अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत दुनिया में नया सरताज बनाकर उभरा है। अपने सीमित संसाधनों एवं तकनीक के बावजूद भारत द्वारा अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण स्पेस मिशन को अंजाम दिया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप पूरी दुनिया भारत के अंतरिक्ष विज्ञान का लोहा मानने लगी है। भारत के द्वारा मंगल की कक्षा में मंगलयान मिशन की सफलता के बाद देश की निगाहें चाँद पर टिकी हुयी है। भारत द्वारा मंगल पर सफल मिशन के बाद चँद्रमा पर अन्वेषण के लिए चंद्रयान-2 मिशन शुरू किया जा रहा है। पूरी दुनिया के लिए यह मिशन बेहद खास है क्यूंकि पहली बार कोई देश चँद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना लैंडर लांच करने वाला है। चलिए आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भारत के इसी महत्वपूर्ण चंद्रयान-2, विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर मिशन क्या है?
आदित्य-एल 1 उपग्रह मिशन | ISRO ADITYA L1 Solar mission
(Chandrayaan-2: India’s Orbiter-Lander-Rover Mission) सम्बंधित जानकारी प्रदान करने वाले है जिसके माध्यम से आप भी देश के महत्वपूर्ण चंद्रयान-2 मिशन के बारे में सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही प्रतियोगी परीक्षाओं में भी साइंस एंड टेक्नोलॉजी सेक्शन में यह टॉपिक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
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Article Contents
चंद्रयान-2, विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु
चंद्रयान-2 मिशन भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी का महत्वपूर्ण मिशन है जिसके माध्यम से भारत द्वारा चँद्रमा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण विश्लेषण किये जायेंगे। यहाँ आपको इस मिशन से सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं की जानकारी प्रदान की जा रही है :-
मिशन का नाम | चंद्रयान-2, विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर |
संचालन किया जा रहा है | इसरो द्वारा |
उद्देश्य | चन्द्रमा की सतह का विश्लेषण |
मिशन में लैंडर | विक्रम लैंडर |
मिशन में रोवर | प्रज्ञान रोवर |
मिशन लांच किया गया | 22 जुलाई |
मिशन की कुल समयवधि | चंद्रयान- 1 वर्ष, लैंडर और रोवर-15 दिन |
कुल वजन | 3877 किलोग्राम |
लांच केंद्र | सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र |
चंद्रयान-2 मिशन क्या है ?
चंद्रयान-2 मिशन भारत की अंतरिक्ष एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO) के द्वारा लांच किया गया मिशन है जिसके माध्यम से चन्द्रमा की सतह का विश्लेषण किया जायेगा। इस मिशन के अंतर्गत चन्द्रमा की सतह का विस्तृत एवं आधारभूत विश्लेषण किया जायेगा साथ ही मिशन के अंतर्गत चन्द्रमा के भौगोलिक क्षेत्र का मापन, चन्द्रमा की सतह पर मौजूद विभिन तत्वों का रासायनिक विश्लेषण, चन्द्रमा का मौजूद विभिन पदार्थों का विश्लेषण, सौर X-किरणें एवं अन्य विकिरणों के साथ चन्द्रमा के बाह्य वातावरण का भी विस्तृत विश्लेषण किया जायेगा। इसके अतिरिक्त इस मिशन का सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य चन्द्रमा की सतह पर जल एवं अन्य द्रवीय पदार्थों की उपस्थिति का पता लगाना है जिससे की चन्द्रमा पर जीवन की संभावनाओं की तलाश की जा सके।
चंद्रयान-2 मिशन, चंद्रयान-1 मिशन का ही अपग्रेडेड वर्जन है जहाँ इसरो के द्वारा चंद्रयान-1 मिशन के सभी भागो में महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए इसे और भी बेहतर और अत्याधुनिक तकनीक के लैस किया गया है। इस मिशन के माध्यम से इसरो द्वारा चन्द्रमा की सतह के सभी महत्वपूर्ण आयामों का विश्लेषण किया जायेगा जिससे की भविष्य में चन्द्रमा के बारे में और भी जानकारियाँ जुटाई जा सके। यह मिशन चन्द्रमा के विश्लेषण के सम्बन्ध में मील का पत्थर साबित होगा।
चंद्रयान-2 मिशन, क्या है आवश्यकता ?
