हरित क्रांति क्या है | भारत में हरित क्रांति के जनक | Green Revolution Explained in Hindi

वर्तमान में भारत खाद्यान का एक प्रमुख उत्पादक देश है। हमारे देश में स्वयं की जरूरतों को पूरा करने के अतिरिक्त निर्यात करने के लिए भी खाद्यान उत्पादित किया जाता है जिससे की हम विश्व-बाजार में खाद्यान के एक बहुत बड़े निर्यातक के रूप में उभरकर आये है। हालांकि हमेशा से ऐसा नहीं रहा है क्यूंकि द्वितीय भारत-पाक युद्ध के दौरान हमारे देश में स्वयं की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी पर्याप्त खाद्यान नहीं था ऐसे में हमे अपनी खाद्यान जरूरतों के लिए विदेशो पर निर्भर रहना पड़ता था। तो ऐसे में यह जानना रोचक है की कैसे एक खाद्यान आयातक देश वर्तमान में खाद्यान निर्यातक देश बन गया है। इस सफर को जानने के लिए हमे हरित-क्रांति के बारे में जानना आवश्यक है। आज के इस लेख के माध्यम से हम आपको बताने वाले की हरित क्रांति क्या है ?

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हरित क्रांति क्या है
Green Revolution Explained in Hindi.

भारत में हरित क्रांति के जनक कौन है ? Green Revolution Explained in Hindi के अतिरिक्त आपको यहाँ हरित क्रांति के महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में भी जानकारी प्रदान की जाएगी। विभिन प्रतियोगी परीक्षाओ को तैयारी करने वाले छात्रों को भी इस टॉपिक से विभिन प्रश्न पूछे जाते है ऐसे में यह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी वाले छात्रों के लिए भी उपयोगी है।

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हरित क्रांति क्या है ?

भारत का खाद्यान के मामले में आत्मनिर्भर बनने में सबसे अधिक योगदान हरित क्रांति का रहा है। आईये सबसे पहले हरित क्रांति के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते है। हरित-क्रांति वह क्रांति है जिसके अंतर्गत सरकार द्वारा खाद्यान के उत्पादन को बढ़ाने हेतु विभिन प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन किया गया था। इसके अंतर्गत उच्च-गुणवत्ता के बीजो का प्रयोग, खाद एवं उर्वरको का प्रयोग, सिंचाई के साधनों में वृद्धि, आधुनिक कृषि यंत्रो का प्रयोग, कृषि की नवीन तकनीकों का उपयोग, आपूर्ति एवं भण्डारण केन्द्रो का विकास, कृषि निवेश हेतु ऋण एवं कृषि के अधिकतम उपज हेतु विभिन तकनीकों का उपयोग शामिल है। इस क्रांति के फलस्वरूप देश में कृषि क्षेत्र के उत्पादन में आश्चर्यजनक वृद्धि हुयी है जिससे की हमारे देश में खाद्यान का उत्पादन कई गुना तक बढ़ा है।

हरित क्रांति की आवश्यकता

देश में हरित क्रांति की आवश्यकता उत्पन होने के निम्न कारण रहे है :-

  • खाद्यान संकट- औपनिवेशिक काल में देश की कृषि व्यवस्था पर ध्यान ना देने के कारण देश में खाद्य उत्पादन बहुत कम था जिससे की खाद्यान संकट उत्पन हो गया।
  • उपज में कमी- परम्परागत कृषि के कारण देश में खाद्यान का उत्पादन अपेक्षाकृत बहुत कम था।
  • खाद्यान हेतु विदेशो पर निर्भरता- द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात देश में खाद्यान के लिए संकट पैदा हो गया फलस्वरूपत हमे इसके लिए विदेशो पर निर्भर रहना पड़ता था।
  • बढ़ती जनसँख्या- आजादी के बाद देश की जनसँख्या में तीव्र गति से वृद्धि हुयी जिससे की कृषि क्षेत्र पर भी बोझ पड़ा।
  • प्राकृतिक आपदाएं– प्राकृतिक आपदाओं के कारण देश में कृषि क्षेत्र को सूखे, अकाल और अन्य आपदाओं का सामना करना पड़ा जिससे की देश में अधिक खाद्यान उत्पादन की आवश्यकता उत्पन हुयी।

