भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य | Powers of the President of India

भारत की संसदीय व्यवस्था में राष्ट्रपति का पद अत्यंत महत्वपूर्ण है। देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है। भारत का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होने के साथ-साथ देश का संवैधानिक प्रमुख भी होता है जिसके अनुमोदन के पश्चात ही देश में कोई कानून प्रवर्तन में आ पाता है। देश की संसदीय व्यवस्था का प्रमुख होने के साथ-साथ भारतीय संविधान द्वारा देश के राष्ट्रपति को विभिन प्रकार की शक्तियाँ भी प्रदान की गयी है जिससे लोकतांत्रिक व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित किया जा सके। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य (Powers of the President of India) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान करने वाले है। भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में जानकारी प्राप्त करने के अतिरिक्त इस आर्टिकल के माध्यम से आप इस विषय से सम्बंधित अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओ से भी अवगत हो सकेंगे।

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भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य
President powers and work

भारत के राष्ट्रपति की शक्तियाँ एवं कार्य, राजनीति विज्ञान के अंतर्गत महत्वपूर्ण टॉपिक है जिसके अंतर्गत प्रतियोगी परीक्षाओ में विभिन सवाल पूछे जाते है ऐसे में यह आर्टिकल प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी उपयोगी रहेगा।

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भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य

भारत की लोकतान्त्रिक व्यवस्था में राष्ट्रपति भारतीय संसद का अभिन्न अंग होता है। भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन देश की जनता के द्वारा ही अप्रत्यक्ष चुनाव के माध्यम (यहाँ पढ़े-राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया) से किया जाता है। भारत का राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक एवं संवैधानिक प्रमुख होता है जिसके अनुमोदन के पश्चात ही कोई विधि प्रवर्तन में आ पाती है। हालांकि यह याद रखना आवश्यक है की भारत में लोकतंत्र की संसदीय प्रणाली को अपनाया गया है जिसमे देश का प्रधानमंत्री देश की कार्यपालिका का वास्तविक प्रमुख होता है। राष्ट्रपति को संविधान द्वारा विभिन प्रकार की शक्तियाँ प्रदान की गयी है जिनका प्रयोग वह अपने अधीनस्थों के माध्यम से ही करता है। संविधान द्वारा भारत के राष्ट्रपति को प्रदत विभिन प्रकार की शक्तियाँ एवं कार्य निम्न प्रकार से है :-

विधायी शक्तियाँ (Legislative Powers)

  • संविधान के अनुच्छेद-79 के अनुसार राष्ट्रपति को भारत की संसद का भिन्न अंग माना गया है। इस प्रकार भारत की संसद निम्न 3 अंगो से मिलकर बनी है -लोकसभा, राज्यसभा एवं राष्ट्रपति। इस संविधान द्वारा भारत के राष्ट्रपति को विधायी शक्तियाँ प्रदान की गयी है।
  • राष्ट्रपति द्वारा संसद सत्र आहूत करना, सत्रावसान करना एवं दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाने की शक्ति प्राप्त है।
  • राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमन्त्री की सलाह पर कैबिनेट को भंग कर सकता है।
  • राज्यसभा में साहित्य, कला, विज्ञान, अर्थशास्त्र एवं समाजसेवा से जुड़े 12 व्यक्तियों को नामित करने का अधिकार भी राष्ट्रपति को प्रदान किया गया है।

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कार्यकारी शक्तियाँ (Executives Powers)

  • भारत की शासन व्यवस्था में की गयी समस्त कार्यवाहियाँ राष्ट्रपति के नाम से ही की जाती है।
  • राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमन्त्री की नियुक्ति (सामान्यत लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता) की जाती है एवं प्रधानमंत्री की सलाह पर अन्य मंत्रियों की नियुक्ति की जाती है।
  • राष्ट्रपति द्वारा भारत के प्रधानमन्त्री से प्रशासनिक व्यवस्था से सम्बंधित सूचनाओं की माँग की जा सकती है।
  • राष्ट्रपति द्वारा किसी क्षेत्र को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया जा सकता है एवं इसके प्रशासन हेतु समुचित व्यवस्थाएँ की जा सकती है।

कूटनीतिक शक्तियाँ (Diplomatic powers)

  • भारत के राष्ट्रपति के नाम से ही अंतर्राष्ट्रीय संधि एवं समझौतों (International treaties and agreements) को पूर्ण किया जाता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय मंचो एवं सम्मेलनों में भारत का राष्ट्रपति ही देश का प्रतिनिधित्व (chiefly ceremonial) करता है। (मुख्यत-प्रधानमंत्री)
  • विदेशों में भारत के राजदूतों की नियुक्ति एवं भारत में विदेशी राजदूतों की नियुक्ति से सम्बंधित प्रस्तावों का अनुमोदन भी भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

