भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय पूरी जानकारी | Governor General Viceroy Of India In Hindi

आधुनिक भारत के संदर्भ में ब्रिटिशर्स का आगमन भारतीय इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। यूरोप के एक छोटे से द्वीप से व्यापारियों के रूप में आये अंग्रेजो के द्वारा भारतवर्ष को 200 वर्षो से भी अधिक समय तक गुलामी की जंजीरों में जकड़े रखा गया एवं देश के सांस्कृतिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाले। इंग्लैंड जैसे छोटे से राजतन्त्र से भारत जैसे विशाल औपनिवेशिक साम्राज्य पर शासन स्थापित करना एवं इसे 200 वर्षो से अधिक समय तक अक्षुण्ण बनाये रखना वास्तव में असंभव सा प्रतीत होता है परन्तु अंग्रेजों के द्वारा इस कार्य को सफलतापूर्वक सम्पादित किया गया। अंग्रेजों की भारत में कूटनीतिक सफलता में भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वास्तव में भारत में अंग्रेजी राज को अक्षुण्ण बनाये रखने में ब्रिटिश गवर्नर्स एवं वायसराय की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय पूरी जानकारी (Governor General Viceroy Of India In Hindi) प्रदान करने वाले है।

आधुनिक भारत के इतिहास में भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय (Governor/Governor Generals & Viceroys Of India) सर्वाधिक महत्वपूर्ण टॉपिक है जहाँ से इतिहास में सर्वाधिक प्रश्न पूछे जाते है ऐसे में सभी प्रतियोगी छात्रों के लिए यह टॉपिक महत्वपूर्ण रहने वाला है।

भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय, Governor General Viceroy Of India In Hindi

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भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय

वर्ष 1600 में ब्रिटिश सम्राज्ञी एलिजाबेथ प्रथम से शाही अधिकार पत्र प्राप्त करके ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) को भारत एवं पूर्वी देशो के साथ व्यापार का एकाधिकार प्राप्त हुआ। भारत के रेशमी वस्त्रों एवं मसालों की यूरोपीय बाजार में अत्यधिक माँग थी यही कारण रहा की ब्रिटिश ईस्ट इंडिया द्वारा व्यापार हेतु भारत का रुख किया गया। प्रारंभ में व्यापारिक कंपनी के रूप में भारत आयी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा देश की आंतरिक जर्जरता का फायदा उठाया गया एवं भारत को अपने सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपनिवेश के रूप में स्थापित किया गया। प्लासी का युद्ध (1757) एवं बक्सर का युद्ध (1764) भारत के आधुनिक इतिहास में निर्णायक युद्ध माने जाते है जिससे भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सत्ता स्थापित हुयी।

भारत में अपने प्रशासन को संचालित करने के लिए ब्रिटिशर्स द्वारा गवर्नर जनरल एवं वायसराय जैसे महत्वपूर्ण पद सृजित किए गए। भारत में गवर्नर जनरल एवं वायसराय का पद राजनैतिक एवं प्रशासनिक सोपान में सर्वाधिक महत्वपूर्ण पद था जो देश में सभी प्रमुख नीतियों का निर्धारण करता था। यहाँ आपको भारत के सभी भारत के वायसराय एवं गवर्नर जनरल (List of Viceroys & Governor-General of India in Hindi) की सूची प्रदान की गयी है :-

रॉबर्ट क्लाइव (1757-60 ई० तथा 1765-67 ई०)

  • रॉबर्ट क्लाइव भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नियुक्त प्रथम गवर्नर था।
  • रॉबर्ट क्लाइव द्वारा भारत में द्वैध शासन की स्थापना की गयी।
  • प्लासी का युद्ध वर्ष 1757 में बंगाल के नबाव सिराजुदौला एवं अंग्रेजो के मध्य लड़ा गया। इस युद्ध में ब्रिटिश सेना का नेतृत्व रॉबर्ट क्लाइव कर रहा था। इस युद्ध के पश्चात रॉबर्ट क्लाइव अंग्रेजो की जीत का नायक बनकर उभरा।
  • क्लाइव द्वारा इलाहाबाद की द्वितीय संधि (वर्ष-1765) द्वारा परवर्ती मुग़ल सम्राट शाह आलम को संरक्षण में ले लिया गया।
  • क्लाइव के पश्चात अन्य ब्रिटिश गवर्नर निम्न प्रकार थे :-
    • बरेलास्ट (1767 – 69) 
    • कार्टियर (1769 – 72) 

