सनातन धर्म के प्रमुख प्रवर्तक जगद्गुरु शंकराचार्य के द्वारा भारत की चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की गयी थी। भारत के चारों कोनों में फैले चार मठ हिन्दू धर्म में आस्था का प्रमुख केंद्र है एवं सनातन धर्म में गुरु शिष्य परम्परा के मुख्य वाहक भी। सनातन धर्म में मोक्ष प्राप्त करने के लिए गुरु को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है ऐसे में भारत में स्थित चारों प्रमुख मठ शंकराचार्य के माध्यम से मोक्षदायक ज्ञान की प्राप्ति के प्रमुख वाहक है। मठों को प्रायः पीठ भी कहा जाता है जहाँ शंकराचार्य विराजमान होते है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भारत के चारों कोनों में फैले शंकराचार्य के चार मठ, पीठ (Four Mathas Of Shankaracharya In Hindi) के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है। साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आपको भारत के चार मठों के बारे में अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ भी प्रदान की जाएगी।
मठ क्या होते है ?
788 ई. में केरल में जन्मे आदिगुरु शंकराचार्य को हिन्दू धर्म का प्रमुख प्रणेता माना जाता है। जगतगुरु की उपाधि से विभूषित शंकराचार्य जी अद्वैत वेदांत के प्रणेता, उपनिषद व्याख्याता, संस्कृत के विद्वान एवं हिंदू धर्म के प्रमुख प्रचारक थे जिन्होंने हिन्दू धर्म के उत्थान एवं के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। अपने जीवनकाल में शंकराचार्य के द्वारा हिन्दू धर्म के प्रचार प्रसार हेतु एवं उत्थान के लिए भारत के चार कोनों में चार मठों की स्थापना की गयी थी।
यहाँ भी देखें -->> क्विज खेलकर इनाम कमाएं
मठ मुख्यता धार्मिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा का केंद्र होते है जो की गुरु शिष्य परम्परा के निर्वहन के प्रमुख केंद्र के रूप में जाने जाते है। मठों को प्रायः पीठ भी कहा जाता है। आध्यात्मिक शिक्षा के अतिरिक्त मठों के माध्यम से लोक कल्याण एवं अन्य प्रकार से समाज सेवा के कार्यक्रमों का संचालन भी किया जाता है। भारत के चारो मठों में प्रत्येक मठ का अपना सम्प्रदाय विशेषण, महावाक्य एवं वेद होता है।
क्या होते है शंकराचार्य ?
आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारों मठों के संचालन के लिए प्रत्येक मठ में एक प्रमुख नियुक्त किया जाता था जिसे की मठाधीश कहा जाता है। मठ के मठाधीश को ही शंकराचार्य की उपाधि प्रदान की जाती है जो की हिन्दू धर्म में प्रमुख गुरु के रूप में पूज्य होते है। तत्कालीन समय में भारत के चारो मठों में शंकराचार्य के द्वारा अपने सबसे योग्य शिष्यों को शंकराचार्य के पद पर आसीन किया गया था। वर्तमान में भी इसी परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है जहाँ वर्तमान शंकराचार्य अपने जीवित रहते ही अपने भावी पदाधिकारी शंकराचार्य का चुनाव कर देते है।
गोवर्धन मठ (Govardhan Math)
भारत के पूर्वी भाग में स्थित गोवर्धन मठ ओडिशा राज्य के जगन्नाथ पुरी में स्थित है। इस मठ के अंतर्गत शिक्षा-दीक्षा एवं ज्ञान प्राप्त करने वाले संन्यासी ‘आरण्य’ सम्प्रदाय नाम विशेषण धारण करते है एवं इस सम्प्रदाय के संन्यासी के रूप में जाने जाते है। गोवर्धन मठ के प्रमुख तथ्य इस प्रकार से है :-
- प्रथम मठाधीश– पद्मपाद आचार्य
- मठ का महावाक्य– ‘प्रज्ञानं ब्रह्म’
- मठ का वेद– ‘ऋग्वेद’
शारदा मठ (Sharda Math)