इसके अतिरिक्त अन्य काऱण भी है जिसके कारण देश में खाद्यान उत्पादन में वृद्धि की आवश्यकता महसूस की गयी। इन सभी कारणों का ही परिणाम रहा की हमारे देश में हरित क्रांति की शुरुआत हुयी और देश में खाद्यान उत्पादन में वृद्धि हुयी।

भारत में हरित क्रांति के जनक

हमारे देश में हरित क्रांति में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एम. एस. स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक माना जाता है। एम. एस. स्वामीनाथन का जन्म मद्रास प्रान्त के कुंबकोणम में हुआ था। कृषि वैज्ञानिक और कुशल प्रशासक एम. एस. स्वामीनाथन के अथक प्रयासों का ही नतीजा रहा है की आज हमारा देश कृषि के क्षेत्र में अग्रणी देशो में शामिल है। भारत में हरित-क्रांति की शुरुआत वर्ष 1967-68 में हुयी जो की मुख्यत निम्न चरणों में पूरी हुयी।

  • प्रथम चरण (First Phase)- वर्ष 1967-68
  • द्वितीय चरण (Second Phase) – वर्ष 1970-80

हरित क्रांति को वर्ष 1967 में शुरू किया गया जो की वर्ष 1978 से 1980 के मध्य तक चली। इस दौरान देश में विभिन खाद्यानो के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुयी।

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हरित क्रांति के मुख्य बिंदु

हरित क्रांति के अंतर्गत सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र के उत्पादन को बढ़ाने के लिए विभिन योजनाओ को लांच किया गया। आइये जानते है की वे कौन-कौन से कारण है जिनके कारण हमारे देश में कृषि क्षेत्र में क्रांति आयी है।

  • अधिक उपज देने वाले उन्नत बीजों का प्रयोग- हरित क्रांति का सबसे प्रमुख कदम उन्नत किस्म के संकर बीजो का प्रयोग था। विभिन किस्म के बीजो के संकरण के माध्यम से उच्च किस्म के उपज देने वाले बीजो के उपयोग से कृषि क्षेत्र में उपज में वृद्धि हुयी।
  • रासायनिक उवर्रको, खाद एवं कीटनाशक का प्रयोग – हरित क्रांति के दौरान उपज के लिए खाद और रासायनिक उर्वरको का भी भरपूर प्रयोग किया गया यही कारण था की कीटो एवं अन्य खरपतवार के कारण कृषि को नुकसान से बचाया जा सका एवं कृषि क्षेत्र में भरपूर वृद्धि हुयी।
  • आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग – हरित क्रांति के अंतर्गत सरकार द्वारा कृषको को खेती के लिए सब्सिडी दर पर विभिन कृषि कृषि उपकरण जैसे ट्रेक्टर, हार्वेस्टर, थ्रेसर, पम्पसेट एवं ट्यूबवेल उपलब्ध कराये गए जिससे की मानव श्रम की बचत हुयी एवं कृषि क्षेत्र में उत्पादन हुआ।
  • सिंचाई एवं पौध संरक्षण– सरकार द्वारा हरित क्रांति के अंतर्गत कृषि क्षेत्र में बेहतर उत्पादन के लिए सिंचाई के साधनो पर खूब ध्यान दिया गया। इसके अंतर्गत विभिन सिंचाई स्रोतों का निर्माण एवं पुनर्निर्माण किया गया साथ ही पौध संरक्षण के लिए विभिन लक्ष्य बनाये गए।
  • बहुफ़सली उत्पादन– भूमि की उत्पादन क्षमता को बनाये रखने के लिए हरित क्रांति के अंतर्गत बहुफ़सली उत्पादन पर भी ध्यान दिया गया था जिसके अंतर्गत एक ही भूमि पर विभिन फसलों के उत्पादन द्वारा भूमि की पोषण गुणवत्ता को बनाये रखने के प्रयास किये गए।
  • कृषि सेवा केंद्र तथा उद्योग निगमो की स्थापना – सरकार द्वारा हरित क्रांति के सञ्चालन के दौरान कृषि सेवा केंद्र तथा उद्योग निगमो की स्थापना की गयी जिससे की कृषको को कृषि के वाणिज्यकरण में आसानी हुयी।
  • कृषि शिक्षा तथा अनुसन्धान – सरकार द्वारा हरित क्रांति के अंतर्गत कृषि शिक्षा एवं अनुसन्धान पर भी जोर दिया गया जिसमे की फसल की बेहतर पैदावार के लिए अनुसन्धान के माध्यम से नए-नए उपायों को अपनाया गया।
  • वित्तीय सहायता– हरित क्रांति के दौरान कृषको को विभिन प्रकार की वित्तीय सहायता भी प्रदान की गयी जिसके माध्यम से किसान बेहतर बीजों, खाद एवं कृषि उपकरणों को क्रय करने में सक्षम हुए।

