इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की जानकारी | Electronic Voting Machine information in hindi

अगर दुनिया के सबसे बड़े लोकतान्त्रिक देश की बात की जाए तो निःसंदेह की हमारा देश भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश है। लोकतंत्र की वास्तविक शक्ति नागरिको द्वारा मत प्रयोग के माध्यम से सरकार के चुनाव करने में निहित है ऐसे में किसी भी लोकतान्त्रिक देश में चुनावों का पारदर्शी एवं निष्पक्ष होना आवश्यक है। भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा भी चुनावो में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए समय-समय पर मतदान प्रणाली को बेहतर बनाया जाता रहा है यही कारण है की वर्तमान में हमारे देश में सभी प्रकार के चुनावो में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का प्रयोग किया जा रहा है।

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की जानकारी (Electronic Voting Machine information in hindi) प्रदान करने वाले है ताकि आप भी मतदान हेतु प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की कार्यप्रणाली से परिचित हो सकें।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की जानकारी
Electronic Voting Machine information in hindi

साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आपको इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के इतिहास, विकास एवं भारतीय लोकतंत्र में इसके उपयोग सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारियाँ भी प्रदान की जाएगी।

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इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की जानकारी

वर्तमान समय में पूरे देश में होने वाले लोकसभा चुनावो एवं विधानसभा चुनावों सहित विभिन चुनावो में मतदान के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) प्रयुक्त की जाती है। देश में सभी नागरिको को मत का अधिकार देने एवं चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए एम.बी. हनीफा के द्वारा सर्वप्रथम वर्ष 1980 में ईवीएम मशीन का अविष्कार किया गया था। इसके पश्चात इस मशीन का विभिन चुनावों में प्रयोग किया गया एवं समय के साथ इस मशीन की कार्यप्रणाली एवं तकनीकी में सुधार करते हुए इसे और भी बेहतर बनाया गया है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) में निरंतर सुधार का ही परिणाम रहा है की वर्तमान में इस मशीन के साथ वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रायल (VVPAT) को भी जोड़ दिया गया है जिससे की इस मशीन की विश्वसनीयता एवं पारदर्शिता में वृद्धि हुयी है। देश में होने वाले आम चुनावो एवं विधानसभा चुनावों में ईवीएम मशीन के माध्यम से ही मतदान किया जाता है।

ईवीएम मशीन (EVM), आवश्यकता एवं इतिहास

स्वतंत्र भारत में सर्वप्रथम वर्ष 1951-52 में प्रथम लोकसभा चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से 27 मार्च 1952 की अवधि के मध्य सम्पन किए गए था। इन चुनावो में वोट बैलेट बॉक्स का उपयोग किया गया था। वोट बैलेट बॉक्स प्रणाली के अंतर्गत मतदाता को बैलेट पेपर के माध्यम से मतदान करना पड़ता था जिसमे मतदाता द्वारा मतपत्र पर पसंदीदा उमीदवार के चुनाव निशान के आगे मुहर लगानी पड़ती थी। हालांकि समय के साथ इस प्रणाली की खामियाँ उजागर होने लगी और चुनावों में भ्रष्टाचार, फर्जी मतदान एवं पोलिंग बूथ लूटने जैसे घटनाएँ आम बाते हो गयी। ऐसे में चुनाव आयोग द्वारा एक भ्रष्टाचार मुक्त, पारदर्शी, सुगम एवं विश्वसनीय मतदान प्रणाली की आवश्यकता के फलस्वरुप ईवीएम मशीन (EVM) निर्माण की आवश्यकता महसूस की गयी।

evm machine

भारत में सर्वप्रथम एम.बी. हनीफा द्वारा वर्ष 1980 में ईवीएम मशीन (EVM) का आविष्कार किया गया जिसे की उन्होंने 15 अक्तूबर 1980 को “इलेक्ट्रॉनिक संचालित मतगणना मशीन” के नाम से पंजीकृत करवाया था। वर्ष 1982 में केरल के परूर विधानसभा में 50 पोलिंग बूथों पर सर्वप्रथम ईवीएम मशीन (EVM) का प्रयोग करके चुनाव करवाए गए थे जिसके पश्चात ईवीएम मशीन (EVM) का प्रयोग व्यापक स्तर पर किया जा रहा है।

