बकरीद की कहानी का महत्व इतिहास निबंध | Bakrid Festival Mahtva, History, Shayari In Hindi

आप सभी यह तो जानते होंगे की बकरीद इस्लाम धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। इस्लाम धर्म में इस त्यौहार को जश्न की तरह मनाया जाता है। जैसा की आप सभी जानते है की बकरीद के दिन क़ुर्बानी दी जाती है। इस दिन इस्लाम धर्म ने बकरे की कुर्बानी दी जाती है और उसके बाद उस बकरे के घोष को आपस में बांटा जाता है। इस्लाम धर्म के अनुसार यह पर्व क़ुर्बानी व बलिदान का सन्देश देता है। इस दिन मस्जिदों में नमाज अदा करने के पश्चात बकरे की क़ुर्बानी दी जाती है। आप सभी को यह भी बतादे की बकरीद को ईद-उल-जुहा (Eid al-Adha) के नाम से भी जाना जाता है। तो दोस्तों लेकिन क्या आप सभी यह जानते है की बकरीद क्यों मनाई जाती है। अगर आप भी इसके बारे में नहीं जानते है। तो आपको बतादे की आज हम आपको इस लेख में बकरीद की कहानी का महत्व इतिहास निबंध के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है।

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बकरीद की कहानी का महत्व इतिहास निबंध |
बकरीद की कहानी का महत्व इतिहास निबंध

तो दोस्तों अगर आप भी बकरीद की कहानी का महत्व इतिहास निबंध के बारे में जानना चाहते है। तो उसके लिए आप सभी को हमारे इस लेख को अंत तक पढ़ना होगा। क्योंकि इस लेख में हमने बकरीद के बारे में बहुत सी जानकारी प्रदान की हुई है। जिसको पढ़ने से ही आप इसके बारे में जान सकोगे। इसलिए दोस्तों अगर आप भी इसके बारे में जानना चाहते है तो कृपया करके हमारे इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़े व इससे सम्बंधित कई अन्य जानकारी प्राप्त करें।

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Bakrid Festival 2023 कब मनाई जायेगी ?

दोस्तों जैसा की आप सभी जानते है की बकरीद हर वर्ष मनाई जाती है। उसी प्रकार से Bakrid 2023, 28 जून की शाम से लेकर 29 जून की शाम तक मनाई जायेगी। आप सभी को यह भी बतादे की हर वर्ष Bakrid Festival रमज़ान के दो माह के बाद मनाई जाती है। बकरीद को बड़ी ईद एवं ईद-उल-जुहा (Id-ul-Zuha) के नाम से भी जाना जाता है। इस त्यौहार को आप इस्लाम धर्म का प्रमुख त्यौहार भी कह सकते हो। बकरीद के दिन काफी अधिक संख्या में इस्लाम धर्म के लोग मस्जिदों में एकत्रित होते है और नमाज पढ़ते है और नमाज अदा करने के बाद इस्लाम धर्म के लोग बकरा, भैंस, ऊंट,भेद आदि की कुर्बानी देते है।

इस त्यौहार को सभी इस्लाम धर्म के लोग बड़े ही धूम धाम के साथ जश्न की तरह मनाते है। इस त्यौहार के समय बाज़ारो की रौनक बढ़ जाती है। इन दिनों लोग बकरा, सेवइयां, कपडे, जूते, आदि जैसी चीजों की खरीदारी करते है। उसके साथ साथ इस दिन यह क़ुरबानी भी देते है क्योंकि इस दिन क़ुर्बानी देना शबाब का काम माना जाता है। इस त्यौहार को हज यात्रा की समाप्ति पर मनाया जाता है। माना यह भी जाता है की हर इस्लामिक व्यक्ति को जीवन में एक बार हज यात्रा तो करनी ही पड़ती है। इस दिन क़ुर्बानी देने का एक मुख्य कारण भी है वो यह है की इस दिन इस्लाम लोगो को अपनी प्रिय चीज अल्लाह के क़ुर्बान करनी होती है इसलिए ही इस दिन क़ुर्बानी दी जाती है।

बकरीद (ईद-उल-जुहा) का महत्व

बकरीद का दिन फर्ज-ए-कुर्बान के दिन माना जाता है। जैसा की हमने आप सभी को यह बताया की इस दिन बहुत से जानवरों की क़ुर्बानी दी जाती है। इस्लाम धर्म में इस दिन जिस भी जानवर की क़ुर्बानी दी जाती है। क़ुर्बानी देने से पहले उस जानवर की काफी समय से देख रेख करनी पढ़ती है। उसके बाद जब वह बड़ा हो जाता है तो उसकी क़ुर्बानी दी जाती है और उसके बाद क़ुर्बान किये हुए जानवर का मांस का एक तिहाई हिस्सा खुद रखा जाता है और एक तिहाई हिस्सा अपने जानने वालो में बांटा जाता है और एक तिहाई हिस्सा गरीबों को दिया जाता है।