चंद्रयान-2 मिशन के बारे में जानने से पूर्व हमे यह जानना आवश्यक है की आखिर चन्द्रमा की सतह का विश्लेषण करना क्यों आवश्यक है ? चन्द्रमा की सतह का विश्लेषण करने से मानव जाति को क्या फायदा है ? और सबसे महत्वपूर्ण सवाल की आखिर चन्द्रमा की सतह का इतना विस्तृत विश्लेषण क्यों किया जा रहा है ? चलिए सबसे पहले इन्ही सभी सवालों के जवाब जान लेते है। मानव सदैव से ही एक जिज्ञासु प्राणी रहा है। वह हमेशा से ही अपने आसपास को ऑब्जर्व करता रहा है। इसी क्रम में इंसान पृथ्वी के अतिरिक्त अन्य ग्रहो पर भी जीवन की तलाश के लिए सदैव से प्रयासरत रहा गया है। वर्तमान समय में ग्लोबल वार्मिंग एवं अन्य चुनौतियों के फलस्वरूप मानव दूसरे ग्रहो पर भी जीवन की सम्भावनाएं तलाश कर रहा है जिससे की भविष्य में अन्य ग्रहो पर भी मानव बस्तिया बसाई जा सके। मानव जीवन के लिए वायु और जल आवश्यक तत्त्व है ऐसे में चन्द्रमा हमे कुछ आशा देता है।
चन्द्रमा की सतह का विश्लेषण करके हम यह जान सकते है की क्या चन्द्रमा का वातावरण मनुष्यों के रहने लायक हो सकता है या नहीं। इसके अतिरिक्त चन्द्रमा की सतह का विश्लेषण करके हम विभिन खनिजों का पता भी पता लगा सकते है जिससे की चन्द्रमा के आंतरिक संरचना के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। चन्द्रमा के विस्तृत विश्लेषण के माध्यम से हम चन्द्रमा पर मानव जीवन की अनुकूल परिस्थितियों की तलाश कर सकते है जिससे की भविष्य में चाँद पर भी मानव बस्तियाँ स्थापित की जा सके।
चंद्रयान-2 मिशन, इतिहास
भारत के द्वारा चन्द्रमा की सतह के विश्लेषण के लिए वर्ष 2008 में चंद्रयान-1 मिशन लांच किया गया था। इस मिशन के माध्यम से भारत के द्वारा चन्द्रमा के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाई गयी थी जिसमे सबसे महत्वपूर्ण चन्द्रमा पर जल के कणों की खोज करना था। आपको बता दे दुनिया में सर्वप्रथम भारत द्वारा ही चन्द्रमा पर जल के कणों की खोज की गयी थी जिसके माध्यम से चन्द्रमा पर मानव जीवन के भविष्य की सम्भावनाएं प्रबल हो गयी थी। इस मिशन की सफलता के साथ ही भारत द्वारा चंद्रयान-1 का अपग्रडेड वर्जन चंद्रयान-2 का प्लान भी तैयार कर लिया गया था। चंद्रयान-2 मिशन की योजना वर्ष 2007 में एवं इसका प्लान वर्ष 2009 में बनाया जा चुका था जो की भारत एवं रूस का समन्वयित अंतरिक्ष कार्यक्रम था।
इस मिशन के तहत भारत द्वारा चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर और रोवर जबकि रूस द्वारा लैंडर बनाया जाना था। हालांकि वर्ष 2013 में रूस द्वारा वित्तीय कारणों एवं तकनीकी समस्याओ के कारण इस प्रोजेक्ट से हाथ खींच लिया गया जिसके परिणामस्वरूप भारत द्वारा इस मिशन को स्वयं ही पूर्ण करने का निर्णय लिया गया। आख़िरकार भारत द्वारा कड़ी मेहनत एवं साहस का परिचय देते हुए इस मिशन के सभी महत्वपूर्ण भागों का निर्माण स्वयं ही किया गया।
चंद्रयान-2 मिशन, विस्तृत विश्लेषण
चंद्रयान-2 मिशन भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो के द्वारा संचालित किया जाने वाला महत्वपूर्ण अंतरिक्ष कार्यक्रम है। इस मिशन के माध्यम से भारत द्वारा चन्द्रमा की सतह का विस्तृत विश्लेषण किया जायेगा। चंद्रयान शब्द दो शब्दो के संयोजन चंद्र और यान से मिलकर बना है। चंद्र का अर्थ चन्द्रमा होता है वहीं यान का अर्थ वाहन या वहन करने वाला होता है। इस प्रकार से चंद्रयान का सम्पूर्ण अर्थ चाँद तक जाने वाला यान यानी की वाहन है। चंद्रयान-2 मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की दृष्टि से महत्वपूर्ण कदम है चूँकि दुनिया में पहली बार कोई देश चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखने जा रहा है।