वारेन हेस्टिंग्स (1772-85 ई०) के शासनकाल में ब्रिटिशर्स द्वारा वर्ष 1773 में रेगुलेटिंग एक्ट 1773 (Regulating Act of 1773) के माध्यम से भारत में बंगाल का गवर्नर जनरल का पद सृजित किया गया। इस प्रकार वारेन हेस्टिंग्स बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल था। इसके तहत बंबई एवं मद्रास के गवर्नर को बंगाल के प्रथम गवर्नर के अधीन किया गया।

वारेन हेस्टिंग्स (1772-85 ई०)

  • वारेन हेस्टिंग्स द्वारा सर्वप्रथम रॉबर्ट क्लाइ द्वारा स्थापित द्वैध शासन व्यवस्था का उन्मूलन किया गया।
  • रेगुलेटिंग एक्ट 1773 (Regulating Act of 1773) के माध्यम से वर्ष 1774 में बंगाल में प्रथम उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गयी जिसका प्रथम मुख्य न्यायाधीश एलिजा इम्पे था।
  • वारेन हेस्टिंग्स के शासनकाल में बोर्ड ऑफ रेवेन्यू की स्थापना की गयी एवं राजकीय कोषागार कोलकाता से मुर्शिदाबाद स्थानान्तरित किया गया।
  • वारेन हेस्टिंग्स समय हुए प्रमुख युद्ध :-
    • प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध (1775-82)
    • द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध (1880-84)
  • पिट्स इंडिया एक्ट 1784 वारेन हेस्टिंग्स के कार्यकाल में पारित हुआ।
  • पिट्स इंडिया एक्ट 1784 के विरोध में वारेन हेस्टिंग्स द्वारा इस्तीफा दिया गया एवं 1785 में इंग्लैंड वापसी की गयी।
  • इंग्लैंड लौटने पर हेस्टिंग्स के ऊपर ‘फॉक्स’ एवं ‘बर्क’ द्वारा महाभियोग लगाया गया जिसमे हेस्टिंग्स को दोषमुक्त घोषित किया गया।

लॉर्ड कार्नवालिस (1786-93 तथा 1805 ई०)

  • लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा वर्ष 1793 में शक्तियों के पृथक्कीकरण से सम्बंधित कार्नवालिस कोड का निर्माण किया गया।
  • कार्नवालिस द्वारा वर्ष 1793 में स्थाई बंदोबस्त (Permanet Settlement) भू-पद्धति को लागू किय गया जिसमे जमींदारों को लगान का 90 फीसदी भाग कंपनी को अदा करना था एवं 10 फीसदी भाग स्वयं के पास रखना था।
  • भारतीय सेवा का जनक” या नागरिक सेवा जनक लॉर्ड कार्नवालिस को माना जाता है।
  • लॉर्ड कार्नवालिस द्वारा कंपनी के कर्मचारियों को निजी व्यापार, रिश्वत एवं उपहार लेने पर प्रतिबन्ध लगाया गया।

सर जॉन शोर (1793-98 ई०)

  • सर जॉन शो का कार्यकाल अपनी अहस्तक्षेप की नीति के लिए प्रसिद्ध है। साथ ही स्थाई बंदोबस्त (Permanet Settlement) नीति का सृजन भी सर जॉन शोर द्वारा किया गया।

लॉर्ड वेलेजली (1798-1805 ई०)

