कोर्ट मैरिज क्या है? कोर्ट मैरिज कैसे करें |Court marriage process in hindi ?

हर किसी के अपनी शादी के विषय में बहुत से सपने होते है। सबको अपने मनपसंद का जीवनसाथी चाहिए होता है। सभी धर्मो में शादी को लेकर बहुत से रीति रिवाज फॉलो किये जाते है। हर कोई चाहता है कि उसकी शादी यादगार रहे लेकिन सभी के लिए अपनी शादी धूम धाम से कर पाना आसान नहीं होता क्योंकि इन सब में खर्चा भी बहुत होता है। कोई अपनी शादी छोटे स्तर पर करता है तो कोई धार्मिक स्थल पर जा कर करता है, वही कुछ लोग कोर्ट मैरिज करते है। भारत में कोर्ट मैरिज की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है कई सारी जोडिया अब कोर्ट मैरिज करना ही पसंद करती है, जिससे खर्चा भी कम होता है और ये कानूनी रूप से मान्य भी होती है। तो आज हम आपको बतायेगे कोर्ट मैरिज क्या है? कोर्ट मैरिज कैसे करें |Court marriage process in hindi ? और जानेगे Court marriage से सम्बंधित आवश्यक बाते। ज्यादातर कोर्ट मैरिज में देखा जाता है कि युवक युवती अंतर्जातीय होते है शायद जिस कारण उनका परिवार भी उनकसाथ नहीं देता और वे अपनी मर्जी से कोर्ट मैरिज कर लेते है।

कोर्ट मैरिज क्या है?
कोर्ट मैरिज क्या है? कोर्ट मैरिज कैसे करें | Court marriage process in hindi

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कोर्ट मैरिज क्या है ?

कोर्ट मैरिज क्या है :- कोर्ट मैरिज अर्थात कोर्ट में शादी करना। Court marriage किसी भी जाति, समुदाय, धर्म के बालिक युवक-युवतियों के बीच हो सकती है। किसी विदेशी नागरिक और भारतीय की भी कोर्ट मैरिज हो सकती है। वर्तमान समय में कोर्ट मैरिज करने के लिए लड़की की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और लड़के की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष है। कोर्ट मैरिज रस्मो, समारोह से दूर होती है और बेहद ही सरल तरीके से होती है। यह विवाह पंजीकरण विधि द्वारा होता है और पूरा होने पर विवाह प्रमाण पत्र भी मिलता है। कोर्ट मैरिज एक ऐसी विवाह प्रक्रिया है जिसमे लड़का लड़की अपनी शादी को कानूनों तौर से करने के लिए विवाह अधिकारी के ऑफिस में जाकर कानूनी सरकारी कागजो के अनुसार गावहो के सामने शादी करते है। कोर्ट मैरिज के लिए एक स्पेशल एक्ट है जिसको मैरिज एक्ट 1954 कहते है। कोर्ट मैरिज एक समारोह है जिसमे युवक युवती शादी के लिए निर्धारित आयु पूरी करने के बाद शादी करते है।

कोर्ट मैरिज करने की शर्ते

  • लड़के की उम्र 21 वर्ष या उससे ऊपर होनी चाहिए।
  • लड़की की उम्र 18 वर्ष या उससे ऊपर होनी चाहिए।
  • कोर्ट मैरिज करने के लिए लड़का-लड़की दोनों मानसिक रूप से स्वस्थ होने चाहिए
  • शादी में दोनों की रजामंदी होनी चाहिए।
  • आपसी रिश्तेदारी में लड़के लड़की की शादी नहीं हो सकती यानी आपस में भाई बहन न हो (केवल हिन्दू धर्म के लिए मान्य)
  • लड़का या लड़की में से कोई भी शादी शुदा न हो ( तलाकशुदा हो तो तलाक के कागज अनिवार्य है और यदि विधवा/विधुर है तो पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र अनिवार्य)

कोर्ट मैरिज करने के लिए आवश्यक दस्तावेज

  • 2 गवाह और उनकी उनकी फोटो
  • गवाहो के आधारकार्ड
  • युवक का जन्म प्रमाणपत्र/10th की मार्कशीट
  • युवती का जन्म प्रमाणपत्र/10th की मार्कशीट
  • निवास प्रमाण के लिए आधार कार्ड/वोटर आई डी कार्ड/ राशन कार्ड
  • युवक के 4 पासपोर्ट साइज फोटो
  • युवती के 4 पासपोर्ट साइज फोटो
  • विवाह पंजीकरण का आवेदन
  • तलाकशुदा मामले में तलाक के कागज
  • विधवा/विदुर मामले में पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र

कोर्ट मैरिज कैसे करें ?