ईवीएम मशीन (EVM) का विनिर्माण

भारत में ईवीएम मशीन (EVM) सर्वप्रथम वर्ष 1980 में एम.बी. हनीफा द्वारा तमिलनाडु में जनता के सामने प्रदर्शित की गयी थी। हालांकि भारतीय निर्वाचन आयोग के द्वारा इस मशीन का प्रयोग 1989 से किया जाना शुरू किया गया। भारत में ईवीएम मशीन (EVM) का डिजाईन आईआईटी बॉम्बे के प्रोफेसर ए. जी. राव और रवि पूवयाह के द्वारा किया गया है। भारत में ईवीएम मशीन (EVM) के निर्माण के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग के द्वारा केंद्र सरकार द्वारा अधिनियमित 2 कंपनियों का चयन किया गया है जिनके विवरण इस प्रकार से है :-

  • भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (Bharat Electronics Limited (BEL)
  • इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (Electronic corporation of india limited)

वर्तमान समय में देश में सिर्फ इन्ही दो कंपनियाँ के द्वारा ईवीएम मशीन (EVM) का विनिर्माण किया जाता है। आपको बता दे की ये दोनों कंपनियाँ केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत है ऐसे में ईवीएम मशीन (EVM) का निर्माण केंद्र के नियंत्रण में होता है।

ईवीएम मशीन (EVM) की संरचना और तकनीक 

भारत में इस्तेमाल की जाने वाली ईवीएम मशीन (EVM) 2 भागों में विभाजित होती है जिसे की मतदान इकाई (balloting unit) एवं नियंत्रण इकाई (control unit) (वर्तमान में VVPAT भी) में बाँटा जाता है। मतदान इकाई एवं नियंत्रण इकाई एक दूसरे के साथ 5 मीटर लम्बे केबल के तार से जुड़े होते है जहाँ मतदान इकाई मतदान के लिए प्रयुक्त की जाती है वही नियंत्रण इकाई का कार्य मतदान इकाई पर नियंत्रण के माध्यम से पारदर्शी मतदान सुनिश्चित करना होता है। मतदाताओं के द्वारा मतदान इकाई पर विभिन पार्टी के उम्मीदवारो में अपनी पसंद के उमीदवारों के नाम के आगे के नीले बटन को दबाया जाता है जिसके पश्चात उनका वोट सुरक्षित हो जाता है।

electronic voting machine technology

ईवीएम मशीन (EVM) में छः वाल्ट युक्त एल्कलाइन बैटरी का उपयोग किया जाता है जिससे की इसे संचालित करने के लिए किसी भी प्रकार की विद्युत की आवश्यकता नहीं होती है। ईवीएम मशीन (EVM) के बैटरी से संचालित होने के कारण इसे देश के उन भागों में भी उपयोग किया जा सकता है जहाँ विद्युत की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इससे देश के सीमान्त क्षेत्रों में भी मतदान में आसानी होती है। अपने सरल डिजाईन के कारण ईवीएम अत्यधिक पोर्टेबल है साथ ही इसकी सुगमता से मतदान की क्षमता के काऱण देश-विदेश के विशेषज्ञो के द्वारा भी इस मशीन की प्रशंसा की जा चुकी है।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की कार्यप्रणाली

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के विनिर्माण के पश्चात हमे इसके कार्यप्रणाली के बारे में भी जानकारी प्राप्त करना आवश्यक है। यहाँ आपको बिंदुवार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन मुख्यत 2 भागो मतदान इकाई (balloting unit) एवं नियंत्रण इकाई (control unit) में विभाजित होती है। निर्वाचन आयोग के द्वारा मतदान के लिए पोलिंग बूथ का निर्माण किया जाता है जहाँ मतदाता अपने मत का प्रयोग करने के लिए जाते है। सरकार द्वारा प्रत्येक पोलिंग बूथ पर मतदान अधिकारी” या “पीठासीन अधिकारी या पोलिंग ऑफिसर इन- चार्ज की नियुक्ति की जाती है जिसके हाथ में नियंत्रण इकाई के सञ्चालन की जिम्मेदारी होती है। यहाँ आपको मतदान के सभी स्टेप्स बताये गए है।

