इतिहास की सबसे बड़ी महामंदी होने का सबसे बड़ा कारण क्या था | The Great Depression in hindi

The Great Depression in hindi:- वर्तमान समय में किसी भी देश की प्रगति का मानक उसकी अर्थव्यवस्था के आधार पर तय किया जाता है। वास्तव में वैश्वीकरण के इस दौर में दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुयी है ऐसे में किसी भी अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने पर इसका असर पूरी दुनिया में महसूस किया जा सकता है। अर्थव्यवस्था में मंदी होना सामान्य घटना माना जाता है परन्तु जब यह मंदी पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर हावी हो जाती है तो इसे महामंदी की संज्ञा दी जाती है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम वर्तमान समय की सबसे बड़ी मंदी द ग्रेट डिप्रेशन के बारे में बात करने वाले है।

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The Great Depression in hindi
The Great Depression

आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपको इतिहास की सबसे बड़ी महामंदी द ग्रेट डिप्रेशन (The Great Depression).के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी जैसे की इतिहास की सबसे बड़ी महामंदी होने का सबसे बड़ा कारण क्या था (The Great Depression in hindi). इसके अतिरिक्त इस आर्टिकल के माध्यम से आपको महामंदी के कारणों, विभिन देशों पर प्रभाव एवं दुनिया के विभिन समुदायों पर इसके असर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी।

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महामंदी क्या होती है ? What is Depression?

आधुनिक समय में जब भी हम महामंदी के बारे में बात करते है तो सर्वप्रथम हमारे मन में वर्ष 1929 में घटित विश्व इतिहास की सबसे बड़ी महामंदी The Great Depression का ध्यान आता है। सर्वप्रथम हमे महामंदी के बारे में ज्ञान होना आवश्यक है। अर्थव्यवस्था में मंदी शब्द को आपने भी अकसर विभिन्न न्यूज़-चैनल या अखबारों के माध्यम से सुना होगा। मंदी का तात्पर्य अर्थव्यवस्था के उस काल से है जब अर्थव्यवस्था में विभिन आर्थिक गतिविधियों में गिरावट होने लगती है जिससे की देश की जीडीपी में भी गिरावट आने लगती है। इससे देश में उत्पादन की गतिविधियाँ एवं सेवाओं की मांग कम होने लगती है और महँगाई में वृद्धि होने के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है। किसी भी अर्थव्यवस्था में मंदी आना सामान्य बात है और विभिन समयान्तराल पर अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर चलता रहता है।

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महामंदी अर्थव्यवस्था की वह स्थिति है जब अर्थव्यवस्था में मंदी लम्बे समय तक बनी रहती है जिससे की देश की जीडीपी पर दीर्घ समयावधि में प्रभाव पड़ता है। वास्तव में सरल शब्दो में कहा जाए तो लम्बे समय तक चलने वाली मंदी को ही महामंदी कहा जाता है। मंदी अर्थव्यवस्था की सामान्य प्रक्रिया है जो की विभिन समय अंतरालों पर प्रकट होती है परन्तु महामंदी दीर्घ अंतरालों पर प्रकट होती है। मंदी का असर किसी देश विशेष पर होता है परन्तु महामंदी विश्वव्यापी होती है जिसका असर पूरी दुनिया में होता है।

इतिहास की सबसे बड़ी महामंदी, The Great Depression

वर्तमान समय की अर्थव्यवस्थाओं के परिप्रेक्ष्य में देखें तो विश्व इतिहास की सबसे बड़ी मंदी अक्टूबर 1929 में शुरू हुयी द ग्रेट डिप्रेशन (The Great Depression) को माना जाता है। द ग्रेट डिप्रेशन महामंदी का असर पूरी दुनिया में महसूस किया गया था। इस मंदी के कारण एक ही दिन में अमेरिका का शेयर बाजार ताश के पत्तों की भाँति धराशायी हो गया था। इसके कारण पूरे अमेरिका के लाखों लोगो की जॉब चली गयी थी साथ ही विभिन उद्योगों को भी ताला लगाना पड़ा था। इसके अतिरिक्त अमेरिका के हजारो बैंक दिवालिया घोषित कर दिए गए थे। इस मंदी का असर पूरी दुनिया में महसूस किया गया था जिसमे की यूरोप महाद्वीप इस मंदी के प्रमुख पीड़ित के रूप में उभरा। इस महामंदी की व्यापकता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है यह कुल 10 वर्षों यानी की वर्ष 1929 से वर्ष 1939 तक चली था। इस मंदी की व्यापकता के कारण ही इसे The Great Depression की संज्ञा दी गयी थी।