  • सबसे पहले दोनों पक्षों को लिखित रूप से सूचना पत्र और आवेदन पत्र भरकर विवाह ऑफिसर को देना होगा। जिस शहर में आप शादी करना चाहते है वहा आप कम से कम 1 महीने के निवासी होने चाहिए।
  • कोर्ट मैरिज करने के लिए आपको एक निर्धारित फीस भी अदा करनी होती है।
  • सूचना पत्र को जमा करने के बाद विवाह अधिकारी द्वारा सूचना जारी की जाती है। सूचना की एक प्रतिलिपि कार्यालय में तथा एक प्रतिलिपि जिला कार्यालय में जमा की जाती है।
  • सूचना जारी करने के 30 दिन के भीतर यदि कोई तीसरा व्यक्ति किसी प्रकार की आपत्ति जताता है तो विवाह अधिकारी मामले की जांच करता है यदि मामला सही पाया जाता है तो Court Marriage को रोक दिया जाता है और यदि 30 दिन के दौरान कोई आपत्ति नहीं होती तो रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू रहती है।
  • यदि आपत्ति को विवाह अधिकारी द्वारा स्वीकार कर लिया जाता है तो आवेदानकर्ता को ये हक़ है के वह आपत्ति स्वीकार करने के खिलाफ जिला कोर्ट में अपील कर सकते है। लेकिन अपील 1 महीने के भीतर ही करनी होगी।
  • 30 दिन बाद विवाह अधिकारी के सामने आवेदनकर्ताओ (लड़का लड़की)और गवाहों को एक घोषणा पत्र कर हस्ताक्षर (Signature) करने होते है। इस घोषणा पत्र में लिखा होता है कि ये शादी बिना किसी दबाव के की जा रही है।
  • विवाह अधिकारी के ऑफिस या किसी निकट के स्थान पर ये कोर्ट मैरिज संपन्न कर दी जाती है
  • इसके बाद विवाह अधिकारी विवाह प्रमाण पत्र पुस्तिका में उनके प्रमाण पत्र का विवरण दर्ज करता है जिसके बाद विवाह प्रमाण पत्र (Marriage Certificate) आवेदनकर्ताओ को दे दिया जाता है।

शादी के बाद शादी को कोर्ट में कैसे रेजिस्टर कराये ?

समजाजिक रीती-रिवाजो के साथ शादी करने के बाद भी आपको अपनी मैरिज कोर्ट में रजिस्टर करा लेनी चाहिए। यह पंजीकरण अब सभी विवाहित जोड़े के लिए करना अनिवार्य कर दिया गया है। विवाह प्रमाण पत्र के माध्यम से महिलाओ के अधिकारों की सुरक्षा होगी। इससे बाल विवाह पर भी रोक लगाई जा सकती है। तो चलिये जानते है विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया

विवाह पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज

  • विवाह निमंत्रण पत्र/मंदिर या चर्च की रसीद/ विवाह का कोई अन्य प्रमाण
  • निवास प्रमाण (राशन कार्ड/पहचान पत्र/ड्राइविंग लाइसेंस)
  • आयु प्रमाण पत्र (बर्थ सर्टिफिकेट/स्कूल,कॉलेज की मार्कशीट)
  • वर वधु का आधार कार्ड
  • शादी के समय की तस्वीर
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • 2 गवाह और उनकी आई डी

