आधुनिक भारत के सन्दर्भ में भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है। प्रारम्भ में भारत में व्यापारी के रूप में आयी यूरोपीय कंपनियों द्वारा भारत में अपने उपनिवेश स्थापित किए गए एवं सम्पूर्ण भारतवर्ष को 200 वर्ष तक गुलामी के अँधेरे में धकेल दिया गया। यूरोपीय कंपनियों के अंतर्गत प्रारम्भ में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया द्वारा बंगाल में अपने उपनिवेश स्थापित किए गए एवं इसके पश्चात सम्पूर्ण भारतवर्ष में अपना साम्राज्य स्थापित किया गया। भारत के आधुनिक इतिहास में यूरोपीय कंपनियों द्वारा सांस्कृतिक, आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव डाला गया है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से आपको आधुनिक इतिहास के इतिहास (Modern Indian History) के अंतर्गत भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन (Bharat me European ka Aagman) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की जाएगी। आधुनिक भारत के इतिहास (History of Modern India) सेक्शन के अंतर्गत छात्रों को भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन सम्बंधित विभिन प्रश्न पूछे जाते है ऐसे में विभिन प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी यह आर्टिकल महत्वपूर्ण रहने वाला है।
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भारत में यूरोपीय व्यापारियों कंपनियों का आगमन
प्राचीन काल से ही भारत अपने समृद्ध व्यापार एवं सांस्कृतिक विरासत के लिए विश्व में प्रसिद्ध रहा है। भारत की आर्थिक समृद्धि के कारण ही इसे प्राचीन काल में “सोने की चिड़िया” के नाम से सम्बोधित किया जाता रहा है। भारत की आर्थिक समृद्धि के कारण विभिन समयकाल में दुनिया भर के व्यापारी इस देश की ओर आकर्षित हुए है। भारत की समृद्धि से आकर्षित होकर ही देश की व्यापारिक पृष्ठिभूमि पर 17वीं सदी के पूर्वार्द्ध में यूरोपीय व्यापारियों का आगमन हुआ। यूरोप में, भारत में निर्मित होने वाले कपास से बने वस्त्र एवं रेशमी कपड़ो की बहुतायत में मांग थी। इसके अतिरिक्त भारतीय मसालों की भी यूरोपीय बाजारों में भारी माँग थी। यही कारण रहा की यूरोपीय व्यापारी भारत के वृहद् एवं लाभदायक बाजार की ओर आकर्षित हुए। भारत में आने वाली सर्वप्रथम यूरोपीय शक्ति पुर्तगाली थे इसके पश्चात डच एवं अंग्रेजों ने देश में अपने उपनिवेश स्थापित किए। ब्रिटिशर्स द्वारा भारत के आधुनिक इतिहास में सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रभाव डाले गए लगभग 3 सदियों तक देश को आर्थिक, सामाजिक एवं मानसिक रूप से औपनिवेशिक गुलामी में जकड़ा रखा गया।
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आधुनिक भारत के इतिहास में यूरोपीय व्यापारियों कंपनियों का आगमन (Arrival of European Companies in India) देश के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है जिससे देश की आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक स्थिति पर वृहद् प्रभाव पड़ा है। यहाँ आप भारत आने वाली सभी यूरोपीय कंपनियों से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओ से परिचित होंगे।
पुर्तगालियों का आगमन (Arrival of Portuguese in India)
- पुर्तगाली भारत में आने वाली प्रथम यूरोपीय राजनैतिक शक्ति थे। 17 मई 1498 को केप ऑफ़ गुड होप से होकर पुर्तगाली व्यापारी वास्को-डी-गामा (Vasco-da-Gama) भारत के कालीकट तट पर उतरा था जहाँ कालीकट के राजा द्वारा वास्को-डी-गामा का स्वागत किया गया।
- पुर्तगालियों द्वारा भारत में सर्वप्रथम फैक्ट्री वर्ष 1503 में कोचीन में स्थापित की गयी थी। 1505 में फ्रांसिस्को दी अल्मेड़ा भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय बनकर आया।