  • वोटर द्वारा वोट देने के लिए पोलिंग बूथ में तैनात अधिकारी के द्वारा मतदान के लिए मतपत्र देने के बजाय नियंत्रण इकाई (control unit) पर स्थित मतदान बटन (Ballot Button) को दबाया जाता है जिससे की वोटर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के माध्यम से वोटिंग कर सकता है।
  • मतदान कक्षा में मतदान इकाई (balloting unit) पर विभिन उम्मीदवारो के नाम, चुनाव-चिन्ह एवं सम्बंधित जानकारी दर्ज रहती है। यहाँ वोटर अपने पसंद के उम्मीदवार के पक्ष में मतदान कर सकता है। मशीन द्वारा मतदान की पुष्टि होने के पश्चात ईवीएम मशीन स्वतः की बंद हो जाती है जिससे की मतदाता द्वारा मशीन को एक से अधिक बार दबाकर एक से अधिक वोट ना दिए जाएँ।
  • ईवीएम मशीन (EVM) की नियंत्रण इकाई (control unit) सिलिकॉन निर्मित होती है जिसे की एक बार निर्माण करने के पश्चात स्वयं निर्माता के द्वारा भी नहीं बदला जा सकता है। यही कारण है की चुनावो में ईवीएम मशीन की विश्वसनीयता बनी हुयी है।
  • एक मतदाता के मत देने के पश्चात दूसरे मतदाता की वोटिंग के लिए पोलिंग बूथ में तैनात अधिकारी द्वारा कुछ समय पश्चात पुनः मतदान बटन दबाया जाता है जिससे की दूसरा मतदाता भी अपने मत का प्रयोग कर सकते है। इसी प्रकार से इस प्रक्रिया को दोहराया जाता है एवं मतदान की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है।

मतदान के पूर्ण होने के पश्चात मतदान इकाई (balloting unit), नियंत्रण इकाई (control unit) से अलग कर दी जाती है। इसके पश्चात अन्य औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद मतदान अधिकारियों के द्वारा कुल वोटों की गणना एवं अन्य फॉर्मलिटीज पूरी की जाती है एवं इसके पश्चात ईवीएम मशीनों (EVM) को सीलबंद करके चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित कंट्रोल रूप में भेजा जाता है।

भारत में ईवीएम मशीनों (EVM) से मतदान

भारत में ईवीएम मशीनो का प्रयोग वर्ष 1982 से ही किया जाता रहा है। वर्ष 1982 में सर्वप्रथम ईवीएम का उपयोग केरल में विधानसभा उपचुनाव में 50 पोलिंग बूथ पर किया गया। वही अगर देश में बात की जाए तो वर्ष 1998 में भारत में मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं दिल्ली के कुछ निर्धारित विधानसभा क्षेत्रों में ईवीएम मशीनों (EVM) का उपयोग किया गया। इसके पश्चात वर्ष 1999 में गोवा राज्य में होने वाले चुनावो में सभी क्षेत्रों में मतदान के लिए ईवीएम मशीन का उपयोग किया गया।

ईवीएम मशीनों (EVM) से मतदान को बढ़ावा वर्ष 2004 में हुए लोकसभा के चुनावो से मिला जब पूरे देश में लोकसभा चुनावो के लिए ईवीएम मशीन का प्रयोग किया गया। इसके पश्चात चुनाव आयोग द्वारा सभी लोकसभा एवं राज्यों के विधानसभा चुनावो के लिए ईवीएम मशीन के प्रयोग का निर्णय लिया गया।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के लाभ

वर्तमान समय में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग लोकसभा चुनावो एवं सभी विधानसभा चुनावो में वृहद् पैमाने पर किया जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का प्रयोग सरल, सुगम, सुरक्षित एवं पारदर्शी है यही कारण है की चुनाव आयोग द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के प्रयोग की हरी झंडी दी गयी है। इसके अतिरिक्त भी ईवीएम मशीनों (EVM) के द्वारा विभिन प्रकार से देश के लोकतंत्र को विभिन प्रकार लाभ पंहुचा है। यहाँ आपको इससे सम्बंधित बिंदु दिए गए है :-

