बैसाखी कब है 2023, बैसाखी त्यौहार का इतिहास और महत्त्व जानिए | Baisakhi or Vaisakhi Festival History in Hindi

बैशाख के माह में जब खेतों में मंद-मंद बयार के झोंकों से लहरहाती सुनहरी फसलें किसानों के मन में उमंग और जोश भर देती है तो समूचा वातावरण नए साल का स्वागत करता सा प्रतीत होता है। किसानों की वर्ष भर की मेहनत जब फसलों के रूप में खेतों में लहराने लगती है तो अपनी उमंग को प्रकट करने के लिए किसान ख़ुशी से नृत्य एवं गायन करने लगते है। ऐसे में बैसाखी पर्व के माध्यम से किसान अपनी ख़ुशी का इजहार करते है। बैशाख माह में मनाया जाने वाला बैसाखी त्यौहार भारत का प्रमुख त्यौहार है जो की मुख्यत कृषि से जुड़ा हुआ है। इस त्यौहार के मौके पर पंजाब के गाँव-गाँव में किसानों को गिद्दा और भाँगड़ा करते और ख़ुशी के गीत गाते सुना जा सकता है। भारत के विभिन भागो में भी बैसाखी त्यौहार को विभिन रूपों में मनाया जाता है जो की पौराणिक एवं धार्मिक महत्व से भी जुड़ा हुआ है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बैसाखी कब है 2023, बैसाखी त्यौहार का इतिहास और महत्त्व (Baisakhi or Vaisakhi Festival History in Hindi) सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है।

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बैसाखी कब है 2023
बैशाखी कब है ?

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कृषकों की उमंग का त्यौहार है बैशाखी

भारतवर्ष को त्योहारों का देश कहा जाता है। देश में विभिन धर्म से जुड़े लोग रहते है ऐसे में भारत की धरती वर्ष भर विभिन प्रकार के त्योहारों से गुलजार रहती है। बैशाखी या जिसे वैशाखी (Baisakhi or Vaisakhi) भी कहा जाता है सिख धर्म से जुड़े लोगों का प्रमुख त्यौहार है जो की पंजाब एवं हरियाणा राज्य में सिख समुदाय से जुड़े लोगों द्वारा प्रमुख रूप से मनाया जाता है। बैशाखी मुख्यत कृषि से जुड़ा हुआ उत्सव है जिसे कृषकों द्वारा फसलों के काटने के उपलक्ष में मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह त्यौहार कृषको का भगवान के प्रति अच्छी फसल के लिए कृतज्ञता व्यक्त करने का तरीका भी होता है। रबी की फसल काटने के उपलक्ष में मनाया जाने वाला बैशाखी उत्सव बसंत ऋतु के आगमन के रूप में भी मनाया जाता है जो की वातावरण में खुशियों की उमंग घोल देता है। इस अवसर पर गाँवो में कृषको को गिद्दा और भांगड़ा करते हुए खुशी से नाचते-गाते हुए देखा जा सकता है।

सिख धर्म के अतिरिक्त बैशाखी के त्यौहार का हिन्दू धर्म में भी अत्यंत महत्व है जिसे की भारत के विभिन भागो में विभिन नामो से मनाया जाता रहा है। इस पर्व को असम में बिहू, केरल में पूरम विशु तथा बंगाल में नबा वर्ष के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व के दिवस पर सूर्यदेव मेष राशि में प्रवेश करते हैं ऐसे में इस त्यौहार के अवसर पर गंगा स्नान का अत्यंत महत्व है।

बैशाखी या वैशाखी (Baisakhi or Vaisakhi) से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु

यहाँ आपको बैशाखी या वैशाखी (Baisakhi or Vaisakhi) से जुड़े महत्वपूर्ण बिन्दुओ के बारे में जानकारी प्रदान की गयी है :-