  • लॉर्ड वेलेजली के द्वारा ‘सहायक संधि’ (Subsidiary Alliance) की शुरुआत की गयी जिसके तहत देशी रजवाड़ो द्वारा अपने राज्य में ब्रिटिश सेना को रखने की अनुमति प्रदान की जाती थी।
  • देश में सहायक संधि स्वीकर करने वाले रजवाड़े-  हैदराबाद (1798)तंजौर (1799)मैसूर (1799)अवध (1801)पेशवा (1802), बरार एवं भोंसले (1803)सिंधिया (1804) एवं अन्य रजवाड़े जोधपुरभरतपुर, मच्छेड़ी, जयपुर तथा बूंदी 
  • लॉर्ड वेलेजली पुनः 1805 में गवर्नर जनरल नियुक्त हुआ परन्तु शीघ्र ही इसकी मृत्यु हो गयी।

जॉर्ज बार्लो (1805-07 ई०)

  • लार्ड जॉर्ज बार्लो के शासनकाल में वर्ष 1806 में वेल्लोर के सैनिकों द्वारा विद्रोह किया गया था।
  • जॉर्ज बार्लो द्वारा अपने शासनकाल में तटस्थता की नीति का पालन किया गया।

लॉर्ड मिंटो प्रथम (1807-1813)

  • लॉर्ड मिंटो प्रथम के कार्यकाल में वर्ष 1809 में सिख महाराजा रणजीत सिंह एवं चार्ल्स मेटकाफ के मध्य अमृतसर की संधि (The Treaty of Amritsar-1809) हुयी थी।
  • वर्ष 1813 में प्रथम चार्टर एक्ट (Charter Act of 1813) को लॉर्ड मिंटो प्रथम के कार्यकाल में ही पारित किया गया था।

लॉर्ड हेस्टिंग्स (1813-23 ई०)

  • लॉर्ड हेस्टिंग्स के शासनकाल में प्रथम आंग्ल-नेपाल युद्ध लड़ा गया जिसके परिणामस्वरूप मार्च 1816 में संगौली की संधि हुयी।
  • हेस्टिंग्स के कार्यकाल में तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध (1817-19) लड़ा गया एवं मराठो की शक्ति को अंतिम रूप से समाप्त किया गया।
  • प्रेस से प्रतिबंधों को समाप्त करके लॉर्ड हेस्टिंग्स द्वारा इसके मार्गदर्शन हेतु नियम निर्धारित किए गए।
  • लॉर्ड हेस्टिंग्स के कार्यकाल में सम्पन प्रमुख भू-व्यवस्थाएँ
    • महालवाड़ी पद्धति (Mahalwadi System)- वर्ष 1822
    • रैयतवाड़ी पद्धति (Ryotwari System) – वर्ष 1820
    • बंगाल टेनेन्सी एक्ट- वर्ष 1822

लॉर्ड एम्हर्स्टम (1823-1828 ई०)

  • लॉर्ड एम्हर्स्टम के शासनकाल में प्रथम आंग्ल-बर्मा युद्ध-(1824-26 ई०) हुआ जिसके तहत यान्डबू संधि की संधि की गयी।
  • भरतपुर का ब्रिटिश साम्राज्य में एम्हर्स्टम के कार्यकाल में ही विलय किया गया।
  • इसके कार्यकाल में 1824 में बैरकपुर में सैन्य विद्रोह हुआ।

लॉर्ड विलियम बेंटिक (1828-35 ई०) के कार्यकाल में ही वर्ष 1833 में द्वितीय चार्टर एक्ट (The Charter Act of 1833) पारित किया गया जिसके तहत बंगाल के गवर्नर जनरल पद को भारत के गवर्नर जनरल के रूप में स्थापित किया गया। इस प्रकार लॉर्ड विलियम बेंटिक भारत का प्रथम गवर्नर जनरल हुआ।

लॉर्ड विलियम बेंटिक (1828-35 ई०)

  • लॉर्ड विलियम बेंटिक के कार्यकाल में ही द्वितीय चार्टर एक्ट पारित किया गया जिसके तहत भारत के गवर्नर जनरल पद का सृजन किया गया।
  • देश में सती-प्रथा का उन्मूलन वर्ष 1929 में लॉर्ड विलियम बेंटिक के द्वारा ही किया गया। सती-प्रथा उन्मूलन में बेंटिक का सहयोग भारतीय समाज सुधारक राजा राममोहन राय द्वारा किया गया।
  • लॉर्ड विलियम बेंटिक द्वारा किए गए अन्य सुधार कार्य :-
    • ठगी प्रथा का अंत (वर्ष 1830)
    • शिशु बालिका की हत्या प्रतिबंधित
  • मैकाले की अनुशंसा पर बेंटिक द्वारा अंग्रेजी को शिक्षा का माध्यम बनाया गया।