इतिहास की सबसे बड़ी महामंदी के कारण

इतिहास की सबसे बड़ी महामंदी द ग्रेट डिप्रेशन होने के कई कारण है जिनमे हम यहाँ उन प्रमुख कारणों की चर्चा कर रहे है जिसके कारण विश्व अर्थव्यवस्था में यह भयावह स्थिति उत्पन हुयी। यहाँ इसके सभी प्रमुख कारण दिए गए है।

  • अर्थव्यवस्था में तेजी का दौर- वर्ष 1920 के दशक में अमेरिका में तेजी का दौर चल रहा था जिसके कारण यहाँ प्रोडक्शन रेट और कंपनियों का मुनाफा अपने चरम पर था। इस दौरान आम लोगो द्वारा भी शेयर-बाजार में बेहिसाब धन इन्वेस्ट किया गया परन्तु सही जानकारी के अभाव में यही निवेश आगे जाकर इस महामंदी के बड़े कारणों में शुमार हुआ।
  • शेयर बाजार का क्रैश-1929 में 24 अक्टूबर को शेयर बाजार में 11 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी जिस कारण इसे काला गुरुवार (Black Thursday) के नाम जाना गया। इसके कारण मार्केट में पैनिक फ़ैल गया और लोग धड़ाधड़ अपने शेयर बेचने लगे।
  • बेरोजगारी में वृद्धि- महामंदी के दौरान लोगों के पास खर्च करने के लिए धन नहीं था जिसके कारण बाजार में वस्तुओं की डिमांड कम हो गयी। बाजार में मांग की कमी के कारण कंपनियों को अपने उत्पादन में तीव्र गिरावट करनी पड़ी जिसके कारण पूरे अमेरिका के एक-चौथाई लोगो को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा था।
  • प्रथम विश्वयुद्ध का प्रभाव- प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका के किसानों ने अपने उत्पादन में वृद्धि के लिए नवीन मशीनरी में निवेश के लिए कर्ज लिया था परन्तु विश्वयुद्ध समाप्त होने पर कृषि उत्पादों की खपत में कमी आने से उन्हें नुकसान हुआ। इसके अतिरिक्त आवश्यकता से अधिक उत्पादन के कारण भी महामंदी की शुरुआत हुयी।
  • बैंकों की अनियमितता- अमेरिका अर्थव्यवस्था की तेजी के दौरान बैंकों द्वारा ग्राहकों को न्यून ब्याज दरों पर बेहिसाब लोन प्रदान किया गया परन्तु महामंदी के दौर में लोग अपना कर्ज नहीं चुका पाए जिसके कारण इनमे से अधिकतर बैंक दिवालिया घोषित कर दिए गए।
  • स्मूट-हवले टैरिफ (Smoot-Hawley Tariff)- महामंदी के दौरान जब बड़े उद्योगों के द्वारा सरकार से मदद की गुहार लगायी गयी तो अमेरिकी सरकार द्वारा स्मूट-हवले टैरिफ के माध्यम से अन्य देशों से आने वाले आयात पर टैरिफ शुल्कों में भारी बढ़ोतरी की गयी। परिणामस्वरूप अन्य देशों द्वारा भी अमेरिकी निर्यातों पर भारी टैरिफ शुल्क लगाया गया जिससे महामंदी लम्बे समय तक चली।

निम्न कारणों ने अमेरिका में आर्थिक महामंदी को जन्म दिया जिसके काऱण अमेरिका सहित पूरी दुनिया के लोगों को विभिन प्रकार की समस्याओ का सामना करना पड़ा था।

महामंदी का प्रभाव (Impact of the Great Depression)

वैश्विक अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी महामंदी the Great Depression का सबसे व्यापक असर अमेरिका पर पड़ा था। शेयर मार्केट क्रैश होने के कारण यहाँ लाखों लोगो को अपनी रोजी-रोटी से हाथ धोना पड़ा था। इस महामंदी के कारण अर्थव्यवस्था पर हुए प्रभावों का वर्णन निम्न प्रकार से है :-