- वर्ष 1509 में अल्फांसो द अल्बुकर्क द्वारा भारत में पुर्तगाली वायसराय का पद संभाला गया जिसके द्वारा वर्ष 1510 में बीजापुर के सुल्तान युसूफ आदिल शाह से गोवा को जीता गया।
- भारत में पुर्तगालियों द्वारा व्यापार हेतु कार्टेज व्यवस्था को अपनाया गया जिसके तहत समुद्री व्यापार हेतु व्यापारियों को पुर्तगाली कंपनी को शुल्क अदा करना पड़ता था। ब्लू वाटर पॉलिसी (Blue Water Policy) को पुर्तगाली कंपनियों द्वारा ही शुरू किया गया था।
- भारत में आलू, तम्बाकू, मक्का, मिर्च जैसी फसलों को भी पुर्तगालियों द्वारा लाया गया था। इसके अतिरिक्त प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत करने का श्रेय भी पुर्तगालियों को दिया जाता है।
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डचों का आगमन (Arrival of Dutch in India)
- भारत में पुर्तगालियों के पश्चात आने वाली दूसरी यूरोपीय शक्ति डच थे। वर्ष 1596 में प्रथम डच यात्री कार्नेलियन हॉउटमैन सुमात्रा द्वीप में आया था। डचों द्वारा वर्ष 1602 में डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की गयी।
- भारत में डचो द्वारा प्रथम फैक्ट्री वर्ष 1605 में मूसलीपत्तनम, वर्ष 1610 में कालीकट एवं सूरत में वर्ष 1616 में फैक्ट्री स्थापित की गयी थी। डच भारत में मुख्यत मसालों के व्यापार हेतु आये थे।
- व्यापारिक प्रतिद्वंदिता के कारण अंग्रेज एवं डच व्यापारियों के हित टकराते थे। अंग्रेजो द्वारा वेदरा के युद्ध (वर्ष 1759) के माध्यम से भारत में डचों को बुरी तरह पराजित किया गया।
भारत में अंग्रेजो का आगमन (Arrival of Britishers in India)
- ब्रिटिशर्स आधुनिक भारत के इतिहास पर प्रभाव डालने वाली सर्वाधिक महत्वपूर्ण यूरोपीय शक्ति थे। वर्ष 1600 ई. में इंग्लैंड की सम्राज्ञी रानी एलिजाबेथ के द्वारा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (The East India Company) को भारत में व्यापार करने का एकाधिकार प्रदान किया गया।
- प्रारम्भ में ब्रिटिशर्स व्यापारी के रूप में विशुद्ध व्यापार करने की दृष्टि से भारत में आये थे। भारत की आर्थिक एवं सामाजिक परिस्थितियों को देखकर उन्होंने इसका लाभ उठाया एवं भारत में विशाल साम्राज्य स्थापित किया। अंग्रेजो द्वारा भारत में प्रथम फैक्ट्री वर्ष 1611 में मूसलीपटट्नम एवं द्वितीय फैक्ट्री वर्ष 1613 में सूरत में स्थापित की गयी थी।
- अंग्रेजो द्वारा सर्वप्रथम बंगाल को अपनी राजनैतिक एवं आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बनाया गया था। वर्ष 1757 में पलासी के युद्ध में सिराजुदौला को पराजित करने के पश्चात अंग्रेजो ने भारत में अपनी राजनैतिक सत्ता स्थापित की। वर्ष 1764 में बक्सर के युद्ध के पश्चात ब्रिटिशर्स भारत में प्रमुख यूरोपीय शक्ति के रूप में स्थापित हो गए।
- अपने साम्राज्य विस्तार के लिए अंग्रेजो द्वारा विभिन प्रकार की कूटनीतियों का सहारा लिया गया जिसमे सहायक संधि (subsidiary alliance), व्यप्तगत संधि (The Doctrine of Lapse) एवं ब्रिटिश साम्राज्य की सर्वोच्चता का सिद्धांत प्रमुख थे।
- अंग्रेजो के विरुद्ध भारत में प्रथम व्यापक विद्रोह वर्ष 1857 में घटित हुआ था जिसे की 1857 की क्रांति (Indian Rebellion of 1857) के नाम से जाना जाता है। इस विद्रोह की शुरुआत उत्तर-प्रदेश के मेरठ जिले से हुयी थी जिसे भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भी कहा जाता है।
- वर्ष 1915 में दक्षिण अफ्रीका से महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) के आगमन के पश्चात भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को नवीन दिशा मिली एवं देश की आजादी का आंदोलन मुख्यत अहिंसक गतिविधियों के माध्यम से स्वतंत्रता प्राप्ति की ओर उन्मुख हो गया। इस अवधि में गाँधीजी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन (Non-cooperation movement), सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) एवं भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) जैसे महत्वपूर्ण आंदोलन संचालित किए गए।