वित्तीय शक्तियाँ (Financial Powers)

  • राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक पाँच वर्षो में वित आयोग (Finance Commission) का गठन किया जाता है एवं इसके अध्यक्ष की नियुक्ति की जाती है।
  • प्रत्येक वर्ष राष्ट्रपति द्वारा ही वित मंत्री के माध्यम से बजट (वार्षिक वित्तीय विवरण) संसद के समक्ष रखवाया जाता है।
  • राष्ट्रपति की पूर्वानुमति से ही किसी धन विधेयक को संसद में पेश किया जा सकता है।
  • भारत के राष्ट्रपति को ही देश की संचित निधि से अग्रिम भुगतान हेतु अधिकार प्रदान किए गए है।
  • राष्ट्रपति की अनुमोदन के पश्चात ही संसद में अनुदान या वित्तीय सम्बंधित माँग को रखा जाता है।

सैन्य शक्तियाँ (Military Power)

भारत का राष्ट्रपति ही देश की तीनों सेनाओं- थल सेना, जल-सेना एवं वायु सेना का सर्वोच्च कमांडर (Supreme Commander of the Indian Armed Forces) होता है। राष्ट्रपति के द्वारा ही युद्ध एवं शाँति की घोषणा की जाती है। साथ ही भारतीय सेना के तीनों अंगो के प्रमुखों की नियुक्ति भी भारत के राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है।

न्यायिक शक्तियाँ (Judicial Power)

  • भारत के राष्ट्रपति द्वारा ही भारत के मुख्य न्यायाधीश एवं सुप्रीम कोर्ट के अन्य न्यायाधीशो की नियुक्ति की जाती है।
  • संविधान के अनुच्छेद-143 के तहत भारत का राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय से जनहित से सम्बंधित मामलो पर सलाह माँग सकता है हालांकि वह यह सलाह मानने के लिए बाध्य नहीं है।
  • उच्च-न्यायालयों (High-court) के मुख्य न्यायाधीशो एवं अन्य न्यायाधीशो की नियुक्ति का अधिकार भी राष्ट्रपति को प्रदान किया गया है।

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आपातकालीन शक्तियाँ (Emergency Power)

भारतीय संविधान द्वारा देश में वित्तीय आपात, बाह्य आक्रमण एवं संवैधानिक तंत्र के विफल होने पर राष्ट्रपति को 3 प्रकार की आपातकालीन शक्तियाँ प्रदान की गयी है। यहाँ आपको राष्ट्रपति की सभी आपातकालीन शक्तियाँ (Emergency Power) सम्बंधित जानकारी प्रदान की गयी है।

  • राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) (अनुच्छेद 352)- देश की सुरक्षा को खतरा होने, बाह्य आक्रमण, युद्ध एवं सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल को घोषणा की जाती है।
  • राष्ट्रपति शासन (National Emergency) (अनुच्छेद 356  एवं 365)- जब राष्ट्रपति को यह विश्वास हो जाए की किसी राज्य में संविधानिक तंत्र विफल हो गया है तो राज्यपाल के अनुमोदन पर राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रपति शासन (National Emergency) की घोषणा की जाती है।
  • वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) (अनुच्छेद 360)- देश की वित्तीय स्थिति को खतरा होने की स्थिति में राष्ट्रपति द्वारा वित्तीय आपातकाल की घोषणा की जाती है।

क्षमादान शक्तियाँ (Pardon powers)

राष्ट्रपति को विभिन प्रकार की क्षमादान शक्तियाँ प्रदान की गयी है जिसके अंतर्गत वह किसी भी अभियुक्त की सजा का परिहार, प्रतिलंबन, लघुकरण, विराम एवं क्षमादान कर सकता है। यहाँ आपको सम्बंधित विवरण दिया गया है :-

  • क्षमादान इसके तहत अपराधी को सभी सजाओं और दंडों तथा निरर्हताओं से पूर्ण रूप से मुक्त कर दिया जाता है।
  • प्रतिलंबन- इसके तहत अपराधी की सजा में अस्थायी निलंबन किया जाता है जिससे दोषी आवश्यक कार्यवाही हेतु अपील कर सके जैसे क्षमादान हेतु।
  • लघुकरण- इसके तहत अपराधी की सजा की प्रकृति में बदलाव किया जाता है एवं इसे लघु किया जाता है जैसे कठोर कारावास को साधारण कारावास
  • विराम– विशेष परिस्थितियों जैसे गर्भवती महिला एवं शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति की स्थिति के आधार पर सजा में कमी।
  • परिहार- इसके तहत दंड की प्रकृति में बदलाव बिना इसे कम कर दिया जाता है जैसे 2 साल के कठोर कारावास को एक साल के कठोर कारावास में परिवर्तित कर देना