चार्ल्स मेटकॉफ (1835-36 ई०)

  • अपने एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान मेटकॉफ द्वारा प्रेस पर से नियंत्रण को हटाया गया यही कारण रहा की चार्ल्स मेटकॉफ को “भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता” कहा जाता है।

लॉर्ड ऑकलैंड (1836-42 ई०)

  • लॉर्ड ऑकलैंड के कार्यकाल में प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध घटित हुआ जो वर्ष 1839 से 1842 तक लड़ा गया।
  • ऑकलैंड द्वारा अपने कार्यकाल में वर्ष 1839 में कोलकाता से दिल्ली तक ग्रैंड ट्रंक रोड की मरम्मत का कार्य पूर्ण किया गया।

लॉर्ड एलिनबरो (1842-44 ई०)

  • लॉर्ड एलिनबरो के कार्यकाल में प्रथम आंग्ल अफगान युद्ध की समाप्ति हुयी।
  • वर्ष 1943 के एक्ट-V के द्वारा लॉर्ड एलिनबरो द्वारा देश में दास प्रथा का उन्मूलन किया गया।
  • इसी के कार्यकाल में वर्ष 1843 में सिंध का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय कर दिया गया।

लॉर्ड हार्डिग (1844-48 ई०)

  • लॉर्ड हार्डिग के शासनकाल में प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध (1845-46) लड़ा गया जिसमे अंग्रेजों को विजय प्राप्त हुयी।
  • हार्डिग द्वारा नरबलि पर प्रतिबन्ध लगाया गया।

लॉर्ड डलहौजी (1848-56 ई०)

  • लॉर्ड डलहौजी के शासनकाल में द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध (1849) समाप्त हुआ एवं सिख राज्य का ब्रिटिश साम्राज्य में विलय कर दिया गया।
  • इसके कार्यकाल में द्वितीय आंग्ल-बर्मा युद्ध लड़ा गया एवं लोअर बर्मा और पीगू का विलय अंग्रेजी साम्राज्य में किया गया।
  • लॉर्ड डलहौजी व्यप्तगत के सिद्धांत (The doctrine of lapse) के कारण सर्वाधिक चर्चित रहा जिसे हड़प सिद्धांत एवं गोद प्रथा नीति भी कहा गया। इसके अंतर्गत विभिन बहानों के माध्यम से विभिन रजवाड़ो को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाया गया जिनका विवरण निम्न है :- सतारा (1848 ), जैतपुर-उत्तर प्रदेश (1849), सम्भलपुर-ओडिशा (1849), झाँसी (1853 ) एवं नागपुर (1954)
  • लॉर्ड डलहौजी द्वारा किए गए प्रमुख सुधार :-
    • वर्ष 1953 में भारत में रेल का शुभारंभ (प्रथम रेल-मुंबई से थाणे के मध्य)
    • पोस्ट ऑफिस एक्ट पारित (1854)
    • लोक सेवा अधिनियम पारित
    • सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) की स्थापना
  • डलहौजी द्वारा शिमला को ग्रीष्मकालीन राजधानी के बनाया गया ।

ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारत में सर्वप्रथम महत्वपूर्ण क्रांति वर्ष 1857 में घटित हुयी जिसे 1857 की क्राँति (Indian Rebellion of 1857) या भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नाम से जाना जाता है। 1857 की क्राँति के पश्चात ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत के गवर्नर जनरल के पद को समाप्त कर दिया गया एवं भारत के वायसराय (Viceroy in India) पद का सृजन किया गया जो की ब्रिटिश कैबिनेट का सदस्य होता था। भारत के प्रथम वायसराय लॉर्ड कैनिंग थे