  • ईवीएम मशीनों (EVM) के प्रयोग द्वारा प्रारंभिक लागत अधिक होने के पश्चात इसके द्वारा मतदान पत्रों, कर्मचारियों एवं अन्य कार्यो में आने वाले चुनावी खर्चे में अत्यधिक कमी हो जाती है जिससे की यह प्रणाली फायदेमंद है।
  • ईवीएम मशीनों (EVM) का प्रयोग सरल, सुगम एवं आसान है जिससे की नागरिको को मत देने में आसानी होती है साथ ही मतदान में पारदर्शिता भी आयी है।
  • इस मशीन के उपयोग से चुनावो में धाँधली की आशंका शून्य हो जाती है एवं लोकतंत्र मजबूत बनता है।
  • इंटरनेट से जुड़ा ना होने के कारण इस सिस्टम को हैक नहीं किया जा सकता है साथ ही अन्य उपकरणों के प्रयोग ना होने से यह प्रणाली पूर्ण से सुरक्षित है।

इसके अतिरिक्त भी पारदर्शिता एवं वहन करने में सुगमता के कारण ईवीएम प्रणाली का प्रयोग किया जा रहा है।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की जानकारी, निष्कर्ष

भारत में चुनाव आयोग द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के माध्यम से चुनावो में पारदर्शिता को बढ़ावा दिया गया है यही कारण है की वर्तमान में VVPAT एवं नोटा जैसी प्रणालियों का विकास किया गया है। मतदाता – सत्यापन कागज लेखा परीक्षा परिक्षण जिसे की सामान्यता VVPAT (Voter Verified Paper Audit Trail) कहा जाता है ऐसी प्रणाली है जिसके तहत मतदान करने के पश्चात वोटर द्वारा ईवीएम मशीन से एक पर्चा प्राप्त किया जाता है जिसके माध्यम से वोटर जान सकता है की उसके द्वारा दिया गया वोट उसके द्वारा समर्थित उम्मीदवार को ही गया है या नहीं। VVPAT का उपयोग सर्वप्रथम 2013 में नागालैंड राज्य में किया गया। इसके पश्चात भी चुनाव आयोग द्वारा इस प्रणाली को बेहतर बनाने के लगातार प्रयास किए जा रहे है।

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की जानकारी सम्बंधित प्रश्न-उत्तर (FAQ)

ईवीएम मशीन (EVM) का पूरा नाम क्या है ?

ईवीएम मशीन (EVM) का पूरा नाम Electronic Voting Machine (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) है जिसे की हिंदी में “इलेक्ट्रॉनिक मतदान मशीन” भी कहा जाता है।

ईवीएम द्वारा सर्वप्रथम चुनाव कब करवाए गए थे ?

भारत में ईवीएम द्वारा सर्वप्रथम चुनाव वर्ष 1982 में केरल राज्य में विधानसभा उपचुनावों में 50 बूथों पर करवाए गए थे।

ईवीएम का आविष्कार किसके द्वारा किया गया ?

भारत में सर्वप्रथम एम.बी. हनीफा द्वारा वर्ष 1980 में ईवीएम मशीन(EVM) का आविष्कार किया गया। 1989 में भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा आईआईटी बॉम्बे की फैकल्टी के द्वारा ईवीएम का निर्माण शुरू किया गया।

भारत में ईवीएम मशीन (EVM) किसके द्वारा निर्मित किए जाते है ?

भारत में ईवीएम मशीन (EVM) का निर्माण केंद्र सरकार द्वारा अधिनियमित भारत इलेक्ट्रॉनिक लिमिटेड (Bharat Electronics Limited (BEL) एवं इलेक्ट्रॉनिक कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (Electronic corporation of india limited) द्वारा किया जाता है।

ईवीएम मशीन (EVM) की कार्यप्रणाली क्या है ?

ईवीएम मशीन (EVM) मुख्यत 2 भागों में विभाजित होती है जो की मतदान इकाई (balloting unit) नियंत्रण इकाई (control unit) जिसके माध्यम से मतदान प्रक्रिया को सम्पन किया जाता है। विस्तृत जानकारी के लिए आप ऊपर दिया गया लेख पढ़ सकते है।

क्या ईवीएम मशीन इंटरनेट से जुड़ी रहती है ?

नहीं। ईवीएम मशीन की कार्यप्रणाली किसी भी प्रकार से इंटरनेट से कनेक्ट नहीं रहती इसलिए इसके हैक नहीं किया जा सकता है।

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