राष्ट्रपति की वीटो पॉवर एवं शक्तियाँ (Veto Power of President of India)

भारतीय संविधान द्वारा राष्ट्रपति को 3 प्रकार की वीटो पॉवर एवं शक्तियाँ प्रदान की गयी है जिससे की राष्ट्रपति किसी भी विधेयक को अनुमोदन के सम्बन्ध में इनका प्रयोग कर सकता है। यहाँ आपको राष्ट्रपति की वीटो पॉवर एवं शक्तियाँ सम्बंधित जानकारियाँ प्रदान की गयी है :-

आत्यायिक वीटो (Absolute Power)

आत्यायिक वीटो के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा किसी विधेयक पर अपना निर्णय सुरक्षित रखा जाता है एवं इस प्रकार से वह विधेयक अधिनियम नहीं बन पाता।

पॉकेट वीटो (Pocket Veto)

पॉकेट वीटो के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा संसद द्वारा पारित किसी विधेयक का ना तो अनुमोदन किया जाता है एवं ना ही इसे अस्वीकार किया जाता है। साथ ही राष्ट्रपति द्वारा इस विधेयक को अपने पास अनिश्चित काल के लिए सुरक्षित रखा जाता है जो की राष्ट्रपति की पॉकेट वीटो शक्ति के अंतर्गत आता है।

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निलंबनकारी वीटो (Suspension Veto)

संसद द्वारा पारित किसी विधेयक को पुनर्विचार हेतु संसद को लौटाना ही राष्ट्रपति के निलंबनकारी वीटो शक्ति के अंतर्गत आता है।

राष्ट्रपति के अध्यादेश सम्बन्धी अधिकार (President Ordinance Power)

भारतीय संविधान द्वारा राष्ट्रपति को अनुच्छेद-123 के तहत अध्यादेश सम्बन्धी (Ordinance Power) अधिकार प्रदान किए गए है। इसके तहत राष्ट्रपति द्वारा संसद के सत्र ना होने पर अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की गयी है जिसे संसद द्वारा पारित विधेयक के समान शक्ति प्राप्त होती है। अध्यादेश से सम्बंधित महत्वपूर्ण प्रावधान निम्न है :-

  • संसद सत्र के दौरान राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति नहीं होती है।
  • संसद सत्र शुरू होने पर संसद द्वारा 6 सप्ताह के भीतर अध्यादेश को पारित करना आवश्यक है तभी यह कानून बन पाता है अन्यथा यह समाप्त हो जाता है।
  • राष्ट्रपति को सिर्फ उन्ही विषयों पर अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की गयी है जिन पर संसदीय विधियों द्वारा कानून का निर्माण किया जाता है।

इस प्रकार सम्बंधित आर्टिकल के माध्यम से आपको भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य (Powers of the President of India) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है।

भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

भारत की संसद के कितने अंग है ?

भारत की संसद तीन अंगो से मिलकर बनी है जिनका विवरण निम्न प्रकार से है :-
लोकसभा
राज्यसभा
राष्ट्रपति

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव किस प्रकार किया जाता है ?

भारत के राष्ट्रपति का चुनाव भारत की जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रीति द्वारा किया जाता है। राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में निम्न सदस्य शामिल होते है :-
संसद के दोनों सदनों (लोकसभा एवं राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य
देश के सभी राज्यों के विधान सभा के निर्वाचित सदस्य
दिल्ली और पुडुचेरी केंद्रशासित प्रदेशों के विधान सभा के निर्वाचित सदस्य

भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य सम्बंधित जानकारियाँ प्रदान करें ?

भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां व कार्य सम्बंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल चेक करें। यहाँ आपको Powers of the President of India सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान की गयी है।

भारत की सैन्य शक्तियों का सर्वोच्च कमांडर किसे माना गया है ?

भारत के राष्ट्रपति भारत की सैन्य शक्तियों का सर्वोच्च कमांडर होता है।

राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति किस अनुच्छेद के तहत प्रदान की गयी है ?

राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति अनुच्छेद-123 के तहत प्रदान की गयी है।

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