चन्द्रमा का दक्षिणी ध्रुव अभी भी अंतरिक्ष विज्ञानियों के लिए एक रहस्य है क्यूंकि यहाँ पर अभी तक किसी भी प्रकार का अन्वेषण कार्य नहीं किया गया है जिसके कारण यह पूरी तरह से अनछुआ क्षेत्र है। चंद्रयान-2 मिशन के द्वारा चाँद के दक्षिणी ध्रुव के पर्दों को खोलने में सफलता मिलेगी। चंद्रयान-2 मिशन के अंतर्गत इसरो द्वारा एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर को चन्द्रमा की सतह पर भेजा जायेगा जिसके माध्यम से चाँद की विस्तृत जानकारी जुटाई जा सकेगी। चंद्रयान-2 मिशन के मुख्य भाग निम्न है :-
- लूनार ऑर्बिटर (Lunar Orbiter)
- लैंडर (Lander) – विक्रम (Vikram)
- लूनार रोवर (Rover) – प्रज्ञान (Pragyan)
चलिए अब चंद्रयान-2 मिशन में प्रयुक्त सभी महत्वपूर्ण भागों की विस्तृत जानकारी प्राप्त करते है :-
1. लूनार ऑर्बिटर (Lunar Orbiter)
लूनार ऑर्बिटर चंद्रयान-2 मिशन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। लूनार ऑर्बिटर का मुख्य कार्य चन्द्रमा की कक्षा में चक्कर लगाते हुए इससे चाँद से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण डाटा एवं सूचनाओं को इसरो के स्पेस सेंटर में भेजना है। लूनार ऑर्बिटर चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण के अधीन परिक्रमण करते हुए चन्द्रमा से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियों की पृथ्वी पर भेजता रहेगा जिसके माध्यम से हम चाँद से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
इसके अतिरिक्त लूनार ऑर्बिटर के द्वारा चन्द्रमा के बाह्य वातावरण एवं यहाँ के मौसम पैटर्न से सम्बंधित जानकारी भी इसरो केंद्र में भेजी जाती रहेगी जिससे की हमे चन्द्रमा के वातावरण के सम्बन्ध में आवश्यक डाटा प्राप्त होगा। लूनार ऑर्बिटर स्वयं में इंस्टाल किए गए सोलर-पैनल के माध्यम से सौर-ऊर्जा का संग्रहण कर सकेगा जिसके द्वारा की यह अपने सभी महत्वपूर्ण कार्यो को निरंतर जारी रख सकेगा। लूनार ऑर्बिटर का मुख्य कार्य अंतरिक्ष से चाँद का विश्लेषण करना है।
2. लैंडर (Lander) – विक्रम (Vikram)
चंद्रयान-2 मिशन में प्रयुक्त लैंडर (Lander) इस मिशन के सबसे महत्वपूर्ण भागों में से एक है। लैंडर (Lander) जैसे की इसके नाम से ही इंगित होता है यह लैंडर है अर्थात लैंड कराने वाला उपकरण। दरअसल लैंडर का कार्य चंद्रयान-2 में प्रयुक्त होने वाले लूनार रोवर और अन्य महत्वपूर्ण उपकरणों एवं सेंसर को चाँद की सतह तक पहुंचना है। जहाँ रोवर लैंडर से अलग होकर स्वतंत्र रूप से अपने कार्य को अंजाम देगा वही लैंडर में लगे महत्वपूर्ण उपकरण की सहायता से चन्द्रमा के वातावरण का अध्ययन किया जा सकेगा।
इस मिशन में प्रयुक्त लैंडर का नाम विक्रम (Vikram) रखा गया है जो की भारत के महान अंतरिक्ष विज्ञानी और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के पितामाह कहे जाने वाले विक्रम साराभाई की स्मृति में रखा गया है। लैंडर में लगे पेलोड और अन्य महत्वपूर्ण उपकरण इस मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले है क्यूंकि इसके माध्यम से चाँद का सतह पर उतरकर विस्तृत विश्लेषण किया जा सकता है। लैंडर (Lander) विक्रम के द्वारा लूनार ऑर्बिटर के साथ कम्युनिकेशन किया जा सकता है जिसके माध्यम से इसके द्वारा प्राप्त डाटा को आसानी से पृथ्वी पर भेजा जा सकता है।