लॉर्ड कैनिंग (1856-62 ई०)

  • लॉर्ड कैनिंग के शासनकाल में ही ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति प्रथम वृहद् विद्रोह हुआ जिसे 1857 की क्राँति (Indian Rebellion of 1857) के नाम से जाना गया।
  • 1857 की क्राँति के पश्चात वर्ष 1858 में मुग़ल बादशाह के पद की समाप्ति की गयी।
  • इसके समय ही ब्रिटिश संसद द्वारा भारत सचिव की नियुक्ति की गयी।
  • लॉर्ड कैनिंग के समय वर्ष 1856 में विधवा-विवाह को शुरू किया गया जिसमे मुख्य योगदान ईश्वरचंद्र विद्यासागर का था।
  • 1861 में कैनिंग के शासनकाल में उच्च न्यायालय अधिनियम पारित किया गया।

लॉर्ड एल्गिन (1862-63 ई०)

  • लॉर्ड एल्गिन द्वारा अपने कार्यकाल में वहाबी आंदोलन का दमन किया गया।

लॉर्ड लॉरेंस (1864-1869 ई०)

  • लॉर्ड लॉरेंस द्वारा अपने कार्यकाल में अहस्तक्षेप की नीति अपनायी गयी जिसे शानदार निष्क्रियता भी कहा जाता है।
  • लॉरेंस के कार्यकाल में वर्ष 1865 में भूटान द्वारा ब्रिटिश साम्राज्य पर आक्रमण किया गया।
  • लॉरेंस के शासनकाल में उड़ीसा, बुंदेलखंड और राजपूताना में भीषण अकाल पड़ा जिसके लिए लॉरेंस द्वारा हेनरी कैंपवेल की अध्यक्षता में अकाल आयोग को गठित किया गया।

लॉर्ड मेयो (1869 – 1872 ई०)

  • लॉर्ड मेयो के कार्यकाल में ही भारत में प्रथम बार वर्ष 1872 में जनगणना का कार्य किया गया।
  • वर्ष 1872 में लॉर्ड मेयो द्वारा कृषि विभाग की स्थापना की गयी।
  • मेयो कॉलेज की स्थापना (वर्ष-1872) का श्रेय भी लार्ड मेयो को है।

लॉर्ड नॉर्थब्रुक (1872 – 1876 ई०)

  • लॉर्ड नॉर्थब्रुक के शासनकाल में प्रसिद्ध कूका आंदोलन हुआ।
  • इसके कार्यकाल में बंगाल में भीषण अकाल पड़ा।

लॉर्ड लिटन (1876-80 ई०)

  • लॉर्ड लिटन (1876-80 ई०) एक प्रसिद्ध साहित्यकार भी था जिसे ओवन मैरिडिथ (Owen Meredith) के नाम से भी जाना जाता था।
  • लिटन द्वारा अपने कार्यकाल में वर्ष 1878 में रिचर्ड स्ट्रैची की अध्यक्षता में एक अकाल आयोग का गठन किया गया।
  • लॉर्ड लिटन के कार्यकाल में 2 महत्वपूर्ण अधिनियम पारित हुए :-
    • भारतीय समाचार पत्र अधिनियम (वर्नाकुलर प्रेस एक्ट)- वर्ष 1878 (भारतीय भाषा के समाचारपत्रों पर प्रतिबन्ध)
    • भारतीय शस्त्र अधिनियम – वर्ष 1878

लॉर्ड रिपन (1880-1884 ई०)

  • लॉर्ड रिपन द्वारा सर्वप्रथम भारतीय समाचार पत्र अधिनियम (वर्नाकुलर प्रेस एक्ट) को समाप्त किया गया।
  • भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक लॉर्ड रिपन को माना जाता है।
  • रिपन के कार्यकाल में प्रथम कारखाना अधिनियम (First Factory Act 1881) पारित किया गया।
  • भारत में नियमित दशकीय जनगणना की शुरुआत वर्ष 1881 से रिपन के कार्यकाल में ही शुरू हुयी।

लॉर्ड डफरिन (1884 -1888 ई०)