इन सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के माध्यम से हमारे देश में हरित क्रांति के अंतर्गत कृषि में वृहद बदलाव किये गए एवं देश के खाद्यान उत्पादन में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि दर्ज की गयी।

हरित क्रांति के प्रभाव

हरित क्रांति के माध्यम से देश की खाद्य व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन हुआ जिसके मुख्य प्रभाव इस प्रकार से है :-

  • हरित क्रांति के फलस्वरूप देश के खाद्यान उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गयी जिसमे गेहूँ उत्पादन में सर्वाधिक उछाल देखने को मिला।
  • खाद्यान उत्पादन से देश की खाद्यान में निर्भरता समाप्त हुयी जिससे की देश खाद्यान के मामले में आत्मनिर्भर बन गया।
  • इस क्रांति के फलस्वरूप देश में कृषको की आय में वृद्धि हुयी एवं कृषक आर्थिक एवं सामाजिक रूप से शक्तिशाली बने।
  • खाद्यान में उत्पादन में वृद्धि के कारण हमारे देश द्वारा खाद्यान का निर्यात भी शुरू किया गया।
  • हरित क्रांति के फलस्वरूप देश के कृषि क्षेत्र में नवीन तकनीकों का उपयोग हुआ जिससे की कृषि में कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त हुआ।
  • इस क्रांति के माध्यम से देश में सिंचाई के साधनों में व्यापक वृद्धि दर्ज की गयी जिससे की कृषको को लाभ मिला।
  • कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति की व्यापक पैदावार के फलस्वरूप कृषि क्षेत्र में विभिन उद्योगों का विकास हुआ जिससे की देश में रोजगार के नवीन अवसर पैदा हुए।
  • हरित क्रांति के माध्यम से देश के कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन हुए जिससे की समाज के सभी वर्गों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकी है।

हरित क्रांति सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

हरित क्रांति क्या है ?

हरित क्रांति वह क्रांति है जिसके अंतर्गत खाद्यान के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा विभिन प्रकार के कार्यक्रमों का संचालन किया गया था। इसके माध्यम से देश में कृषि क्षेत्र की उपज में तीव्र वृद्धि दर्ज की गयी।

हरित क्रांति के मुख्य घटक कौन-कौन से है ?

हरित क्रांति के दौरान सरकार द्वारा कृषि उत्पादन में वृद्धि हेतु निम्न क्षेत्रों पर कार्य किया गया था –अधिक उपज देने वाले उन्नत बीजों का प्रयोग, रासायनिक उवर्रको, खाद एवं कीटनाशक का प्रयोग, आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग, सिंचाई एवं पौध संरक्षण, बहुफ़सली उत्पादन, कृषि सेवा केंद्र तथा उद्योग निगमो की स्थापना एवं वित्तीय सहायता

हरित क्रांति का मुख्य घटक क्या है ?

हरित क्रांति का मुख्य घटक कृषि उत्पादन हेतु उच्च-गुणवत्ता के बीजो का प्रयोग है। हरित क्रांति के दौरान सरकार द्वारा कृषको को उच्च-गुणवत्ता के संकरित बीज उपलब्ध कराये गए जिसके माध्यम से कृषको को उत्पादन वृद्धि में सहायता प्राप्त हुयी।

हरित क्रांति के विभिन चरण कौन से है ?

हमारे देश में हरित क्रांति के विभिन चरण निम्न है :-
प्रथम चरण (First Phase)- वर्ष 1967-68
द्वितीय चरण (Second Phase) – वर्ष 1970-80

हरित क्रांति के जनक कौन है ?

हमारे देश में हरित क्रांति में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एम. एस. स्वामीनाथन को हरित क्रांति का जनक माना जाता है।

हरित क्रांति का सबसे प्रमुख प्रभाव क्या है ?

हरित क्रांति के माध्यम से हमारे देश में खाद्यान उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुयी जिससे की देश में खाद्यान सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकी है।

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