3. लूनार रोवर (Rover) – प्रज्ञान (Pragyan)
लूनार रोवर मिशन चंद्रयान-2 में प्रयुक्त होने वाला सबसे महत्वपूर्ण उपकरण है। इस रोवर के बारे में जानने से पूर्व हमे यह जानना आवश्यक है की आखिर रोवर होता क्या है ? दरअसल रोवर एक प्रकार का रोबोटिक यन्त्र होता है जिस पर की गति करने के लिए पहिये लगे होते है। इसका प्रयोग अंतरिक्ष के साथ-साथ रक्षा, अनुसन्धान एवं विभिन सेवाओं में किया जाता है। लूनार रोवर में प्रयुक्त होने वाले रोवर का नाम प्रज्ञान (Pragyan) रखा गया है जो की एक संस्कृत भाषा का शब्द है। संस्कृत में प्रज्ञान (Pragyan) का अर्थ बुद्धिमता या विवेक होता है। प्रज्ञान (Pragyan) रोवर में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए सौर-पैनल लगाए गए है जिसके माध्यम से यह अपने सभी महत्वपूर्ण कार्यों के लिए ऊर्जा प्राप्त एवं उपयोग कर सकेगा। इसके अतिरिक्त इसमें गति करने के लिए कुल 6 टायर लगाए गए है जिनका आकार अशोक चक्र की आकृति का रखा गया है। प्रज्ञान रोवर अपने पहियों की सहायता से चन्द्रमा की सतह पर गति करके सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ जुटा पायेगा साथ ही यह विभिन क्षेत्रों में भी आवागमन कर सकेगा।
इसकी गति को धरती से संचालित किया जा सकता है जिसके कारण इसे विभिन दिशाओ में संचालित किया जा सकेगा। प्रज्ञान रोवर के माध्यम से चाँद की सतह पर मौजूद विभिन तत्वों का रासायनिक विश्लेषण किया जा सकता है जिसके माध्यम से हम चाँद की सतह के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारियां जुटा सकेंगे। साथ ही चाँद की सतह पर जल की उपस्थिति का पता लगाने एवं चन्द्रमा के वातावरण में उपस्थित नमी का पता लगाने में यह रोवर अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा।
इन सभी उपकरणों के अतिरिक्त चंद्रयान-2 मिशन में इसरो के द्वारा विभिन प्रकार के पेलोड भी जोड़े गए है। पेलोड वे उपकरण होते है जिनके माध्यम से मिशन में शामिल किए गए विभिन लक्ष्यों को पूरा किया जाता है। चंद्रयान-2 मिशन में सम्मिलित किए गए विभिन उपकरणों के माध्यम से इसरो के द्वारा चन्द्रमा की सतह पर मौजूद विभिन खनिजों एवं तत्वों का पता लगाया जायेगा। इसके अतिरिक्त ये पेलोड चाँद की सतह पर मौजूद विभिन विकिरणों एवं अन्य रेज़ (Rays) का पता लगाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
चंद्रयान-2 मिशन में प्रयुक्त उपकरण
चंद्रयान-2 मिशन इसरो द्वारा संचालित किया जा रहा महत्वपूर्ण मिशन है जो की चन्द्रमा पर मानव जीवन की सम्भावनाओ की तलाश में प्रयुक्त होगा। चंद्रयान-2 मिशन में 3 महत्वपूर्ण उपकरणों क्रमशः ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर की सहायता से चन्द्रमा का विस्तृत विश्लेषण किया जायेगा जिससे की हमे चन्द्रमा के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकेगी। आपको बता दें की इस मिशन में ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर पर कुल मिलकर 8 पेलोड्स अटैच किए गए है जिनकी सहायता से चाँद के वातावरण एवं विभिन तत्वों का रासायनिक विश्लेषण किया जा सकेगा। यहाँ आपको चंद्रयान-2 में प्रयुक्त विभिन पेलोड्स और इनके उपयोग से सम्बंधित जानकारी प्रदान की गयी है :-
टेरेन मैपिंग कैमरा-2