भारत के पश्चिमी भाग में स्थित शारदा मठ गुजरात के द्वारकाधाम में स्थित है जिसे द्वारका मठ के नाम से भी जाना जाता है। शारदा मठ से शिक्षा प्राप्त करने वाले संन्यासी ‘तीर्थ’ और ‘आश्रम’ सम्प्रदाय नामक विशेषण धारण करते है एवं इस सम्प्रदाय के संन्यासी के रूप में जाने जाते है। शारदा मठ से सम्बंधित प्रमुख तथ्य इस प्रकार से है :-
- प्रथम मठाधीश– हस्तामलक (पृथ्वीधर)
- मठ का महावाक्य– ‘तत्त्वमसि’
- मठ का वेद– ‘सामवेद’
ज्योतिर्मठ (Jyotirmartha)
देवभूमि उत्तराखंड में स्थित ज्योतिर्मठ की स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य के द्वारा की गयी थी। वर्तमान में इस स्थान को जोशीमठ के नाम से जाना जाता है जो की भारत के चार धामों में शामिल भगवान बद्रीनाथ की यात्रा का प्रमुख पड़ाव है। ज्योतिर्मठ भारत के उत्तरी भाग में स्थित मठ है जिसकी स्थापना 8वीं शताब्दी में जगतगुरु शंकराचार्य के द्वारा की गयी थी। इस मठ से शिक्षा ग्रहण करने वाले सन्यासियों द्वारा ‘पर्वत’, ‘गिरि’ एवं ‘सागर’ संप्रदाय नाम विशेषण प्रयोग किये जाते है। यहाँ आपको ज्योतिर्मठ (Jyotirmartha) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है :-
- प्रथम मठाधीश– आचार्य तोटक
- मठ का महावाक्य– ‘अयमात्मा ब्रह्म’
- मठ का वेद– अथर्ववेद
श्रृंगेरी मठ (Sringeri Math)
भारत के दक्षिणी भाग में स्थित श्रृंगेरी मठ कर्नाटक राज्य के चिकमंगलुरु में स्थित है। श्रृंगेरी मठ से शिक्षा-दीक्षा ग्रहण करने वाले संन्यासी सरस्वती, पुरी एवं भारती संप्रदाय विशेषण का प्रयोग करते है। श्रृंगेरी मठ सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार से है :-
- प्रथम मठाधीश– आचार्य सुरेश्वरजी (मंडन मिश्र)
- मठ का महावाक्य– ‘अहं ब्रह्मास्मि’
- मठ का वेद– ‘यजुर्वेद’
इस प्रकार से इस आर्टिकल के माध्यम से आपको भारत के चार प्रसिद्ध मठों से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है।
शंकराचार्य के चार मठ पीठ सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
मठ धार्मिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा का केंद्र होते है जहाँ गुरु शिष्य परम्परा का निर्वहन करके आध्यात्मिक शिक्षा दी जाती है। इसके अतिरिक्त मठ लोक कल्याण एवं समाज की भलाई के लिए विभिन कार्यो में भी संलग्न होते है। भारत में मठ परम्परा की शुरुआत आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गयी थी। मठ के प्रमुख को मठाधीश के नाम से जाना जाता है जिन्हे शंकराचार्य की उपाधि से सम्बोधित किया जाता है।
भारत के चार मठों की स्थापना जगतगुरु शंकराचार्य के द्वारा की गयी थी। शंकराचार्य द्वारा भारत के चार कोनों में चार मठों की स्थापना की गयी थी जिनका नाम इस प्रकार से है :- गोवर्धन मठ (Govardhan Math), शारदा मठ (Sharda Math), ज्योतिर्मठ (Jyotirmartha) एवं श्रृंगेरी मठ (Sringeri Math)
आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा भारत के उत्तरी भाग में स्थापित मठ का नाम ज्योर्तिमठ है।
भारत के दक्षिणी भाग में आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित श्रृंगेरी मठ (Sringeri Math) स्थित है। यह मठ कर्नाटक राज्य में स्थित है।
शंकराचार्य द्वारा देश के पूर्वी भाग में गोवर्धन मठ (Govardhan Math) की स्थापना की गयी थी। यह मठ ओडिशा राज्य में स्थित है।
भारत के पश्चिमी भाग में स्थित मठ गुजरात राज्य में स्थित शारदा मठ (Sharda Math) है जिसे की द्वारका मठ के नाम से भी जाना जाता है।
आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित कांची कामकोटि मठ तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम में स्थित है।