  • the Great Depression महामंदी के कारण लाखों लोगो को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा पड़ा जिसके कारण उन्हें रोजी-रोटी के लिए भीषण संघर्ष करना पड़ा।
  • इस महामंदी के कारण अमेरिका में एक-चौथाई लोगो को नौकरी से निकाल दिया गया। सरकारी रिपोर्ट्स के अनुसार वर्ष 1933 तक पूरे अमेरिका में बेरोजगारी की दर 25 फीसदी से भी अधिक थी।
  • इस महामंदी के कारण अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में 45 फीसदी जबकि कंस्ट्रकशन कार्यो में 80 फीसदी तक की भारी गिरावट दर्ज की गयी थी जिसके कारण अर्थव्यवस्था पूर्ण रूप से चरमरा गयी थी।
  • अर्थव्यवस्था में तेजी के दौर में अमेरिका के बैंकों द्वारा नागरिको को बेहिसाब कर्जा दिया गया था। महामंदी के दौरान बैंको के द्वारा कर्ज की वसूली के प्रयास किये गए परन्तु महामंदी के कारण लोगों द्वारा कर्ज ना चुका पाने के कारण 11000 से भी अधिक बैंको को दिवालिया घोषित करना पड़ा।
  • इस महामंदी के कारण लाखो लोगो की आय में बेतहाशा गिरावट देखने को मिली साथ ही इस दौर में लाखों छोटी-बड़ी उत्पादन इकाइयों को भी पूर्ण रूप से बंद करना पड़ा।
  • the Great Depression के कारण लाखों लोगो को उनके घरों से निकाल दिया गया जिसके कारण वे झुग्गी-झोपड़ियों में रहने को मजबूर हुए। इसके अतिरिक्त खाने की कमी के कारण उनके विभिन संस्थाओ एवं सरकार द्वारा प्रदान किये जाने वाले फ्री-सूप और ब्रेड पर निर्भर रहना पड़ता था।
  • इस महामंदी का असर 10 वर्षो तक रहा जिसके कारण लोगो को इन वर्षो के दौरान विभिन प्रकार की मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इस दौरान लोगो को अत्यंत कठिन संघर्ष करना पड़ा जिसमे की महिलाओं और बच्चों को भी रोजी-रोटी के लिए परिश्रम करना पड़ा था।

इस प्रकार से इस महामंदी के कारण लोगों के जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा था जिसके कारण अनेक लोगो को रोजी-रोटी और मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी जूझना पड़ा था।

दुनिया के विभिन्न देशों पर महामंदी का प्रभाव

वर्ष 1929 में शुरू हुयी महामंदी सिर्फ अमेरिका की अर्थव्यवस्था में शुरू हुयी महामंदी नहीं थी अपितु इसका प्रभाव पूरी दुनिया में महसूस किया गया था। इस मंदी के कारण यूरोप से लेकर अफ्रीका और एशिया से लेकर ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप तक की अर्थव्यवस्था पर व्यापक प्रभाव देखने को मिला था। विभिन देशों पर इस महामंदी का प्रभाव निम्न था :-