टेरेन मैपिंग कैमरा-2 (Terrain Mapping Camera-2)- जहाँ चंद्रयान-1 मिशन में टेरेन मैपिंग कैमरा-1 प्रयोग किया गया था वहीं चंद्रयान-2 मिशन में इसका अपडेटेड और बेहतर तकनीक से युक्त नवीन वर्जन टेरेन मैपिंग कैमरा-2 का उपयोग किया जा रहा है। इस कैमरे के द्वारा चाँद की सतह का विस्तृत त्रिआयामी नक्शा बनाया जा सकेगा जिसके माध्यम से चाँद की भौगोलिक स्थितियों का विस्तृत विश्लेषण किया जा सकेगा। 0.5-0.8 माइक्रोन तक के पैनक्रोमेटिक स्पेक्ट्रम बैंड का उपयोग करते हुए यह 5 मीटर तक उच्च-क्षमता तक की विस्तृत तस्वीरें ले सकता है। यह 20 मीटर की दूरी से अपने कार्य को बेहतर तरीके से अंजाम दे सकता है जिससे की चाँद की त्रिविमीय नक्शा प्राप्त किया जा सकेगा। इसके माध्यम से प्राप्त नक्शा भविष्य में चाँद के सतह के अध्ययन के लिए उपयोगी साबित होगा जिससे की मानव जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ पैदा की जा सकेगी।
सोलर X-रे मॉनिटर
सोलर X-रे मॉनिटर (Solar X-ray Monitor)- सोलर X-रे मॉनिटर चंद्रयान-2 मिशन में प्रयुक्त अन्य महत्वपूर्ण उपकरण है जिसकी सहायता से चाँद की सतह पर सूरज और इसके कोरोना द्वारा उत्सर्जित की जाने वाली X-रे और अन्य विकिरणों का मापन किया जा सकेगा। यह उपकरण सूर्य द्वारा उत्सर्जित की जाने वाली X-रे स्पेक्ट्रम को 1-15 किलो-इलेक्ट्रिक वाट परास में संसूचित करने में सक्षम होगा जिससे की भविष्य में यहाँ रेडिएशन और अन्य किरणों का विस्तृत अध्ययन किया जा सकेगा।
सिंथेटिक अपार्चर रडार
सिंथेटिक अपार्चर रडार (Synthetic Aperture Radar)- चंद्रयान-2 मिशन के सबसे महत्वपपूर्ण पेलोड में शामिल सिंथेटिक अपार्चर रडार L और S बैंड प्रकार का रडार सिस्टम है जिसके माध्यम से चाँद पर उपस्थित पानी की मौजूदगी का पता लगाया जा सकेगा। वास्तव में यह इस मिशन का सबसे महत्वपूर्ण पेलोड है चूँकि इसके माध्यम से चाँद की सतह पर मौजूद जल की उपस्थिति का पता लगाने में सहायता मिलेगी जो की मानव-जीवन में मूलभूत तत्वों में आवश्यक है। इस रडार सिस्टम की सहायता से चाँद की सतह पर मौजूद क्रेटर की छाया का विस्तृत एनालिसिस किया जायेगा और चाँद की सतह पर जल की मौजूदगी से सम्बंधित तथ्यों का अध्ययन किया जायेगा।
चंद्र एटमोस्फियरिक कम्पोजीशन एक्स्प्लोरर-2
चंद्र एटमोस्फियरिक कम्पोजीशन एक्स्प्लोरर-2 (Chandra Atmospheric Composition Explorer 2)- चंद्र एटमोस्फियरिक कम्पोजीशन एक्स्प्लोरर-2 चंद्रयान मिशन के अंतर्गत निर्मित किया गया पेलोड है जिसके माध्यम से चन्द्रमा के वातावरण का विस्तृत अध्ययन किया जायेगा। यह उपकरण चाँद की सतह पर परमाणुओं का अध्ययन कर सकेगा जिससे की हमे चन्द्रमा के वातावरण के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकेगी। चन्द्रमा के वातावरण को एक्स्प्लोर करने में यह उपकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
चंद्रयान-2 लार्ज एरिया सॉफ्ट स्पेक्ट्रोमीटर
चंद्रयान-2 लार्ज एरिया सॉफ्ट स्पेक्ट्रोमीटर (X-rayChandrayaan 2 Large Area Soft X-ray Spectrometer)- इस मिशन में उपयोग किया जाने वाला लार्ज एरिया सॉफ्ट स्पेक्ट्रोमीटर मुख्य रूप से चन्द्रमा की सतह पर उपलब्ध विभिन प्रकार के खनिजों को संसूचित करने और इनके अध्ययन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। X-ray फ्लूरोसन (XRF) द्वारा यह उपकरण सौर किरणों की मदद से विभिन प्रकार के तत्वों द्वारा उत्सर्जित रेडिएशन का संसूचन कर सकेगा और इसके माध्यम से हम चाँद पर मौजूद विभिन खनिजों की उपस्थित का पता लगाने में सक्षम हो सकेंगे। इसकी सहायता से मैग्नीशियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम, एल्युमीनियम, सोडियम, आयरन एवं अन्य महत्वपूर्ण तत्वों का विस्तृत जानकारी पता लगाने में सफलता प्राप्त की जा सकेगी।