  • लॉर्ड डफरिन के कार्यकाल में ही ए. ओ. ह्यूम (A. O. Hume) द्वारा कांग्रेस की स्थापना (1885) की गयी।
  • डफरिन के कार्यकाल में तृतीय आंग्ल-बर्मा युद्ध के माध्यम से बर्मा का पूर्ण रूप से ब्रिटिश साम्राज्य में विलय कर दिया गया।

लॉर्ड लैंसडाउन (1888 -1894 ई०)

  • लॉर्ड लैंसडाउन के कार्यकाल में द्वितीय कारखाना अधिनियम (Second Factory Act 1891) वर्ष 1891 में पारित किया गया जिसमे महिलाओ हेतु 11 घंटे से अधिक कार्य करने पर प्रतिबंध लगाया गया।
  • लैंसडाउन के शासनकाल में ही भारत एवं अफगानिस्तान के मध्यर्ष 1894 में डुरंड लाइन खींची गयी।

लॉर्ड एलगिन द्वितीय (1894-1899 ई०)

  • “भारत को तलवार के बल पर विजित किया गया है, और तलवार के बल पर ही इसकी रक्षा की जाएगी” यह कथन लॉर्ड एलगिन द्वितीय (1894-1899 ई०) का है।

लॉर्ड कर्जन (1899-1905)

  • लॉर्ड कर्जन द्वारा वर्ष 1905 में बंगाल का विभाजन (Partition of Bengal) किया गया जिसके परिणामस्वरूप स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुयी।
  • लॉर्ड कर्जन द्वारा गठित किए गए प्रमुख आयोग :-
    • पुलिस आयोग- वर्ष 1902
    • सिंचाई आयोग- वर्ष 1901 (अध्यक्ष- सर कॉलीन स्कॉट मॉनक्रीफ)
    • भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम- वर्ष 1904
    • प्राचीन स्मारक परीक्षण अधिनियम- वर्ष 1904
    • सहकारी उदार समिति अधिनियम- वर्ष 1906

लॉर्ड मिंटो द्वितीय (1905 – 1910)

  • लॉर्ड मिंटो द्वितीय के शासनकाल में वर्ष 1906 में ढाका में मुस्लिम लीग की स्थापना की गयी।
  • कांग्रेस का प्रथम विभाजन (सूरत अधिवेशन) वर्ष 1907 में लॉर्ड मिंटो द्वितीय के कार्यकाल की प्रमुख घटना है।
  • लॉर्ड मिंटो द्वितीय के शासनकाल में ही वर्ष 1909 में मार्ले मिंटो सुधार अधिनियम, 1909 (The Morley-Minto Reforms 1909) पारित किया गया जिसमे मुस्लिमो हेतु पृथक निर्वाचन व्यवस्था की शुरुआत की गयी।

लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय (1910-1916)

  • लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय के शासनकाल में वर्ष 1911 में ब्रिटेन के सम्राट जॉर्ज पंचम भारत आये जिनके स्वागत में भव्य दरबार का आयोजन किया गया। दरबार में भारत की राजधानी को दिल्ली स्थानान्तरित करने एवं बंगाल विभाजन को रद्द करने की घोषणा हुयी।
  • वर्ष 1912 में भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानांतरित की गयी।
  • वर्ष 1912 में लार्ड हार्डिंग पर बम फेंकने के अपराध में भाई बालमुकुंद को फाँसी की सजा दी गयी।

लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916-1921)

  • लॉर्ड चेम्सफोर्ड के कार्यकाल में वर्ष 1916 में लखनऊ अधिवेशन में कांग्रेस के दोनों धड़ो के मध्य विलय हो गया।
  • लॉर्ड चेम्सफोर्ड के शासनकाल में ही वर्ष 1919 में पंजाब के अमृतसर में जलियाँवाला बाग़ हत्याकांड हुआ।
  • वर्ष 1919 में रौलेट एक्ट (Rowlatt Act) लॉर्ड चेम्सफोर्ड के कार्यकाल में ही पारित किया गया था।
  • गाँधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन (वर्ष 1920-21) चेम्सफोर्ड के कार्यकाल में संचालित किया गया।
  • तृतीय अफगान युद्ध इसके समय अंग्रेजो एवं अफगानो के मध्य लड़ा गया।