पर्व का नाम बैशाखी या वैशाखी (Baisakhi or Vaisakhi)
कब मनाया जाता है बैशाख माह की प्रथम गते
सम्बंधित है कृषि
मुख्यत मनाया जाता है सिख धर्म के अनुयायियों द्वारा
मुख्य क्षेत्र पंजाब एवं हरियाणा
उद्देश्य फसलों हेतु भगवान के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना
वर्ष 2023 में त्यौहार का दिवस 14 अप्रैल 2023
अन्य नाम असम में बिहू, केरल में पूरम विशु तथा बंगाल में नबा वर्ष
Baisakhi or Vaisakhi Festival Key Highlights

बैशाखी या वैशाखी पर्व कब मनाया जाता है (Baisakhi Festival 2023 Date)

बैशाखी या वैशाखी का त्यौहार बैशाख महीने की प्रथम तारीख या गते को मनाया जाता है जो की सामान्यता 13 या 14 अप्रैल को पड़ता है। वर्ष 2023 में बैशाखी पर्व शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023 (Friday, April 14, 2023) को मनाया जायेगा। बैशाखी पर्व रबी की फसल पकने का काल होता है एवं इस दिवस से फसलों की कटाई शुरू की जाती है। पंजाब में बैशाखी के त्यौहार को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है।

क्या है बैशाखी पर्व से जुड़ा इतिहास

बैशाखी पर्व की कथा सिखों की बहादुरी एवं गौरवपूर्ण इतिहास से जुड़ी हुयी है। 17वीं शताब्दी में मुग़ल साम्राज्य सम्पूर्ण भारतवर्ष में फैसला हुआ था। मुगलों द्वारा अपने साम्राज्य विस्तार में भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में स्थित सिखों से कड़ी चुनौती मिल रही थी। मुग़ल बादशाह औरंगजेब जो की अपनी कट्टरता एवं आततायी कार्यों के लिए इतिहास में मशहूर है, द्वारा सिखों के 9वें गुरु, गुरु तेगबहादुर को इस्लाम धर्म को स्वीकार करने या अपना जीवन दाँव पर लगाने का विकल्प दिया गया था। गुरु तेगबहादुर द्वारा इस्लाम को स्वीकार नहीं करने के कारण औरंगजेब द्वारा वर्तमान शीशगंज में गुरु तेगबहादुर का शीश कटवा दिया गया था। इसके पश्चात मुगलों के प्रति सशक्त प्रतिरोध एवं सिख धर्म की रक्षा हेतु गुरु गोविन्द सिंह द्वारा वर्ष 1699 में बैशाखी के दिन ही खालसा पंथ की शुरुआत की गयी थी। गुरु द्वारा सभी सिखों को ऊंच-नीच का भाव भुलाकर खालसा अर्थात खालिस या शुद्ध मनुष्य के रूप में जीने का निर्देश दिया गया था। साथ ही इस अवसर पर गुरु द्वारा पंज प्यारों की नियुक्ति भी की गयी थी। आपको बता दे की पंज प्यारे उन व्यक्तियों को कहा गया था जो गुरु के निर्देश पर अपनी बलि देने के लिए तैयार हो गए थे। इस अवसर पर गुरु द्वारा सभी सिखों को पंच ककार (केश, कड़ा, कच्छा, कृपाण और कंघा) धारण करने एवं अपने नाम के अंत में सिंह नाम धारण करने का आदेश दिया गया था। बैशाखी पर्व सिख धर्म के पुनरुत्थान के रूप में भी मनाया जाता है।

बैशाखी पर्व से जुड़ी दूसरी कथा महाभारत काल से सम्बंधित मानी जाती है जहाँ अज्ञातवास के दौरान पाण्डवों द्वारा कटासराज जलाशय का जल पीने पर चारों भाई पांडवो को मृत्यु हो गयी थी परन्तु युधिष्ठिर द्वारा यक्ष के सभी प्रश्नो का संतोषपूर्वक जवाब दिए जाने पर यक्ष द्वारा उन्हें पुनः जीवित किया गया। ऐसे में बैशाखी पर्व महाभारत काल से सम्बंधित किया जाता है। वैशाखी पर्व के माध्यम से कृषको द्वारा भगवान को अच्छी फसल के लिए धन्यवाद का भाव प्रकट किया जाता है।