ऑर्बिटर हाई-रेसोलुशन कैमरा
ऑर्बिटर हाई-रेसोलुशन कैमरा (Orbiter High Resolution Camera)- 0.25 मीटर के रेसोलुशन और 12 x 3 किलोमीटर कवर एरिया की क्षमता के साथ निर्मित ऑर्बिटर हाई-रेसोलुशन कैमरा चंद्रयान-2 में वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए महत्वपूर्ण है। इस कैमरे की मदद से हाई रेसोलुशन में डिजिटल इवैल्यूएशन मॉडल तैयार किया जा सकेगा। डिजिटल इवैल्यूएशन मॉडल का उपयोग करके चंद्रयान-2 मिशन के महत्वपूर्ण उपकरणों जैसी की लैंडर और रोवर के लिए सभी संभावित खतरों की पहचान की जा सकेगी जिससे की सभी खतरों से बचा जा सके। इसके अतिरिक्त अन्य महत्वपूर्ण सर्वेक्षण एवं चन्द्रमा का विश्लेषण करने में भी ऑर्बिटर हाई-रेसोलुशन कैमरा की सहायता से विभिन प्रकार की तस्वीरें क्लिक की जा सकेगी।
इमेजिंग इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर
इमेजिंग इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (Imaging Infrared Spectrometer)- 0.8 से 5 माइक्रोन की तरंगदैर्ध्य के मध्य कार्य करने वाला इमेजिंग इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर इस मिशन का महत्वपूर्ण उपकरण है। इस उपकरण की सहायता से चाँद के ध्रुवीय भागों में स्थित जल की उपस्थित का पता लगाने में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी। चाँद की सतह पर मौजूद जल कणो के हाइड्रॉक्सिल और आणविक रूप में उपस्थिति को इस उपकरण की सहायता से संसूचित किया जा सकता है जिससे की भविष्य में मानव जीवन के लिए अनुकूल परिस्तिथियाँ उत्पन की जा सकें।
ड्यूल फ्रीक्वेंसी रेडियो साइंस
ड्यूल फ्रीक्वेंसी रेडियो साइंस (Dual Frequency Radio Science) – चंद्रयान-2 में प्रयुक्त ड्यूल फ्रीक्वेंसी रेडियो साइंस की सतह से चन्द्रमा की सतह के इलेक्ट्रान घनत्व को ज्ञात करने में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी। इस उपकरण में 8496 मेगा-हर्ट्ज़ का X-बैंड एवं 2240 मेगा-हर्ट्ज़ का S बैंड उपयोग किया जायेगा जिसकी सहायता से चाँद की सतह के इलेक्ट्रान घनत्व की ज्ञात करने में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी। इस उपकरण की खास बात यह है की इसमें उपयोग की जाने वाली रेडियो तरंगो को पृथ्वी की सतह से उत्सर्जित किया जायेगा जिससे की चाँद की सतह के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त की जा सकेगी।
इस प्रकार से यहाँ आपको चंद्रयान-2 मिशन में प्रयुक्त सभी महत्वपूर्ण पेलोड्स की जानकारी प्रदान की गयी है जिसकी सहायता से आप इस मिशन में सम्मिलित सभी महत्वपूर्ण लक्ष्यों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है।
चंद्रयान-2 मिशन सम्बंधित महत्वपूर्ण बिंदु
चंद्रयान-2 मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में शामिल महत्वपूर्ण मिशन है जिसकी सहायता से भारत द्वारा चन्द्रमा की सतह एवं वातावरण से सम्बंधित विस्तृत खोजें की जाएगी। इस मिशन के महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार से है :-
- चंद्रयान-2 मिशन को चंद्रयान-1 मिशन के क्षेत्र को ही आगे बढ़ाते हुए शुरू किया गया है जिसके अंतर्गत चन्द्रमा के वातावरण का विस्तृत अध्ययन किया जायेगा एवं इसकी सहायता से भविष्य में चन्द्रमा पर मानव जीवन की सम्भावनाओ की तलाश की जाएगी।
