फुटबॉल गोल लाइन तकनीक:- अगर दुनिया के सबसे प्रसिद्ध खेल की बात की जाए तो फुटबॉल पूरी दुनिया में खेला जाने वाला गेम है। यूरोप से लेकर अमेरिका और एशिया से लेकर अफ्रीका तक आपको फुटबॉल के करोड़ो दीवाने मिल जायेंगे। फुटबॉल के दीवानों में इस खेल को लेकर गजब का क्रेज देखने को मिलता है यही कारण है फीफा द्वारा भी इस खेल को और बेहतर बनाने के लिए नए-नए नियमो को जोड़ा जाता है। इसी क्रम में फीफा द्वारा फुटबॉल के खेल को ओर रोचक और पारदर्शी बनाने के लिए फुटबॉल गोल लाइन का नियम भी शुरू किया गया है।
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आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने वाले है की फुटबॉल गोल लाइन तकनीक क्या है (Goal Line Technology In Football in Hindi) साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आप Goal Line Technology सम्बंधित टेक्निकल टर्म्स को भी अच्छे से समझ पाएंगे।
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फुटबॉल खेल से जुड़े नियम
Football Goal Line के बारे में जानने से पूर्व हमे फुटबॉल खेल से जुड़े निम्न बेसिक नियमो के बारे में जानकारी होना आवश्यक है :-
- फुटबॉल के खेल में भी क्रिकेट की ही तरह 11-11 खिलाड़ी होते है। इस खेल की कुल अवधि 90 मिनट की होती है जिसमे की 45-45 मिनट के 2 सेशन होते है।
- फुटबॉल में खिलाडियों को स्ट्राइकर, डिफेंडर, मिडफील्डर और गोलकीपर में बाँटा जाता है। गोलकीपर का काम विरोधी टीम को गोल करने से रोकना होता है। निर्धारित समय में अधिक गोल करने वाली टीम को ही विजेता माना जाता है।
- फुटबॉल के खेल में खिलाड़ियों को विरोधी टीम के गोल-पोस्ट में फुटबॉल की गेंद को पहुँचाना होता है जिसके लिए दोनों ही ओर से खिलाड़ी कड़ी प्रतिस्पर्धा करते है।
- प्रत्येक मैच में निर्णय करने के लिए रेफरी भी होते है जो की यह निर्णय करते है की फुटबॉल गोल-पोस्ट या सीमा रेखा से पार गयी है या नहीं। फुटबॉल के गोल रेखा से पार करने पर ही गोल को पूरा माना जाता है।
फुटबॉल के नियमों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के पश्चात अब जानते है की फुटबॉल गोल लाइन तकनीक क्या है ?
Football Goal Line तकनीक क्या है ?
फुटबॉल के खेल में सभी टीमों का मुख्य उद्देश्य फुटबॉल को विरोधी टीम के गोल पोस्ट में पहुँचाना होता है। गोल-लाइन या गोल-रेखा गोल-पोस्ट के पास खींची गयी वह लाइन होती है जिसे पार करने के पश्चात गोल को पूर्ण मान लिया जाता है। गोल-लाइन को गोल पोस्ट की सीमा रेखा भी माना जा सकता है जिसके अंदर फुटबॉल के प्रवेश करने पर गोल को पूर्ण मान लिया जाता है।
फुटबॉल गोल लाइन तकनीक दरअसल विभिन तकनीकों का सम्मिश्रण है जिसके माध्यम से आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके रेफरी द्वारा यह पता लगाया जाता है की फुटबॉल ने गोल-लाइन को पार किया है या नहीं। इस तकनीक के अंतर्गत आधुनिक तकनीकों के माध्यम से सटीकता के साथ फुटबॉल द्वारा गोल-रेखा को पार करने सम्बंधित गणनाएँ की जाती है।
Football Goal Line तकनीक, क्या है इतिहास