लॉर्ड रीडिंग (1921-1926)

  • लॉर्ड रीडिंग के कार्यकाल में 5 फरवरी 1922 को उत्तर-प्रदेश के गोरखपुर में चौरा-चौरी काण्ड हुआ जिसके कारण गाँधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन वापस लिया गया।
  • लॉर्ड रीडिंग के कार्यकाल की अन्य महत्वपूर्ण घटनाएँ :-
    • एम.एन. रॉय द्वारा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना- वर्ष 1921
    • चितरंजन दास और मोतीलाल नेहरू द्वारा स्वराज पार्टी की स्थापना- वर्ष 1923

लॉर्ड इरविन (1926 -1931)

  • इरविन के कार्यकाल में वर्ष 1928 में साइमन कमीशन का भारत आगमन हुआ।
  • लाहौर जेल में भूख हड़ताल के कारण भारतीय स्वतंत्रता सेनानी जतिन दास की मृत्यु वर्ष 1929 में इरविन के कार्यकाल में हुयी।
  • महात्मा गाँधीजी द्वारा वर्ष 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन एवं दांडी यात्रा जैसे महत्वपूर्ण आंदोलनों का संचालन लॉर्ड इरविन के कार्यकाल में किया गया।
  • कांग्रेस लाहौर अधिवेशन में पंडित नेहरूजी द्वारा पूर्ण स्वराज का लक्ष्य वर्ष 1929 में इरविन के समय तय किया गया।
  • लॉर्ड इरविन के कार्यकाल में महत्वपूर्ण समझौते/सम्मलेन :-
    • गांधी – इरविन समझौतावर्ष 1931
    • पहला गोलमेज सम्मेलन12 नवंबर 1930 (आयोजन स्थल-इंग्लैंड)

लॉर्ड वेलिंगटन (1931-1936)

  • लॉर्ड वेलिंगटन के कार्यकाल में रैमजे मैकडोनाल्ड द्वारा 16 अगस्त 1932 को विवादास्पद सांप्रदायिक पंचाट की घोषणा की गयी एवं दलितों हेतु भिन्न निर्वाचन प्रणाली की शुरुआत की गयी।
  • वेलिंगटन के शासनकाल में ही महात्मा गाँधी एवं भीमराव अम्बेडकर के मध्य 24 सितंबर 1932 को पूना समझौता (पूना पैक्ट)  सम्पन हुआ।
  • लॉर्ड वेलिंगटन के कार्यकाल में आयोजित गोलमेज सम्मलेन :-
    • द्वितीय गोलमेज सम्मलेन- वर्ष 1931 (इस सम्मलेन की असफलता पर गाँधीजी द्वारा पुनः सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया गया)
    • तृतीय गोलमेज सम्मलेन-वर्ष 1932
  • भारत सरकार अधिनियम, 1935 वेलिंगटन के शासनकाल में पारित किया गया।

लॉर्ड लिनलिथगो (1936 -1943)

  • लिनलिथगो के कार्यकाल में ही प्रथम बार चुनाव सम्पन करवाए गए जिसमे कांग्रेस द्वारा 11 प्रांतो में से 8 प्रांतो में विजय प्राप्त की गयी।
  • इसके शासनकाल में ही सुभाष चंद्र बोस द्वारा 1 मई 1940 को कांग्रेस के अंतर्गत फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन किया गया।
  • लिनलिथगो के कार्यकाल में ब्रिटिश सरकार द्वारा 8 अगस्त 1940 को अगस्त प्रस्ताव की घोषणा की गयी।
  • वर्ष 1942 में क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) लिनलिथगो के कार्यकाल में भारत आया।
  • महात्मा गाँधी द्वारा वर्ष 1942 में अंग्रेजो के विरुद्ध भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) प्रारम्भ किया गया ।

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लॉर्ड वेवेल (1944 -1947)