लेकिन दोस्तों क्या आप सभी यह जानते है की आखिर इस दिन की शुरुआत कब से हुई थी। अगर आप भी इसके बारे में नहीं जानते है। तो आपको चिंता करने की अवस्य्क्ता नहीं है। इस लेख में हमने इसके बारे में जानकारी प्रदान की हुई है। जिसको पड़ने से ही आप इसके बारे में जान सकोगे। इसलिए लेख को अंत तक पढ़े।

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बकरीद (Id-ul-Zuha) का इतिहास

अब हम आप सभी को यहाँ पर बकरीद का इतिहास बताने वाले है। इसके पीछे एक कहानी भी है। जिसके बारे में हम आप सभी को यहाँ पर बताने वाले है। जो की काफी खतरनाक है। यह कहानी हजरत इब्राहिम की है। जिनको अल्लाह का पैगंबर माना जाता है। एक बार अल्लाह ने उनका इम्तिहान लिया था। उसी के बारे में हम आप सभी को बताने वाले है। तो आइये जानते है

एक समय की बात है जब अल्लाह ने हज़रात इब्राहिम का इम्तिहान लेने के लिए उनके एक हुक्म दिया की वह तब ही उनसे खुश होंगे जब वह अपनी सबसे करीबी चीज को अल्लाह को क़ुर्बान करेंगे। उसके बाद हज़रात इब्राहिम ने इस बारे में विचार किया और निर्णय लिया की उन्हें अपनी किस करीबी चीज की क़ुरबानी देनी है। लेकिन उसके बाद सभी यह सोचने लगे की आखिर इब्राहिम की वह कौनसी करीबी चीज है जिसकी क़ुर्बानी इब्राहिम अल्लाह को देने वाले है। उसके बाद सभी को यह पता चल गया की हज़रात इब्राहिम की सबसे प्रिय चीज जिसको वह क़ुर्बान करने वाले है वह कोई और नहीं बल्कि उनका बेटा है।

इस बारे में जानने के बाद सभी लोग चौक गए। जब क़ुर्बानी का समय नजदीक आने लगा। तब इब्राहिम ने अपने बेटे को क़ुर्बानी के लिए तैयार किया। उसके बाद उन्होंने अपनी आँखों पर एक पट्टी बाँध ली क्योंकि अपने खुद के बेटे की क़ुर्बानी देना आसान बात नहीं थी। उसके बाद जब उन्होंने अपने बेटे की क़ुर्बानी दी उसके बाद उनकी आँखों से पट्टी हटाई गयी तो उन्होंने यह देखा की उनको बेटा सुरक्षित है। क्योंकि अल्लाह ने उनके बेटे के बदले इब्राहिम के बकरे की बलि मंजूर की , अल्लाह ने इब्राहिम के जज्बे को देखकर उनके बेटे की जान बक्श दी थी। इसलिए उन्होंने उनके बेटे के बदले उनके बकरे की क़ुरबानी कबूल की थी। इसी दिन के पश्चात से ईद-उल-जुहा मनाया जाता है।

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बकरीद की कहानी का महत्व इतिहास निबंध से सम्बंधित कुछ प्रश्न व उनके उत्तर

Bakrid Festival 2023 कब मनाई जायेगी ?

दोस्तों जैसा की आप सभी जानते है की बकरीद हर वर्ष मनाई जाती है। उसी प्रकार से Bakrid 2023, 28 जून की शाम से लेकर 29 जून की शाम तक मनाई जायेगी।

बकरीद के दिन क्या किया जाता है ?

बकरीद के दिन काफी अधिक संख्या में इस्लाम धर्म के लोग मस्जिदों में एकत्रित होते है और नमाज पढ़ते है और नमाज अदा करने के बाद इस्लाम धर्म के लोग बकरा, भैंस, ऊंट,भेद आदि की कुर्बानी देते है। इस त्यौहार को सभी इस्लाम धर्म के लोग बड़े ही धूम धाम के साथ जश्न की तरह मनाते है। इस त्यौहार के समय बाज़ारो की रौनक बढ़ जाती है। इन दिनों लोग बकरा, सेवइयां, कपडे, जूते, आदि जैसी चीजों की खरीदारी करते है।

बकरीद को किन अन्य नामो से जाना जाता है ?

बकरीद को कई अन्य नामो से जाना जाता है जैसे की – ईद-उल-जुहा (Eid al-Adha), बड़ी ईद

बकरीद का दिन कौन सा दिन होता है ?

फर्ज-ए-कुर्बान का दिन होता है।

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