरों में कुल 6 नगरों को शामिल गया है जिनका विवरण निम्न है :-
- हड़प्पा (Harappa)- हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत खोजा गया प्रथम नगर है जिसके कारण इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से जाना जाता है। हड़प्पा की खोज वर्ष 1921 में दयाराम साहनी के द्वारा की गयी थी जो की वर्तमान में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित है। हड़प्पा शहर रावी नदी के किनारे स्थित है।
- मोहनजो-दारो (Mohanjodaro)- मोहनजो-डारो की खोज राखलदास बनर्जी द्वारा वर्ष 1922 में की गयी जो की सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा नगर है। मोहनजो-डारो (Mohanjodaro) वर्तमान पाकिस्तान में पंजाब प्रान्त में स्थिति है जो की सिंधु नदी तट पर स्थिति है। सिंधी भाषा में मोहनजो-डारो (Mohanjodaro) का अर्थ होता है – मृतकों का टीला (“the mound of the dead.”)
- राखीगढ़ी (Rakhigadhi)- हरियाणा प्रांत में स्थित राखीगढ़ी सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख ऐतिहासिक नगरों में एक था जो की घग्गर नदी के किनारे स्थित था। राखीगढ़ी भारत में सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल है।
- कालीबंगन (Kalibangan)- कालीबंगन वर्तमान राजस्थान राज्य में स्थित है जो की घग्गर नदी के तट पर स्थित था। कालीबंगन का शाब्दिक अर्थ होता है –काली चूड़ियाँ
- धौलावीरा (Dholavira)- गुजरात के कच्छ के रन में स्थित धौलावीरा सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख स्थल है जिसकी सबसे प्रमुख विशेषता यह है की जहाँ सिंधु सभ्यता के अन्य नगरों को 2 भागो में विभाजित किया गया था वही धौलावीरा तीन भागो में विभाजित था। साथ ही यहाँ उत्कृष्ट जल प्रबंधन प्रणाली भी उपस्थित थी।
- गणवारीवाला (Ganwariwala)- गणवारीवाला वर्तमान पाकिस्तान में स्थित है जहाँ सिंधु घाटी सभ्यता से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण आकृतियाँ एवं टेरिकोटा एकश्रृंगी पशु की आकृति लिए मुहरें प्राप्त हुयी है।
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थलों में शुमार लोथल वर्तमान गुजरात राज्य में स्थित था। यह स्थल सिंधु घाटी सभ्यता का प्रमुख बंदरगाह था। इसके अतिरिक्त पाकिस्तान में स्थित चहुन्दरो को मनके बनाने के कारखाने के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त है।
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सिंधु घाटी सभ्यता – नगर-नियोजन, स्थापत्य कला एवं इमारतें
सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation) की सबसे प्रमुख विशेषता इस सभ्यता के नगरों का नियोजन है। सिंधु घाटी सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी जिसके तहत शहरो को ग्रिड पद्धति (Grid System) या जाल पद्धति के आधार पर नियोजित किया गया था। इसके अंतर्गत सड़के एक-दूसरे को समकोण पर काटती थी एवं सम्पूर्ण नगर सुव्यवस्थित तरीके से निर्मित था। सिंधु घाटी सभ्यता में नगरों में ड्रेनेज सिस्टम की सुदृढ़ व्यवस्था थी एवं यहाँ घरो को पक्की ईंटो से निर्मित किया जाता था। सिंधु घाटी सभ्यता में नगरो को दो भागो में बाँटा गया था – ऊपरी भाग में स्थित दुर्ग (उच्च-वर्ग के निवासियों हेतु) एवं निचला नगर (साधारण जनों के निवास हेतु)
सिंधु घाटी की सबसे बड़ी ईमारत विशाल स्नानघर है जो की मोहनजो-दारो नगर में स्थिति है। हड़प्पा एवं मोहनजो-दारो में अन्नागार भी मिले है जो अन्न संग्रहण हेतु प्रयुक्त होते थे। इसके अतिरिक्त मोहनजो-दारो से पुरोहित की प्रस्तर मूर्ति, नर्तकी की कांस्य मूर्ति एवं पशुपति महादेव या आद्य शिव की मुहरें भी मिली है।