- भारत की जनता के निरंतर संघर्ष एवं देश के महापुरुषों के संघर्ष की बदौलत 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजो के 200 वर्षो की गुलामी से स्वतंत्रता मिली। इस प्रकार 15 अगस्त 1947 को भारत एक स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित हुआ।
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फ्रांसीसियों का भारत में आगमन (Advent of the French in India)
- भारत में अन्य यूरोपीय कंपनियों के व्यापार के मद्धेनजर फ्रांस में वर्ष 1664 में फ्रेंच ईस्ट इंडिया कंपनी (French East India Company) की स्थापना की गयी थी।
- फ्रांसीसियों द्वारा भारत में सर्वप्रथम फैक्ट्री सूरत में वर्ष 1668 में स्थापित की गयी थी। इस फैक्ट्री की नींव फ्रैंक कैरों के द्वारा रखी गयी थी।
- वालिकोंडापुर के सूबेदार से अनुमति प्राप्त करके फ्रांसीसी कंपनी के निदेशक फ्रेंक्विस मार्टिन के द्वारा वर्ष 1674 में पांडुचेरी (आधुनिक पांडिचेरी) की स्थापना की गयी जो कालांतर में फ्रांसीसियों की प्रमुख बस्ती के रूप में स्थापित हुआ ।
- भारत में व्यापार एवं आधिपत्य को लेकर अंग्रेजो एवं फ्रांसीसियों के मध्य तीन प्रमुख युद्ध हुए जिनका विवरण निम्न प्रकार से है :-
- प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48)
- द्वितीय कर्नाटक युद्ध (1749-54)
- तृतीय कर्नाटक युद्ध (1756-63)
- अंग्रेजो एवं फ्रांसीसियों के मध्य वर्ष 1860 में वांडीवाश का युद्ध (Battle of Wandiwash) युद्ध हुआ था जिसमे फ्रांसीसियों की बुरी तरह से हार हुयी एवं भारत में फ्रांसीसियों का प्रमुख औपनिवेशिक शक्ति के रूप में स्थापित होने का सपना चूर-चूर हो गया।
भारत में स्वीडिश कंपनियों का आगमन (Arrival of Swedish in India)
- स्वीडिश ईस्ट इंडिया कंपनी (Swedish East India Company) की स्थापना वर्ष 1731 में की गयी थी। इस कंपनी का मुख्य उद्देश्य भारत एवं चीन के साथ व्यापार करना था।
- स्वीडिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में अन्य यूरोपीय कंपनियों की भाँति सफलता प्राप्त नहीं कर सकी चूँकि इसके द्वारा मुख्यत चीन के साथ चाय व्यापार पर अपना ध्यान केंद्रित किया गया था।
भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
भारत में आने वाली प्रथम यूरोपीय शक्ति पुर्तगाली थे।
वास्को-दी-गामा वर्ष 1498 में केप ऑफ़ गुड होप से होकर भारत पहुँचा था। वास्को-दी-गामा द्वारा सर्वप्रथम कालीकट की धरती पर कदम रखा गया था।
भारत आने वाली द्वितीय यूरोपीय शक्ति डच थे जिनके द्वारा वर्ष 1602 में डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की थी।
अंग्रेजो द्वारा वर्ष 1600 में ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वारा भारत से व्यापार का एकाधिकार प्राप्त किया गया था एवं ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (The East India Company) की स्थापना की गयी।
अंग्रेजो द्वारा भारत में प्रथम फैक्ट्री वर्ष 1611 में मूसलीपटट्नम एवं द्वितीय फैक्ट्री वर्ष 1613 में सूरत में स्थापित की गयी थी।
भारत में फ्रांसीसियों का आगमन वर्ष 1664 में हुआ था।
भारत में प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत करने का श्रेय पुर्तगालियों को दिया जाता है।
यूरोपीय कंपनियों का भारत आगमन का मुख्य उद्देश्य भारत से व्यापार करके धन की प्राप्ति करना था। भारत के रेशमी वस्त्रो एवं मसालों की यूरोपीय बाजारों में अत्यधिक मांग थी।