फुटबॉल के खेल में गोल के आधार पर ही विजेता टीम का निर्धारण किया जाता है। फुटबॉल में रेफरी द्वारा ही यह निर्णय किया जाता है की गोल ने गोल-लाइन को पार कर लिया है या नहीं इस आधार पर ही रेफरी गोल के होने या ना होने का फैसला करता है। अकसर विभिन मैचों में इस सम्बन्ध में रेफरी द्वारा यह पता लगाना मुश्किल होता है की गोलकीपर के द्वारा गेंद को गोल-रेखा के पास पकड़ा गया है या गेंद ने गोल-लाइन को क्रॉस कर लिया है। गोल-लाइन के पास इसी समस्या के कारण रेफरी द्वारा सही निर्णय लेने में परेशानी होती है और कई बार रेफरी द्वारा गलत निर्णय भी से दिए जाते है।
वर्ष 2010 में हुये फीफा-वर्ल्ड कप के दौरान भी इस तरह की घटनाएँ सामने आयी थी जब रेफरी द्वारा द्वारा गोल-लाइन को क्रॉस करने के पश्चात भी गोल को अमान्य करार दे दिया गया था। इसके अतिरिक्त यूरो-कप और अन्य महत्वपूर्ण टूर्नामेंट के दौरान भी इस तरह की घटनाएँ सामने आ चुकी है जिसके कारण फुटबॉल गोल लाइन तकनीक को इस खेल में शुरू किया गया है।
ऐसे काम करती है की तकनीक
Football Goal Line तकनीक अत्यधिक द्रुत गति से कार्य करती है। इस प्रक्रिया में रेफरी और मैच से सम्बंधित अधिकारियों को एक विशेष घड़ी पहनाई जाती है जिसके माध्यम से रेफरी और सम्बंधित अधिकारियो को फुटबॉल के गोल-लाइन को क्रॉस करने से सम्बंधित जानकारी सम्बंधित घड़ी में सिर्फ 1 सेकंड के भीतर ही पहुँच जाती है। इसके लिए विशेष प्रकार की तकनीक का उपयोग किया जाता है जिसकी सहायता से सेंसर का उपयोग करके इस सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की जाती है की फुटबॉल द्वारा गोल-लाइन को पार कर दिया गया है या नहीं। आधुनिक तकनीकों के उपयोग एवं विशेष सेंसर की मदद से फुटबॉल गोल लाइन तकनीक के माध्यम से रेफरी आसानी से अपना फैसला दे सकते है।
फुटबॉल गोल लाइन तकनीक में इस्तेमाल तकनीक
फुटबॉल गोल लाइन तकनीक का विकास करने के लिए वैश्विक-स्तर पर फुटबॉल का सञ्चालन करने वाली संस्था फीफा द्वारा विभिन तकनीकों का परिक्षण किया गया था जिसके आधार पर 2 तकनीकों को अंतिम रूप से चुना गया था। फुटबॉल गोल लाइन तकनीक में वर्तमान समय में इन दो तकनीकों के समन्वित मिश्रण से ही विभिन फैसले लिए जाते है। सम्बंधित दोनों तकनीकों का वर्णन इस प्रकार से है :-
- हॉक आई (Hawk Eye)– फुटबॉल गोल लाइन तकनीक में इस्तेमाल की जाने वाली प्रथम तकनीक हॉक आई तकनीक है जिसके आधार पर विभिन हाई-स्पीड कैमरों की मदद से गोल पूर्ण होने का पता लगाया जाता है। यह तकनीक वर्ष 1999 में विकसित की गयी थी। इसके अंतर्गत निम्न प्रकार से गणना की जाती है।
- हॉक आई में 14 हाई-स्पीड के वीडियो कैमरे लगाए जाते है जिनकी सहायता से फुटबॉल की स्थिति को ट्रैक किया जाता है एवं इसकी गोल-रेखा के पार करने सम्बंधित गणनाओं का पता लगाया जाता है।
- हॉक आई में फुटबाल की स्थिति का त्रिभुज तकनीक से पता करने एवं कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से जटिल गणनाओं के माध्यम से फुटबॉल के गोल-रेखा के पार करने सम्बंधित स्थिति का पता लगाया जाता है। अकसर आपने क्रिकेट मैच में भी इस प्रकार के ग्राफ को देखा होगा जहाँ विभिन गणितीय गणनाओ के आधार पर गेंद की स्थिति का आकलन करते हुए इसका पथ निर्धारित किया जाता है। क्रिकेट में एलबीडब्ल्यू (LBW) का संदेह होने पर भी हॉक आई तकनीक उपयोग की जाती है।