विवाह पंजीकरण की प्रक्रिया

  • सबसे पहले रजिस्ट्रार ऑफिस जाना होगा।
  • वहाँ से विवाह पंजीकरण फॉर्म लेना होगा
  • फॉर्म में पूछी गयी सभी जानकारियों को भरना होगा
  • फॉर्म को ध्यानपूर्वक भरने के बाद उसके साथ सभी महत्वपूर्ण डाक्यूमेंट्स की फोटोकॉपी लगानी होगी।
  • उसके बाद आपको यह फॉर्म रजिस्ट्रार के ऑफिस में जमा करना होगा।
  • जिसके बाद आपको reference number मिलेगा।
  • इस रेफेरेंस नंबर से आप अपनी पंजीकरण की स्थिति ज्ञात कर सकते हो।
  • इस प्रकार आपका आवेदन पूरा हो जायेगा और कुछ दिनों में आपका विवाह प्रमाणपत्र भी बन जायेगा।

शुल्क

  • यदि आप विवाह पंजीकरण विवाह के 90 दिन के भीतर करते हो तो आपको 100 रूपए शुल्क अदा करना पड़ेगा।
  • 90 दिन के बाद 200 रूपए
  • विवाह प्रमाण पत्र प्रति हेतु 50 रूपए का शुल्क देना होगा।

कोर्ट मैरिज की उम्र 21 साल ?

कोर्ट मैरिज को लेकर लड़कियों की उम्र बढ़ाये जाने की मांग रखी गई है जिसके अनुसार युवक और युवती दोनों की विवाह के लिए नयूनतम उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए। शादी के लिए न्यूनतम उम्र में अंतर होने से मौलिक अधिकार है हनन होता है। पक्ष में कहा जा रहा है कि 18 वर्ष की उम्र में लड़की की पढाई चल ही रही होती है जिसके बाद लड़की की शादी करा दी जाती है जिससे उसके ऊपर बहुत से जिम्मेदारियां आ जाती है। जिसके कारण उसकी पढाई बीच में ही छूट जाती है और फिर शादी करने के बाद लड़की से उम्मीद की जाती है बच्चे की। कम उम्र में माँ बनने से लड़की के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ सकता है। इस प्रकार की परम्परा उनकी पढाई और स्वास्थ्य दोनों पर असर करती है।

इस प्रकार महिला शादी और बच्चे के लिए समाज के दवाब के कारण अपने अधिकारों से वंचित रह जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कहता है कि 20 वर्ष से कम उम्र वाली महिलाओ के माँ बनने से उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। जब पुरुषो की शादी की उम्र 21 रखी गयी है जिसमे वे अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकते है उसी तरह महिलाओ की भी शादी की उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए ताकि वे भी उच्च शिक्षा प्राप्त कर सके और देश उद्धार में अपनी भागीदारी दे सके। 2019 से अभी तक ये याचिका चल रही है लेकिन अभी इसको स्वीकार नहीं किया गया है।

यह भी जाने :- याचिका क्या है और कितने प्रकार की याचिका भारतीय संविधान में दी गयी है ?

कोर्ट मैरिज क्या है से सम्बंधित प्रश्न व उनके उत्तर

कोर्ट मैरिज क्या है ?

बिना किसी परम्परागत समारोह के विवाह अधिकारी के सामने संपन्न होने वाली मैरिज को कोर्ट मैरिज कहते है।

कोर्ट मैरिज करने के लिए युवक-युवती की न्यूनतम उम्र क्या है ?

कोर्ट मैरिज करने के लिए युवक की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष और युवती की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष है।

कोर्ट मैरिज करने का क्या फयदा है ?

कोर्ट मैरिज करने पर आपको शादी का प्रमाण पत्र मिल जाता है और आप कानूनी तौर पैट पति पत्नी बन जाते हो।

कोर्ट मैरिज करने के लिए कितना समय लगता है ?

कोर्ट मैरिज को पूर्ण तरीके से रजिस्टर होने में 30-40 दिनों का समय लगता है।

क्या कोर्ट मैरिज ऑनलाइन कर सकते है ?

कोर्ट मैरिज ऑनलाइन नहीं कर सकते है।

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