- इस मिशन के अंतर्गत एक ऑर्बिटर, एक लैंडर-विक्रम, प्रज्ञान रोवर एवं चन्द्रमा का विश्लेषण करने के लिए 8 पेलोड प्रयुक्त किए गए है। इसकी सहायता से भारत द्वारा चाँद का सबसे विस्तृत अध्ययन किया जा रहा है।
- चंद्रयान मिशन में प्रयुक्त ऑर्बिटर चन्द्रमा की कक्षा के चारो ओर परिक्रमण करेगा जिसकी सहायता से यह चाँद का अध्ययन कर सकेगा। चन्द्रमा की कक्षा अंतरिक्ष में वह स्थान है जहाँ चन्द्रमा के गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव महसूस किया जा सकता है। चन्द्रमा के गुरुत्व के प्रभाव के कारण ऑर्बिटर चन्द्रमा के चारों ओर परिक्रमा कर सकेगा जहाँ यह अपनी ऊर्जा सौर पैनलों के माध्यम से प्राप्त कर पायेगा।
- चंद्रयान-2 मिशन में प्रयुक्त विभिन उपकरणों एवं अन्य पेलोड्स को चन्द्रमा की सतह तक पहुंचाने के लिए इसरो के द्वारा अपने सबसे शक्तिशाली लांच व्हीकल GSLV मार्क-III का उपयोग किया गया है जिसकी सहायता से इस मिशन को अंजाम दिया गया है।
चंद्रयान-2 मिशन को इसरो के द्वारा 22 जुलाई 2019 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लांच किया गया था। इस मिशन के अंतर्गत इसरो के वैज्ञानिको के द्वारा चंद्रयान-2 मिशन के लैंडर विक्रम को चन्द्रमा पर लैंड करने के लिए 6 सितम्बर 2019 की दिनाँक निर्धारित की गयी थी। 6 सितम्बर 2019 को जब लैंडर चन्द्रमा की सतह से मात्र 2.1 किलोमीटर यानी की लगभग 1.3 मील की दूरी पर था तभी इसका इसरो के वैज्ञानिको के साथ संपर्क समाप्त हो गया। इसके पश्चात इसरो द्वारा लैंडर विक्रम से पुनः संपर्क करने के प्रयास किए गए परन्तु यह संभवत चन्द्रमा की सतह पर क्रैश कर चुका था। इस प्रकार से इस मिशन के अंतर्गत निर्धारित किए गए महत्वपूर्ण लक्ष्यों को प्राप्त नहीं किया जा सका। हालांकि भारत सदैव से ही विषम परिस्थितियों में साहस प्रदर्शित करने वाला देश रहा है। इस मिशन की असफलता के पश्चात हमारे इसरो वैज्ञानिक अपनी गलतियों से सबक लेते हुए पुनः चाँद की सतह की खोज करने के प्रयासों में जुट चुके है और इसके लिए चंद्रयान-III (Chandrayaan-III) पर भी कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है।
चंद्रयान-1 मिशन, एक संक्षिप्त अवलोकन
चंद्रयान-2 मिशन से पूर्व इसरो के द्वारा चंद्रयान-1 मिशन को अंजाम दिया गया था। चंद्रयान-1 मिशन के अपडेटेड वर्जन के रूप में ही चंद्रयान-2 मिशन को लांच किया गया है। चंद्रयान-2 मिशन के बारे में जानने से पूर्व हमें चंद्रयान-1 मिशन के बारे में संक्षिप्त जानकारी ज्ञात होना आवश्यक है। यहाँ इससे सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है :-
- 15 अगस्त 2003 को देश के तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के द्वारा चंद्रयान-1 मिशन की घोषणा की गयी थी।
- इस मिशन के सभी कार्यो को सफलतापूर्वक अंजाम देने के पश्चात इसे 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया था।
- 17 दिनों के सफर के पश्चात चंद्रयान-1 ने 8 नवंबर 2008 को लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी में प्रवेश किया। यह वह क्षेत्र है जहाँ से चन्द्रमा का प्रभाव क्षेत्र शुरू हो जाता है।
- इसके 6 दिनों के पश्चात 14 नवंबर के दिन चंद्रयान-1 के द्वारा मून इम्पैक्ट प्रोब को चंद्रयान-1 से पृथक किया गया। यह चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर क्रैश कर गया परन्तु इसके माध्यम से वैज्ञानिको के द्वारा चन्द्रमा की सतह पर जल की उपस्थिति का संकेत प्राप्त हो गया।