  • ब्रिटेन पर प्रभाव– वैश्विक आर्थिक महामंदी के काल यानी की वर्ष 1929 में ब्रिटेन दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्यवादी देश था जिसके पूरे विश्व में विभिन उपनिवेशवाद थे। इस दौरान महामंदी से निपटने के लिए ब्रिटेन ने संतुलित व्यापार की नीति को अपनाया जिसमें की मुद्रा सस्ती करके व्यापार एवं उद्योगों को बढ़ावा देना, व्यापारियों को आतंरिक व्यापार हेतु प्रोत्साहित करना एवं देश की अर्थव्यवस्था को अनुकूल बनाना शामिल था जिससे की अर्थव्यवस्था नियमित रूप से संचालित होती रहे। इन सभी उपायों के कारण ब्रिटेन इस महामंदी के कारण बहुत अधिक प्रभावित नहीं हुआ।
  • फ्रांस पर प्रभाव– फ्रांस में आर्थिक महामंदी अन्य देशों के मुकाबले देर से शुरू हुयी जिसका कारण फ्रांस की अर्थव्यवस्था का अन्य देशों की अर्थव्यवस्था के साथ उचित सामंजस्य ना होना था। फ्रांस में 1931 से शुरू हुयी आर्थिक महामंदी 1940 तक चली हालांकि अधिक औद्योगिकीकरण ना होने के कारण फ्रांस पर इस महामंदी का अधिक प्रभाव नहीं रहा।
  • जर्मनी पर प्रभाव– यूरोप में आर्थिक महामंदी का सबसे बुरा असर अगर किसी देश पर पड़ा था तो वह जर्मनी ही था। प्रथम विश्वयुद्ध में वर्साय की संधि के तहत जर्मनी पर ही प्रथम विश्वयुद्ध का पूरा आरोप मढ़ दिया गया था जिसके कारण जर्मनी पर भारी-भरकम सेंक्शन थोप दिए गए थे। इस महामंदी के कारण जर्मनी में बेरोजगारी में बेतहाशा वृद्धि हुयी जिसके कारण लोगों के लिए रोजी-रोटी जुटाना मुश्किल हो गया। इसके कारण जर्मनी के लोगो का लोकतंत्र से विश्वास उठने लगा और अंतत इसका परिणाम नाज़ी पार्टी के लीडर हिटलर का जर्मनी के राजनैतिक भूदृश्य में उदय हुआ।
  • अफ्रीका पर प्रभाव– वैश्विक महामंदी के दौरान अफ्रीका की अर्थव्यवस्था पर भी व्यापक प्रभाव पड़ा। इस दौरान पूरी दुनिया में भीषण मंदी होने के कारण अफ्रीका के कृषि उत्पादों एवं खनिज पदार्थो की पूरी दुनिया में मांग में गिरावट दर्ज की गयी।

इस प्रकार से इस महामंदी का पूरी दुनिया पर व्यापक असर रहा था जिसके कारण पूरी दुनिया को अर्थव्यवस्था में हानि का सामना करना पड़ा था।

भारत पर महामंदी द ग्रेट डिप्रेशन का प्रभाव

महामंदी द ग्रेट डिप्रेशन के दौरान भारत ब्रिटिश साम्राज्य की गुलामी में जकड़ा हुआ था। इस दौरान भारत के व्यापार पर प्रत्यक्ष रूप से ब्रिटिश शासन का नियंत्रण था जिसके कारण देश के व्यापार सम्बंधित नीति-निर्देशों को निर्मित करने की जिम्मेदारी ब्रिटिश शासको द्वारा ही निभाई जाती थी। महामंदी के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था पर व्यापक रूप से नकारात्मक असर पड़ा था। हालांकि अधिकतर अर्थशास्त्री इस महामंदी के सम्बन्ध में भारत पर अत्यंत अल्प प्रभाव पड़ने की बात कहते है परन्तु उस काल के आंकड़ों का परिक्षण करने पर यह बात स्वीकार करना संभव प्रतीत नहीं होता। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भारत के द्वारा आयात एवं निर्यात में भारी कमी दर्ज की गयी थी।

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इस महामंदी के कारण भारत में रेलवे और कृषि क्षेत्र पर सबसे व्यापक असर पड़ा था। भारत द्वारा प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान ब्रिटेन की जरूरतों के अधिकतर सामान की आपूर्ति की गयी थी जिसमे की ग्रेट-डिप्रेशन के दौर में भारी गिरावट देखी गयी। ब्रिटेन द्वारा लागू की गयी आर्थिक नीतियों के कारण भारत में महामंदी का व्यापक असर रहा था जिसके कारण खाद्य वस्तुओ और प्रतिदिन के उपभोग की वस्तुओ के दामों में बढ़ोतरी दर्ज की गयी। इसके कारण उपजे असंतोष के कारण इस दौर में विभिन आंदोलनों ने जन्म लिया।

