हिन्दू धर्म में पूर्णिमा को बहुत शुभ माना जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार पूर्णिमा के दिन ही माता लक्ष्मी समुन्द्र मंथन से बहार निकली थी। हिन्दू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिनों को 15-15 दिनों के 2 पक्षों में बांटा जाता है कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। कृष्ण पक्ष के आखिरी दिन को अमावस्या और शुक्ल पक्ष के आखिरी दिन को पूर्णिमा कहते है। अभी हिन्दू पंचांग का दूसरा महीना वैशाख चल रहा है और इस महीने पूर्णिमा 5 मई को है और इसी दिन बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवान बुद्ध का भी जन्मोत्सव है इसलिए इस पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा भी कहते है। बुद्ध पूर्णिमा को केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशो में भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। आज हम जानेगे Buddha Purnima 2023 : बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है और इसका महत्व और साथ ही जानेगे बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बाते। तो चलिए जानते है Buddha Purnima 2023
यह भी देखे :- Purnima 2023 Date: जनवरी से दिसंबर तक
Buddha Purnima 2023
बुद्ध पूर्णिमा साल में एक बार आती है और 2023 में बुद्ध पूर्णिमा 5 मई को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा की तिथि 4 मई रात 11:44 से शुरू होगी और 5 मई रात 11:30 पर समाप्त होगी। 130 सालो के बाद ऐसा संजोग बन रहा है जब चंद्र ग्रहण और बुद्ध पूर्णिमा एक ही दिन होंगे। बुद्ध पूर्णिमा बौद्ध लोगो के साथ साथ हिन्दू धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण होती है।
बुद्ध पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है
भगवान बुद्ध का जन्म वैशाख पूर्णिमा के दिन हुआ था और इसी दिन इनको अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इसी लिए वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को बौद्ध धर्म के संस्थापक भगवन गौतम बुद्ध के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान बुद्ध विष्णु भगवान के नौवे अवतार थे इसलिए ये दिन हिन्दू धर्म के लोगो के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। संजोगवश इस साल बुद्ध पूर्णिमा के दिन ही चंद्र ग्रहण भी पड़ रहा है, जिस कारण इसका महत्त्व अधिक बढ़ गया है।
इस साल भगवान बुद्ध की 2585वा जन्मोत्सव मनाया जायेगा। इस दिन विश्व के सभी बौद्ध मठो में भगवान बुद्ध के उपदेश सुने जाते है। उनके सभी अनुयायी शांतिपूर्वक बैठ कर उनकी शिक्षाओं को स्मरण करते है उनकी पूजा अर्चना करते है। बौद्ध भगवान हमेशा ही सबको अहिंसा और शांति के मार्ग पर चलने की शिक्षा देते थे।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्त्व
हिन्दू पंचांग के अनुसार साल का दूसरा महीना वैशाख होता है वैशाख की पूर्णिमा को भगवान विष्णु के 9वे अवतार गौतम बुद्ध के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा या बुद्ध जयंती भी कहते है। माना जाता है कि इस दिन बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे भगवान गौतम बुद्ध को अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। धरती को बचाने के लिए भगवान ने इस दिन कूर्म अवतार भी लिया था इसलिए इस दिन कूर्म जयंती भी मनाई जाती है। बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध की 3 अहम् चीजों से जुडी है पहला उनका जन्म, दूसरा उनको ज्ञान की प्राप्ति, तीसरा निर्वाण इन्ही तीन कारणों से इस तिथि को महत्वपूर्ण माना जाता है।
साल का पहला चंद्र ग्रहण
इस साल बुद्ध पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण भी होगा। चंद्र ग्रहण 5 मई को 8:45 से शुरू होगा और 01:00 बजे समाप्त होगा।
बुध पूर्णिमा की पूजा विधि
बिहार राज्य के गया में बुद्ध पूर्णिमा को बहुत धूम धाम से मनाते है। इस दिन बिहार के बोधगया में बोधि वृक्ष की पूजा की जाती है इसकी जड़ो में दूध और इत्र डाला जाता है, असल में बोधि वृक्ष पीपल के वृक्ष को ही कहते है। अन्य जगहों पर भी लोग पीपल के पेड़ की पूजा करते है और दीपक जलाते है। इस दिन सत्यनारायण की कथा करवाना बहुत शुभ माना जाता है। सत्यनारायण की कथा के बाद 5 ब्राह्मणो को मीठे तिल दान में देने से पापो का नाश होता है।
यदि इस दिन जल से भरा कलश और पकवानो का दान दिया जाता है तो गौ दान जितना पुण्य मिलता है। इस दिन सूर्योदय के बाद पूजा करने के बाद बौद्ध झंडा फेहराया जाता है जिसमे नीला, पीला, लाल, सफ़ेद, नारंगी रंग शामिल होता है। सफ़ेद रंग धर्म की शुद्धता का, लाल रंग आशीर्वाद का, नारंगी रंग बुद्धिमता का, पीला रंग कठिन परिस्थितियों से बचने का और नीला रंग सार्वभौमिक दया का प्रतीक होता है।
यह भी देखे :-इस्लाम धर्म का इतिहास और जानकारी
बुद्ध पूर्णिमा पर क्या किया जाता है ?