  • लॉर्ड वेवेल के समयकाल में ही ब्रिटिश प्रधानमन्त्री क्लीमेंट एटली द्वारा भारत में प्रांतीय और केंद्रीय विधानसभा के आम चुनावों की घोषणा की गयी। इन चुनावों में कांग्रेस पार्टी को पर्याप्त बहुमत प्राप्त हुआ।
  • लॉर्ड वेवेल के कार्यकाल में ही भारत की सत्ता देश के नागरिको के हाथ में सौंपने एवं भारत के भावी भविष्य का विनिश्चय करने हेतु कैबिनेट मिशन (Cabinet Mission 1946) भारत आया। इसके प्रमुख सदस्य निम्न थे :-
    • सर पैथिक लॉरेंस (अध्यक्ष)
    • स्टेफोर्ड क्रिप्स
    • ए. वी. अलेक्सेंडर

लॉर्ड माउंटबेटन (मार्च 1947 से जून 1948)

  • लॉर्ड माउंटबेटन भारत के अंतिम ब्रिटिश गवर्नर थे जो भारत की आजादी के समय देश के गवर्नर जनरल पद पर आसीन थे।
  • भारत की स्वतंत्रता से सम्बंधित भारतीय स्वतंत्रता विधेयक को लॉर्ड माउंटबेटन के कार्यकाल में ही ब्रिटिश संसद में पेश किया गया जिससे सम्बंधित महत्वपूर्ण दिवस निम्न है :-
    • भारतीय स्वतंत्रता विधेयक ब्रिटिश संसद में पेश – 4 जुलाई 1947
    • भारतीय स्वतंत्रता विधेयक ब्रिटिश संसद द्वारा पारित- 18 जुलाई 1947
  • लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा 3 जून 1947 को “माउंटबेटन योजना” घोषित की गयी जिसके अनुसार भारत के विभाजन की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी। इस योजना के अनुसार भारत विभाजन के पश्चात दो नवीन गणराज्य बनाए जाने थे :-
    • भारत
    • पाकिस्तान
  • माउंटबेटन के कार्यकाल में ही भारत को 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजो के 200 वर्षो की गुलामी से आजादी मिली। इसी के साथ ब्रिटिश सरकार द्वारा गवर्नर पद को समाप्त कर दिया गया।
  • आजादी के पश्चात स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल के रूप में चक्रवर्ती राजगोपालचारी को नियुक्त किया गया।

इस प्रकार यहाँ आपको भारत के वायसराय एवं गवर्नर जनरल (List of Viceroys & Governor-General of India in Hindi) की सूची सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है।

भारत के गवर्नर जनरल एवं वायसराय सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न

ब्रिटिश सरकार द्वारा बंगाल में सर्वप्रथम किसे अपना गवर्नर नियुक्त किया गया ?

ब्रिटिश सरकार द्वारा बंगाल में सर्वप्रथम रॉबर्ट क्लाइव को गवर्नर नियुक्त किया गया।

बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल कौन था ?

बंगाल का गवर्नर जनरल पद वर्ष 1773 में सृजित किया गया एवं वारेन हेस्टिंग्स (1774-85) को बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया।

भारत का प्रथम गवर्नर जनरल कौन था ?

ब्रिटिश शासन द्वारा वर्ष 1833 में द्वितीय चार्टर एक्ट (The Charter Act of 1833) पारित करके लॉर्ड विलियम बेंटिक (1828-35 ई०) को भारत का प्रथम गवर्नर जनरल नियुक्त किया गया।

भारत का प्रथम वायसराय कौन था ?

भारत का प्रथम वायसराय (first viceroy of India) लार्ड कैनिंग (Lord Canning) था।

बंगाल का विभाजन किस वायसराय के शासनकाल में हुआ ?

बंगाल का विभाजन वर्ष 1905 में लार्ड कर्ज़न के कार्यकाल में हुआ।

भारत का अंतिम वायसराय कौन था ?

भारत की स्वतंत्रता के समय लॉर्ड माउंटबेटन वायसराय के पद पर थे जिनका कार्यकाल मार्च 1947 से जून 1948 तक रहा।

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