महामंदी द ग्रेट डिप्रेशन, संक्षिप्त विश्लेषण

विश्व इतिहास की सबसे बड़ी महामंदी जिसे की द ग्रेट डिप्रेशन के नाम से भी जाना जाता है वर्ष 1929 में शुरू हुयी थी। इस महामंदी का अमेरिका पर व्यापक असर रहा था जिसके कारण लाखों लोगो को अपनी रोजी-रोटी से हाथ धोना पड़ा था। इस महामंदी के कारण सैकड़ो लोग भूखे मारे गए और अन्य लोगों को भी मूलभूत आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ा। इस महामंदी का असर अमेरिका के साथ ही पूरी दुनिया में व्यापक रूप से था जिसके कारण पूरी दुनिया में इस महामंदी के असर को महसूस किया गया था। इस महामंदी के कारण लोगों को विभिन कष्टों का सामना करना पड़ा था जिसमें की भूख और अन्य मानवीय कारणों से हजारों लोगों की जान चली गयी थी।

महामंदी के कारण उपजे असंतोष के कारण लोगो का लोकतंत्र और पूंजीवादी अर्थव्यवस्था से मोहभंग हुआ और नाज़ीवादी और फासीवादी ताकतों ने भी जन्म लिया। वर्ष 1929 से शुरू हुयी महामंदी का असर पूरी दुनिया पर एक दशक तक रहा जिसके दौरान लोगों को जीविका के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ा। वर्ष 1940-41 में उपजी परिस्थितियों के मद्देनजर इस महामंदी पर काबू पाया गया और सरकार द्वारा उठाये गए सुधारवादी कदमों के कारण दुनिया की अर्थव्यवस्था पुनः सरलता से संचालित होने लगी।

The Great Depression (FAQ)

महामंदी द ग्रेट डिप्रेशन क्या है ?

महामंदी द ग्रेट डिप्रेशन वर्ष 1929 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में शुरू हुयी मंदी थी जिसके कारण अमेरिका की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट देखी गयी थी। इसके कारण विश्व के सभी देशों की अर्थव्यवस्था में भी भारी गिरावट दर्ज की गयी थी।

मंदी और महामंदी में क्या अंतर है ?

मंदी अर्थव्यवस्था में आने वाला अल्पकालीन उतार है जो की अल्प समयावधि के लिए ही रहता है वही महामंदी मंदी की दीर्घकालीन अवस्था है। मंदी कुछ महीनों के लिए या न्यून सालों के लिए होती है वही महामंदी का असर दशको तक रह सकता है जैसे की वर्ष 1929 की आर्थिक महामंदी।

वर्ष 1929 में शुरू हुयी महामंदी द ग्रेट डिप्रेशन के क्या कारण थे ?

वर्ष 1929 में शुरू हुयी महामंदी द ग्रेट डिप्रेशन के विभिन कारण थे जिनमे की अमेरिकी शेयर बाजार का क्रैश होना प्रमुख कारण रहा है। इसकी विस्तृत जानकारी के लिए आप ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़ सकते है।

द ग्रेट डिप्रेशन का पूरी दुनिया पर क्या असर हुआ ?

द ग्रेट डिप्रेशन के कारण पूरी दुनिया में व्यापक स्तर पर बेरोजगारी में वृद्धि हुयी जिससे की लोगों को मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भी कठिन संघर्ष करना पड़ा। इसके विस्तृत परिणामों की जानकारी प्राप्त करने के लिए आप ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़ सकते है।

भारत पर महामंदी द ग्रेट डिप्रेशन का क्या असर रहा ?

महामंदी द ग्रेट डिप्रेशन के दौरान भारत ब्रिटिश शासन के अंतर्गत संचालित होता था। ब्रिटिशों द्वारा बनायी गयी नीतियों के कारण महामंदी के दौर में देश में आवश्यक वस्तुओं के दामों में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गयी जिसके कारण आम जनमानस को आर्थिक कठिनाईयों का सामना करना पड़ा था। इसके अतिरिक्त भारत के द्वारा आयात और निर्यात में भी इस दौर में भारी कमी दर्ज की गयी जिससे की देश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा।

द ग्रेट डिप्रेशन का असर कुल कितने वर्षो तक रहा ?

द ग्रेट डिप्रेशन का असर वर्ष 1929 से 1939 यानी की कुल एक दशक तक रहा। इसके पश्चात सरकार द्वारा उठाये गए कल्याणकारी कदमों एवं परिस्थितियों के फलस्वरूप इस स्थिति में सुधार हुआ।

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