- अपने मिशन को पूरा करने के पश्चात 28 अगस्त 2009 को इसरो के द्वारा चंद्रयान-1 मिशन के पूर्ण होने की घोषणा की गयी।
चंद्रयान एवं भारत का अंतरिक्ष में भविष्य
भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्थान के द्वारा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के माध्यम से सदैव ही देश का सिर गर्व से ऊँचा किया गया है। अपने मंगलयान मिशन के तहत पहले ही प्रयास में मंगल की कक्षा तक पहुँचने वाला भारत दुनिया का एकमात्र देश है। हालांकि चंद्रयान-द्वितीय अपने अपेक्षित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल नहीं हो पाया परन्तु इसकी त्रुटियों से सबक लेते हुए हमारे वैज्ञानिक चंद्रयान-III मिशन के माध्यम से चन्द्रमा की सतह को स्पर्श करने के लिए प्रयासरत है। इसरो के द्वारा अंतरिक्ष के क्षेत्र में नित-नए कीर्तिमान गढ़े जा रहे है जिससे की पूरी दुनिया भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों को लेकर उत्साहित है। भविष्य में भी इसरो के द्वारा भारत को गर्व के पलों का अनुभव कराने के लिए महत्वपूर्ण मिशन लांच किये जायेंगे।
चंद्रयान-2, विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर मिशन सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
चंद्रयान-2 मिशन इसरो के द्वारा लांच किया गया मिशन है जिसके माध्यम से इसरो द्वारा चन्द्रमा की सतह एवं वातावरण का विस्तृत विश्लेषण किया जायेगा। साथ ही इस मिशन के माध्यम से चाँद की सतह पर मौजूद जल एवं अन्य द्रवों की उपस्थिति का पता भी लगाया जा सकेगा जिससे की चन्द्रमा पर जीवन की संभावनाएं तलाश की जा सके।
चंद्रयान-2 मिशन के मुख्य उद्देश्य चन्द्रमा की सतह का विस्तृत विश्लेषण करना, चन्द्रमा की सतह पर जल एवं अन्य द्रवों की उपस्थिति का पता लगाना, चन्द्रमा के वातावरण का विस्तृत अध्ययन, चाँद पर मौजूद विभिन तत्वों एवं खनिजों का रासायनिक विश्लेषण एवं चन्द्रमा पर विकिरणों का संसूचन तथा जीवन की सम्भावनाओ की तलाश करना है।
चंद्रयान-2 मिशन के महत्वपूर्ण अवयव मून-ऑर्बिटर, विक्रम लैंडर एवं प्रज्ञान रोवर है। चन्द्रमा के विश्लेषण में ये अवयव महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
चंद्रयान-2 मिशन में मून-ऑर्बिटर चन्द्रमा की कक्षा के चारों ओर परिक्रमण करके चन्द्रमा के वातावरण सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त कर सकेगा।
चंद्रयान-2 मिशन में प्रयुक्त लैंडर का नाम विक्रम लैंडर रखा गया है जिसे की भारत के महान अंतरिक्ष विज्ञानी एवं भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के पितामाह कहे जाने वाले विक्रम साराभाई के सम्मान में लैंडर को उपर्युक्त नाम प्रदान किया गया है।
चंद्रयान-2 मिशन में प्रयुक्त रोवर का नाम प्रज्ञान रखा गया है जो की संस्कृत भाषा का शब्द है। इसका अर्थ बुद्धिमता या विवेक होता है। प्रज्ञान रोवर के माध्यम से चन्द्रमा की सतह का विस्तृत विश्लेषण किया जा सकेगा जिसके लिए इसे सतह पर उतारा जायेगा। रोवर प्रज्ञान में कुल 6 पहिये लगे है जिनकी सहायता से यह चन्द्रमा की सतह पर गति कर सकता है। साथ ही इसमें विभिन उपकरण भी जोड़े गए है।
चन्द्रमा को इसरो के सबसे शक्तिशाली लांच व्हीकल GSLV मार्क-III-M1 के द्वारा लांच किया गया है।
चाँद पर जीवन की संभावनाओं का पता लगाने के लिए चन्द्रमा का विस्तृत विश्लेषण करना आवश्यक है। इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए आप ऊपर दिए गए आर्टिकल को पढ़ सकते है।