बैशाखी पर्व का महत्व (Baisakhi or Vaisakhi Importance)

  • बैशाखी पर्व रबी की फसल पकने के उपलक्ष में कृषको द्वारा मनाया जाने वाला त्यौहार है जिसके माध्यम से कृषक अच्छी फसल के लिए रब को धन्यवाद अर्पित करते है।
  • हिन्दू धर्म में इस दिवस के मौके पर सूर्य मीन राशि से मेष राशि में संक्रमण करते है ऐसे में इस त्यौहार को मेष संक्रांति के रूप में भी मनाया जाता है।
  • पंजाब में इस त्यौहार को नववर्ष के रूप में मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त बंगाल में भी इसे नए वर्ष के रूप में मनाया जाता है जिसे नबा वर्ष कहा जाता है। असम में बैशाखी बिहू एवं केरल में पूरम विशु के रूप में प्रचलित है।
  • हिन्दू मान्यताओं के अनुसार बैशाखी के दिन ही गंगा, धरती पर अवतरित हुयी थी ऐसे में इस पर्व के अवसर पर गंगा नदी में स्नान करने को अत्यंत पुण्यदायक बताया गया है।
  • बैशाखी पर्व पर रबी की फसलों गेहूं, तिलहन, तिल,एवं गन्ने जैसी फसलों की कटाई शुरू कर दी जाती है।

कैसे मनाया जाता है बैशाखी या वैशाखी का त्यौहार

बैशाखी या वैशाखी का त्यौहार सिखों का सबसे पवित्र त्यौहार है जिसके अवसर पर सभी लोगो द्वारा अपने घरो की साफ़-सफाई करके इसे अच्छे से सजाया जाता है। साथ ही इस दिवस के अवसर पर गुरुद्वारों में विशेष अरदास का अत्यंत महत्व है। बैशाखी पर्व के अवसर पर सभी लोग एक-दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ देते है एवं वैमनस्य को भुलाकर एक-दूसरे से प्रेमपूर्वक गले लगते है। इस अवसर पर गिद्दा और भाँगड़ा करके किसानों द्वारा अपनी खुशी का इजहार किया जाता है। बैशाखी पर्व के अवसर पर गुरु गोबिंद सिंह के आदर्शों एवं पंज प्यारों की वीरता को याद किया जाता है एवं हरमिंदर साहिब में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते है। साथ ही विभिन लंगर एवं पकवानों के माध्यम से भी इस दिवस को यादगार बनाया जाता है।

बैसाखी कब है 2023 से सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

बैशाखी या वैशाखी का त्यौहार कब मनाया जाता है ?

बैशाखी या वैशाखी का त्यौहार प्रतिवर्ष बैशाख माह की प्रथम गते या प्रथम तारीख को मनाया जाता है जो अप्रैल माह में 13 या 14 अप्रैल को आता है।

बैसाखी कब है 2023

वर्ष 2023 में बैशाखी पर्व शुक्रवार, 14 अप्रैल 2023 (Friday, April 14, 2023) को मनाया जायेगा।

बैशाखी का त्यौहार मुख्यत किस धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाता है ?

बैशाखी का त्यौहार मुख्यत सिख धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। यह त्यौहार मुख्यत पंजाब और हरियाणा राज्यों में मनाया जाता है।

हिन्दू धर्म में बैशाखी पर्व का क्या महत्व है ?

बैशाखी पर्व के अवसर पर सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करते है ऐसे में यह त्यौहार मेष संक्रांति के रूप में भी पूजनीय है। साथ ही इस दिवस के अवसर पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है।

सिखों के लिए बैशाखी पर्व क्यों महत्वपूर्ण है ?

बैशाखी पर्व के अवसर पर ही वर्ष 1699 में गुरु गोविन्द सिंह द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गयी थी ऐसे में यह त्यौहार सिख धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है।

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