बुद्ध पूर्णिमा का दिन बौद्ध धर्म के अनुयायो की लिए एक बड़ा त्यौहार का दिन होता है। दुनिया भर के बौद्ध अनुयायी बिहार के बोधगया जाते है और इस दिन को धूम से मनाते है।
- शुभ मुहूर्त पर अच्छे से स्नान करे
- स्नान करने के बाद सूर्य को जल चढ़ाये
- पक्षियों को पिंजरे से मुक्त करे
- घरो में दीपक जलाये जाते है और फूलो से घर को सजाया जाता है
- भगवान की मूर्ति पर फल फूल चढ़ाये जाते है
- इस दिन दान का बहुत महत्त्व होता है।
- गरीबो को भोजन और वस्त्र दान करे।
- उगते हुए चन्द्रमा को जल अर्पित करे।
- बोधिवृक्ष की जड़ में दूध और इत्र चढ़ाए।
- मास का सेवन करने से बचना चाहिए
- बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया जाकर प्रार्थनाएं करते है।
- पीपल के वृक्ष पर दीपक जलाये।
- बौद्ध धर्म के धर्मग्रंथो का पाठ किया जाता है।
- बोधि वृक्ष की शाखाओ पर फूलो की माला एवं रंगीन पताकाये सजाई जाती है।
बुद्ध पूर्णिमा के दिन क्या दान करे
- जल से भरा कलश, पकवान, मिठाई दान करे
- ब्राह्मणो को मीठे तिल का दान करे।
- तिल और शक्कर का दान करे इनका दान करने से गलती से किये गए पापो की क्षमा मिल जाती है
- अन्न एवं वस्त्रो का दान करे इससे देवी देवताओ की कृपा बनी रहती है।
- इस दिन दूध और खीर का दान करने से चंद्रदोष की समाप्ति होती है।
- इस दिन जल का दान भी बहुत महत्वपूर्ण होता है, रास्ते में कही प्याऊ लगा कर राहगीरों की प्यास आवश्यक मिटाये।
Buddha Purnima 2023 के दिन शुभ मुहूर्त
- सत्यनारायण की कथा का शुभ मुहूर्त :- सुबह 07:18 से शुरू होगा और सुबह 08:58 तक रहेगा
- लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त :- 5 मई को रात 11:56 से शुरू होगा और 6 मई सुबह 06:59 पर खत्म होगा।
- स्नान का शुभ मुहूर्त :- सुबह 04:12 से शुरू होगा और सुबह 04:55 पर समाप्त होगा।
- कूर्म जयंती पूजन का शुभ मुहूर्त :- शाम को 04:18 से शुरू होगा और शाम 06:59 पर समाप्त होगा।
- चाँद को अर्घ्य देने का समय :- शाम 06:45 से शुरू होगा
भगवान बुद्ध कौन थे ?
भगवान बुद्ध भगवान विष्णु के नौवे अवतार थे। बुद्ध का पूरा नाम सिद्धार्थ गौतम बुद्ध था उनके पिता का नाम शुद्धोधन था और उनकी माता का नाम महामाया था। सिद्धार्त के जन्म के 7 दिन पश्चयात ही इनकी माताजी की मृत्यु हो गयी थी जिसके बाद इनकी मौसी गौतमी ने इनका पालन पोषण किया। इनका जन्म 563 ईसा पूर्व लाम्बिनी नेपाल के जंगलो में हुआ था, जब इनकी माता कपिलवस्तु से अपने पीहर देवदह जा रही थी तभी रास्ते में जंगल में शाक्य के राजकुमार सिद्धार्त का जन्म हुआ।
यह भी जाने भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठ
Buddha Purnima 2023 से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
भगवान बुद्ध के जन्मोत्सव के रूप में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार दूसरे महीने की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है।
Buddha Purnima 2023 में 5 मई को है।
गौतम बुद्ध को 80 वर्ष की उम्र में मोक्ष की प्राप्ति हुई