सैनिक किसी भी देश की सबसे अमूल्य धरोहर होते है जो की अपनी जान की परवाह किए बिना दिन-रात देश की सुरक्षा एवं अखंडता की खातिर सीमाओं पर तैनात रहते है। सर्दी हो या गर्मी, भूख-प्यास सहते हुए हमारे सैनिक देश को बाह्य दुश्मनों से बचाकर देश के करोड़ो देशवासियों की रक्षा करते है। देश की खातिर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले सैनिको के प्रति सम्मान एवं आदर प्रकट करने के लिए प्रतिवर्ष सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है। देश के सैनिको के बलिदान एवं त्याग की वीर गाथा के रूप में अपना सम्मान प्रकट करने के लिए प्रतिवर्ष Armed Forces Flag Day का आयोजन किया जाता है। आज के इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताने वाले है की सशस्त्र सेना झंडा दिवस क्या है? (Armed Forces Flag Day 2022).
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साथ ही इस आर्टिकल के माध्यम से आपको सशस्त्र सेना झंडा दिवस को मनाने की वजह एवं इसके इतिहास के बारे में भी सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी।
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Armed Forces Flag Day 2022
सशस्त्र सेना झंडा दिवस का आयोजन देश के सैनिको के सम्मान एवं कल्याण के लिए अपनी कृतज्ञता को प्रकट करने का दिवस है। सशस्त्र सेना झंडा दिवस का आयोजन प्रतिवर्ष भारतीय सशस्त्र सेना बलों में सेवारत एवं सेवामुक्त कर्मचारियों के सम्मान एवं उनके प्रति हमारी प्रतिबद्धता को प्रकट करने के लिए किया जाता है। इस दिन सशस्त्र बलों की तीन शाखाओं-भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के कर्मियों के कल्याण के लिए भारत की जनता से फण्ड इकठ्ठा किया जाता है जिसका उपयोग भारतीय सैनिकों के परिवार के कल्याण एवं आर्थिक सहायता के लिए किया जाता है।
Armed Forces Flag Day के मौके पर सभी शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है एवं देश के हित में अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीरों की स्मृति में सम्मान समारोह के माध्यम से प्रतिबद्धता प्रदर्शित की जाती है।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस कब मनाया जाता है ?
सशस्त्र सेना झंडा दिवस को प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिवस के अवसर पर भारतीय सशस्त्र बलों के परिवारों के कल्याण एवं घायल तथा दिव्यांग सैनिको के पुनर्वास हेतु जनता से फण्ड एकत्रित किया जाता है। देश के वीर सैनिकों के प्रति अपना आदर व्यक्त करने के लिए इस दिन जनता द्वारा अपनी प्रतिबद्धता दोहराई जाती है।
कैसे मनाया जाता है सशस्त्र सेना झंडा दिवस
सशस्त्र सेना झंडा दिवस के मौके पर देश में सेवारत एवं सेवामुक्त सैनिकों के सम्मान में विभिन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर जनता को सशस्त्र सेना के छोटे-छोटे झंडो का वितरण किया जाता है जिस पर तीन रंग (लाल, गहरा नीला और हल्का नीला) होते है। सशस्त्र सेना के झंडे पर बने तीनों रंग भारत की तीनों सशस्त्र सेनाओं को प्रदर्शित करता है जिनमे से भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना को शामिल किया गया है।
इस दिवस पर सशस्त्र सेना झंडों को जनता के मध्य वितरित किया जाता है एवं जनता द्वारा सैनिकों के परिवारों के कल्याण हेतु फंड दिया जाता है जिसके माध्यम से युद्ध में घायल या अपने प्राण गवाँने वाले सैनिको के परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा सके। साथ ही देश के वीर सैनिकों की शहादत को याद करने एवं देश के लिए अपने जीवन को न्यौछावर करने वाले सैनिकों के सम्मान हेतु इस दिन विभिन प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस का इतिहास
देश के सैनिकों द्वारा देश की रक्षा एवं अखंडता को बरक़रार रखने के लिए अपने जीवन को देश को समर्पित किया जाता है। देश के वीर सैनिको द्वारा देश के लिए दिए गए अमूल्य सेवा के जीवन एवं देश के शहीद एवं दिव्यांग सैनिकों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का आयोजन वर्ष 1949 से किया जा रहा है। 28 अगस्त, 1949 को तत्कालीन रक्षा मंत्री बलदेव सिंह की अधीन गठित कमेटी की अनुशंसा के आधार पर प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को सशस्त्र सेना झंडा दिवस का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य भारत के सैनिको के परिवारों के कल्याण हेतु देश के आम नागरिकों की सहभागिता को सुनिश्चित करना है।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस का उद्देश्य
सशस्त्र सेना झंडा दिवस को भारत के सैनिकों के सम्मान में आयोजित किया जाता है। इस दिवस के अवसर पर भारत के वीर सैनिको के सम्मान में जनता को सशस्त्र सेना के छोटे-छोटे झंडे एवं स्टीकर वितरित किए जाते है एवं जनता द्वारा सैनिक कल्याण हेतु इस अवसर पर फंड जमा किया जाता है। सशस्त्र सेना झंडा दिवस पर एकत्रित धन का उपयोग मुख्यत निम्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
- युद्ध के दौरान देश को हुयी जनहानि हेतु
- देश की सशस्त्र सेनाओं में कार्यरत सैन्यकर्मियों एवं सैन्यकर्मियों के परिवार के कल्याण हेतु
- देश की सशस्त्र सेनाओं से सेनानिवृत्त, शहीद एवं घायल हुए सैनिकों एवं सैन्यकर्मियों के परिवार के कल्याण हेतु
‘भारतीय सशस्त्र सेना झंडा दिवस’ का महत्व
भारतीय सशस्त्र सेना झंडा दिवस का उद्देश्य भारत के सैनिको के प्रति सम्मान प्रकट करना एवं सैनिको के परिवार के कल्याण हेतु आर्थिक फंड जमा करना है। इस दिवस के माध्यम से भारतीय सशस्त्र सेना के तीनों अंगो में कार्यरत सैनिको एवं सेवामुक्त सैनिको के कल्याण, युद्ध में शहीद सैनिको के परिवारों एवं घायल सैनिकों के पुनर्वास, शहीद सैनिको की विधवाओं तथा अनाथ बच्चों तथा सैनिकों के परिवार के कल्याण के लिए धन इकठ्ठा करना है। साथ ही देश के सैनिको के प्रति आदर एवं प्रतिबद्धता प्रकट करने के लिए भी यह दिवस महत्वपूर्ण है।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस सम्बंधित प्रश्नोत्तर (FAQ)
सशस्त्र सेना झंडा दिवस को प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को मनाया जाता है।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस उद्देश्य भारतीय सशस्त्र बलों में कार्यरत सैनिको के सम्मान हेतु प्रतिबद्धता प्रकट करना है। साथ ही इस अवसर पर सशस्त्र बलों के सैन्यकर्मियों के परिवार के कल्याण हेतु फण्ड भी इकठ्ठा किया जाता है।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस को सर्वप्रथम वर्ष 1949 में मनाया गया था। इसे 28 अगस्त,1949 को तत्कालीन रक्षा मंत्री बलदेव सिंह की अधीन गठित कमेटी की अनुशंसा के आधार पर प्रतिवर्ष 7 दिसंबर को मनाया जाता है।
सशस्त्र सेना झंडा दिवस के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। यहाँ आपको इस सम्बन्ध में सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की गयी है।