भारतीय सविधान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को हक़ है के वह अपना जीवन इज्जत, मान-सम्मान, प्रतिष्ठता के साथ व्यतीत करे। मान-सम्मान के साथ ही व्यक्ति का सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक विकास होता है। ख्याति की रक्षा उतनी ही जरुरी है जितनी कि संपत्ति की रक्षा। व्यक्ति एक बार के लिए संपत्ति की हानि को तो संभाल सकता है लेकिन ख्याति की हानि को नहीं। आज हम अपनी ख्याति की रक्षा के सन्दर्भ में बात करेंगे और जानेगे मानहानि का दावा क्या होता है | Defamation claim kya hota hai और साथ में जानेगे मानहानि के प्रकार।
सामाजिक प्रतिष्ठता या मान- सम्मान का अधिकार सभी व्यक्तियों का एक विशिष्ट अधिकार होता है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी सामाजिक प्रतिष्ठता को बनाये रखना चाहता है और कानून भी इस अधिकार को मान्यता प्रदान करता है तथा संरक्षण प्रदान करता है। यदि किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व की मानहानि होती है तो वो मानहानि का दावा कर सकता है जिसके बारे में पूर्ण जानकारी आपको इस लेख से प्राप्त हो जाएगी।
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मानहानि का दावा क्या होता है ?
किसी व्यक्ति, व्यापार, समूह, उत्पाद, धर्म या राष्ट्र की प्रतिष्ठा को हानि वाला असत्य कथन मानहानि (Defamation) कहलाता है। किसी पर झूठा आरोप लगाना या उसकी प्रतिष्ठता को ठेस पहुंचना मानहानि के अंतर्गत आता है। प्रत्येक भारतीय नागरिक को पूरे मान सम्मान के साथ जीने का अधिकार है इसलिए ही मानहानि कानून बनाया गया है। भारतीय दंड सहिंता (IPC) की धारा 499 के अनुसार राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी प्रतिष्ठता, ईमानदारी, यश, मान-सम्मान, प्रसिद्धि को सुरक्षित रखने का पूरा अधिकार है।
जब कोई व्यक्ति बोले गए शब्दों या कहे गए कथनो का इस्तेमाल किसी पर लांछन लगाने के उद्देश्य से करता है और उसके लगाए गए लांछन से किसी व्यक्ति विशेष की ख्याति को अपहानि होती है तो उसको मानहानि करना बोला जाता है भारतीय दंड सहिंता की 499-502 तक धाराएं मानहानि से सम्बंधित है। जब कोई व्यक्ति हमारे व्यक्तित्व को ठेस पहुँचता है तो उस पर हम मानहानि का केस कर सकते है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 499
भारत में IPC की धारा 499 के अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति को ऐसा लगता है कि उसको सार्वजनिक रूप से शब्दों या इशारो के माध्यम से, बोलकर या लिखकर किसी व्यक्ति द्वारा उस पर गलत आरोप लगाया गया है तो इस स्थिति में व्यक्ति अदालत में मानहानि का मुकदमा दाखिल कर सकता है। जिसमे दावा किया गया हो कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा की गयी गतिविधि उसकी मर्यादा प्रतिष्ठता जी ठेस पहुंचने वाली है।
किसी व्यक्ति पर मानहानि का मुकदमा करने के लिए आवश्यक है कि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बोले या लिखे गए शब्दों का प्रकाशन हुआ हो अर्थात किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठता को नुक्सान तब होता है जब बोले गए या लिखे गए कथन किसी तीसरे व्यक्ति ने सुना, देखा या पढ़ा हो यदि ऐसा नहीं हुआ है तो मानहानि का मुकदमा करने का कोई आधार नहीं है। यदि मृत व्यक्ति के बारे में भी कोई अपशब्द लिखता य ा बोलता है तो करीब रिश्ते नातेदारो को यह बात अच्छी नहीं लगती तो वह लोग उस व्यक्ति पैट मानहानि का दवा (Defamation claim) कर सकते है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 500
भारतीय दंड सहिंता 500 के अनुसार जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की मानहानि करता है और वो दोषी पाया जाता है तो कानून उस व्यक्ति को दो वर्ष की कारावास या जुर्माना भरने का दंड देता है। या कारावास और जुर्माना दोनों सजा साथ में भी दी जा सकती है।