- इस तकनीक में यदि गेंद के द्वारा गोल-लाइन को पार किया जाता है तो रेफ़री को इस सम्बन्ध में घड़ी या इयरपीस के माध्यम से आधे से भी कम सेकंड के अंतराल में सूचना प्राप्त हो जाती है।
- गोलरेफ (GoalRef)– फुटबॉल गोल लाइन तकनीक में इस्तेमाल होने वाली दूसरी तकनीक गोलरेफ तकनीक है जो की चुम्बकीय-क्षेत्र के सिद्धांत पर कार्य करती है। इसका वर्णन इस प्रकार से है :-
- गोलरेफ तकनीक में फुटबॉल के अंदर निष्क्रिय इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को लगाया जाता है जबकि गोलपोस्ट में गोलमाउथ पर निम्न क्षमता का चुंबकीय क्षेत्र उत्पन किया जाता है।
- जब भी फुटबॉल गोल-रेखा को पार करती है तो गोलमाउथ पर निम्न क्षमता का चुंबकीय क्षेत्र फुटबॉल के अंदर निष्क्रिय इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के माध्यम से संकेत ग्रहण करता है और इन संकेतो को रेफरी एवं सम्बंधित अधिकारियों के घड़ी में प्रेषित कर देता है।
इस प्रकार से विभिन तकनीकों का उपयोग करके फीफा द्वारा फुटबॉल के क्षेत्र में अधिक पारदर्शिता का परिचय दिया जा रहा है।
फुटबॉल गोल लाइन तकनीक सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु
Football Goal Line तकनीक के विकास क्रम एवं उपयोग में हमे निम्न बिंदुओं को समझना भी आवश्यक है :-
- Goal Line Technology का सर्वप्रथम उपयोग वर्ष 2012 में जापान में आयोजित के फीफा क्लब विश्व कप में किया गया था जहाँ हॉक-आई का उपयोग टोयोटा स्टेडियम एवं गोलरेफ तकनीक का उपयोग योकाहोमा अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम में किया गया था।
- वर्तमान समय में फीफा द्वारा बड़े मैचों में Goal Line Technology का उपयोग प्रमुखता से किया जा रहा है जिसमे की मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय लीग मैच और फीफा वर्ल्ड कप शामिल है।
- फुटबॉल गोल लाइन तकनीक को किसी भी मैदान में उपयोग करने के लिए बहुत अधिक खर्चा आता है यही कारण है की अभी सिर्फ प्रमुख मैचों में ही इस तकनीक का प्रमुखता से इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस प्रकार से इस आर्टिकल के माध्यम से आपको फुटबॉल गोल लाइन तकनीक सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओ की जानकारी प्रदान की गयी है।
फुटबॉल गोल लाइन तकनीक से सम्बंधित प्रश्न (FAQ)
फुटबॉल गोल लाइन तकनीक फुटबॉल के खेल में उपयोग की जाने वाली नवीनतम तकनीक है जिसके माध्यम से रेफरी द्वारा गोल पूर्ण होने सम्बंधित जानकारी प्राप्त की जाती है।
फुटबॉल गोल लाइन तकनीक में विभिन तकनीकों का उपयोग किया जाता है जिसके माध्यम से विभिन सेंसर और कंप्यूटर-सॉफ्टवेयर द्वारा की गयी जटिल-गणितीय गणनाओं के आधार पर गोल होने का विश्लेषण किया जाता है।
फुटबॉल द्वारा गोल-रेखा को पार किया गया है या नहीं इस सम्बन्ध में रेफरी द्वारा निर्णय लेने में होने वाली मुश्किलों के मद्देनजर फुटबॉल में गोल-रेखा तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
फुटबॉल गोल-रेखा तकनीक में मुख्यत हॉक आई (Hawk Eye) और गोलरेफ (GoalRef) तकनीक का प्रयोग किया जाता है।
हाँ। फुटबॉल गोल-रेखा तकनीक की परिणामों के विश्लेषण की क्षमता एवं सटीकता को देखते हुए फीफा द्वारा इस तकनीक का सभी बड़े अंतर्राष्ट्रीय मैचों में उपयोग किया जा रहा है।