हड़प्पा सभ्यता की अर्थव्यवस्था, कृषि एवं वाणिज्य
हड़प्पा सभ्यता की अर्थव्यवस्था मुख्यता विदेशी व्यापार पर आधारित थी। हड़प्पा सभ्यता के निवासी अफगानिस्तान, ईरान एवं मेसापोटामिया के निवासियों के साथ व्यापार करते थे जिसकी पुष्टि मेसापोटामिया के मुहरों का हड़प्पा सभ्यता स्थलों से प्राप्त होना एवं हड़प्पा मुहरों का मेसापोटामिया के स्थलों से प्राप्त होना है। हालांकि कृषि हड़प्पा सभ्यता की रीढ़ मानी जाती थी जिसके उत्पादन में प्रचुरता के कारण विदेशी व्यापार को प्रोत्साहन मिला। गेहूँ और जौ सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख फसलें थी। विदेशी व्यापार के अंतर्गत हड़प्पा वासी मुख्यता पत्थर, सीप या शंख एवं विभिन प्रकार की धातुओं का व्यापार करते थे।
हड़प्पा कालीन समाज, आस्था, धर्म एवं मान्यताएँ
हड़प्पा कालीन समाज मुख्यत प्रकृति पूजक समाज था जहाँ किसी धर्म विशेष के प्रभुत्व के परिणाम नहीं मिलते। हड़प्पावासी वृक्ष एवं पशुओ की पूजा तथा प्रकृति की पूजा करते थे। धरती को हड़प्पा काल में उर्वरता की देवी मानकर इसकी पूजा की जाती थी जहाँ एक लघुमूर्ति में स्त्री के गर्भ से पौधे को निकलते हुए दिखाया गया है। इसके अतिरिक्त हड़प्पा सभ्यता की एक प्रमुख विशेषता यहाँ किसी भी प्रकार की केंद्रीय सत्ता की अनुपस्थिति है जिससे विद्वान इस संस्कृति को समतामूलक एवं समानतावादी संस्कृति का वाहक मानते है।
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हड़प्पा सभ्यता का पतन
हड़प्पा सभ्यता का पतन क्यों और कैसे हुआ इस बारे में विद्वानों के मध्य अभी तक सहमति नहीं बन पायी है। कुछ विद्वान आर्य आक्रमण एवं बाह्य आक्रमण को सिंधु घाटी सभ्यता के पतन का कारण मानते है तो कुछ भूगर्भीय एवं जलवायु सम्बंधित परिवर्तन। हालांकि इस सभ्यता के पतन का सर्वाधिक प्रचलित सिद्धांत नदियों में बाढ़ को माना गया है जिसके कारण उपजाऊ भूमि नष्ट हो गयी थी। इस सभ्यता के पतन के वास्तविक कारण क्या है इस प्रश्न का उत्तर भविष्य में होनी वाली खोजों से ही स्पष्ट होने का अनुमान है।
सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation) से सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilisation) भारत के उत्तरी भाग में प्रवाहित होने वाली सिंधु घाटी नदी में मौजूद सभ्यता थी जो की भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता है। सिंधु नदी घाटी में स्थित होने के कारण इसे सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation) भी कहा जाता है।
हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilisation) का सर्वाधिक प्रचलित समयकाल 2400 ई.पू. (B.C)-1700 ई.पू. (B.C) तक माना जाता है।
सिंधु घाटी सभ्यता के प्रथम स्थल हड़प्पा की खोज वर्ष 1921 में दयाराम साहनी एवं मोहनजो-दारो (Mohanjodaro) की खोज वर्ष 1922 में राखल दास बनर्जी ने की थी।
सिंधु घाटी सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी जो की त्रिभुजाकर आकृति में फैली हुयी थी।
सिंधु घाटी सभ्यता का नगर नियोजन ग्रिड पद्धति या जाल आकृति का था जहाँ सड़के एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा नगर मोहनजो-दारो था। सिंधी भाषा में मोहनजो-दारो का अर्थ होता है – मृतकों का टीला (“the mound of the dead.”)
हड़प्पा सभ्यता की जुड़वाँ राजधानी हड़प्पा एवं मोहनजो-दारो को कहा जाता है।