मानहानि कितने प्रकार की होती है
मानहानि दो रूप में होती है
अपलेख (Libel) :- जब कोई व्यक्ति किसी के लिए बुरे कथन को लिखता है और उसका अपमान करता है और उसपर झूठे आरोप लगाता है तो उसको अपलेख कहते है। इंटरनेट की इस दुनिया में सोशल मीडिया पर लिखित रूप से की गयी अवहेलना भी आपलेख के अंतर्गत आती है। इसमें लेख, आलेखों, चित्रों, पुतलो, सिनेमा, फिल्मो, कार्टूनों, छाया चित्रों आदि माध्यमों से व्यक्ति के मान को हानि पहुचाने की कोशिश की जाती है।
अपवचन (Slander) :- जब कोई व्यक्ति किसी के विरुद्ध कुछ बुरा बोलता है जो उसके लिए अपमानजनक हो और लोगो को सुनकर उसके प्रति घृणा उत्पन्न हो वह अपवचन कहलाता है। इसमें मौखिक शब्दि के साथ साथ संकेत या शारीरिक मुद्रा भी सम्मलित है। सर हिलना, आँखे मटकाना, फुसफुसाना, मुस्कुराना, संकेत करना ये सभी अपवचन के अंतर्गत आते है।
लिबेल में किसी भी क्षति के प्रमाण के बिना कार्यवाही की जा सकती है क्योंकि यह लिखित रूप में होती है और लेख को सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन स्लेंडर के मामले में तभी कार्यवाही की जा सकती है जब क्षति के प्रमाण पेश किये जायेगे। दोनों रूपों में एक बात सामान्य होनी चाहिए कि मान हानि के शब्द किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा सुने या देखे गए हो।
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किसे नहीं माना जायेगा मान हानि
मानहानि के अंतर्गत आने वाली बातो के साथ साथ ये भी जानना जरुरी है कि किन स्थितियों में मान हानि का दवा नहीं किया जा सकता।
- किसी व्यक्ति के लिए की गयी सच्ची टिप्पणी मान हानि के अंतर्गत नहीं आती।
- यदि कोई टिप्पणी जनहित के लिए की गयी है तो वो मानहानि के अंतर्गत नहीं आती
- यदि किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के बारे में टिप्पणी की गयी हो जो लोगो को भलाई के लिए की गयी हो तो वो मानहानि के अंतर्गत नहीं आती।
- यदि किसी व्यक्ति के बारे में ऐसी बात बोली जाती है जो सच है तो मानहानि नहीं है।
- कोई व्यक्ति किसी को बुरे व्यक्ति से सावधान रहने के लिए कहे तो मानहानि नहीं है।
- यदि अदालत में कोई केस चल रहा है और किसी के व्यक्तित्व के बारे में सच बाते बोली जाती है तो य मानहानि नहीं है।
मानहानि साबित करने के आवश्यक तत्व
- कथनो का अपमान जनक होना
- कथनो का प्रकाशित होना
- कथनो का असत्य होना
- कथनो का वादी से सम्बन्ध होना
- प्रतिवादी द्वारा कथनो को प्रकाशित किये जाना
मानहानि का दावा करने के कारण
- किसी व्यक्ति के बारे में गलत बाते बोलकर या लिखकर उसको अपमानित करना।
- किसी व्यक्ति पर कोई गलत लांछन लगाना
- किसी व्यक्ति की बेज्जती करना
- किसी के बारे के गलत अफवाह फैलाई गयी हो
- ऐसे शब्द जिससे व्यक्ति की प्रतिष्ठता समाज में गिर जाये
- अपमान जनक टिप्पणी करना
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मानहानि का दावा क्या होता है से जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर
भारतीय दंड सहिंता 500 के अनुसार जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति की मानहानि करता है तो उसको कानून सजा देता है। कानून उस व्यक्ति कको दो वर्ष की कारावास या जुर्माना भरने का दंड देता है। या दोनों दंड भी एक साथ दिए जाते है।
मानहानि के दो प्रकार होते है अपलेख और अपवचन।
IPC की धारा 499 के अनुसार किसी व्यक्ति के बारे में झूटी अफवाह फैलाना या उसको अपमान जनक कथन कहना उसकी प्रतिष्ठता के खिलाफ कुछ छापना मानहानि माना जाता है।
किसी व्यक्ति, व्यापार, समूह, उत्पाद, धर्म या राष्ट्र की प्रतिष्ठा को हानि वाला असत्य कथन मानहानि (Defamation) कहलाता है।
जब किसी व्यक्ति के खिलाफ कुछ अपमान जनक कथन बोला या लिखा जाता है जिसे सुनकर लोगो के मन में उस व्यक्ति के प्रति उपहास या घृणा की भावना उत्पन्न होती है तो इस स्थिति में व्यक्ति मानहानि का दावा कर सकता है।