अफीम की खेती कैसे होती है | Opium Farming in Hindi | अफीम की खेती का लाइसेंस | कमाई

अफीम की खेती(Opium Farming) दुनिया के प्रायः सभी भागों में की जाती है और प्रायः इसकी खेती फायदे का सौदा होती है। हालांकि अधिकत्तर लोग अफीम को नशे से जोड़ते है जिससे की अधिकतर लोगो को अफीम की खेती करना अवैध लगता है परन्तु चिकित्सा विज्ञान में इसके अनेक उपयोग है। सरकार द्वारा चिकित्सा क्षेत्र में उपयोग हेतु अफीम की खेती को वैध घोषित किया गया है हालांकि इसके लिए आपको सरकार से लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है। इस आर्टिकल के माध्यम से आपको अफीम की खेती करने सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण बिन्दुओ की जानकारी दी गयी है जैसे अफीम की खेती कैसे करें (Opium Farming in Hindi) अफीम की खेती का लाइसेंस कैसे प्राप्त करें और अफीम खेती से कितनी कमाई कर सकते है। तो चलिए शुरू करते है।

अफीम की खेती कैसे होती है |
Opium Farming in Hindi | अफीम की खेती का लाइसेंस | कमाई

अफीम की खेती (Opium Farming) सम्बंधित जानकारी

प्रायः अफीम की खेती दुनिया के सभी भागो में की जाती है। दुनिया के अधिकांश भागो में इसका उपयोग नशे और अन्य गैरक़ानूनी गतिविधियों के लिए किया जाता है ऐसे में अधिकांश लोग इसकी खेती को भी अवैध मानते है। हालांकि अफीम में मार्फिन, कोडेन लेटेक्स एवं पनैनथ्रिन जैसे शक्तिशाली एल्कालोड्स पाए जाते है जिससे की यह चिकित्सा विज्ञान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अकसर मानसिक अवसाद की दवाओं और सर्जरी के लिए एनेस्थिया जैसी प्रक्रियाओं में रोगी के लिए इस पदार्थ से बनी दवाओं का उपयोग किया जाता है ऐसे में पूरी दुनिया में अफीम की जबरदस्त मांग है।

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अगर आप भी सरकार द्वारा निर्धारित नियमो का पालन करके और लाइसेंस प्राप्त करके Afeem Farming करते है तो यह आपके लिए फायदे का सौदा हो सकता है। अफीम खेती के माध्यम से आप हर वर्ष लाखो रुपए की कमाई कर सकते है।

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अफीम क्या है ? what is Opium Farming

अफीम एक मादक गुणों से भरपूर पौधा है जिसका उपयोग चिकित्सा विज्ञान में बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसमें पाए जाने वाले नशीले पदार्थो के कारण विभिन दवाओं और औषधियों में इस पदार्थ का अत्यधिक प्रयोग किया जाता है साथ ही रोग-उपचार के क्षेत्रों में इसके अलग-अलग उपयोग है।

दुनिया के अधिकतर देशो में इसका उपयोग नशीले पदार्थो, हीरोइन और अन्य नशों के लिए उपयोग किया जाता है जिससे की इसकी खेती आकर्षक नहीं मानी जाती।

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हालांकि हमारे देश में सरकार द्वारा वैध Afeem Farming के लिए हर वर्ष लाइसेंस प्रदान किये जाते है जिसके माध्यम से आप भी हर वर्ष अच्छी कमाई कर सकते है। अफीम की लागत की तुलना में इसके प्रति किलोग्राम की कीमत 8 से 10 हजार रुपए है।

अफीम का पौधा कैसा होता है ?

अफीम का पौधा 1 मीटर की ऊंचाई का होता है जिसमे आयताकार पते और हरे तने के साथ खूबसूरत बैंगनी या रक्तवर्ण एवं सफ़ेद रंग के कटोरीनुमा फूल खिलते है।

अफीम के फूल झड़ने के बाद ही अफीम के फल आते है जो की अनार के आकार का होता है। इसके फल को आम बोलचाल में डोडा और इसके छिलके को पोश्त कहा जाता है।

अफीम का फल स्वयं फट जाता है जिसके बाद इसके भीतर से सफ़ेद रंग के छोटे और गोल आकार के बीज निकलते है। बेहद कड़वे स्वाद वाली अफीम के पौधे का आतंरिक भाग गहरा बादामी और बाहरी भाग काला एवं भूरा होता है। अफीम को विभिन भाषाओं में अलग-अलग नाम से जाना जाता है।

अफीम की खेती के लिए अनिवार्य जलवायु

Afeem Farming के लिए समशीतोष्ण जलवायु अनुकूल होती है ऐसे में ठंडी जलवायु वाले प्रदेशो में अफीम की बेहतर फसल पैदा होती है। यही कारण है की अफगानिस्तान में दुनिया की 85 फीसदी अफीम पैदा की जाती है।

Afeem Farming के लिए खाद और वर्मी कम्पोस्ट पर्याप्त मात्रा में डालना आवश्यक है जिससे की पौधों को पर्याप्त पोषण मिले। 7 pH मान वाली मिट्टी जो ना अधिक अम्लीय हो और ना अधिक क्षारीय अफीम को खेती के लिए उपयुक्त होती है साथ ही 20 डिग्री से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान में अफीम के पौधे बेहतर तरीके से वृद्धि करते है।

जिससे की यह तापमान Afeem Farming के अनुकूल है। इसके अतिरिक्त अच्छी फसल के लिए सही किस्म के बीजो का चुनाव भी जरुरी है जिसमे जवाहर अफीम-539, अफीम-16 और जवाहर अफीम-540 का नाम प्रमुख रूप से आता है। साथ ही जरूरत के अनुसार पौधों की वृद्धि और सिंचाई हेतु अन्य बातो का भी ध्यान रखे।

अफीम की खेती का लाइसेंस

सरकार द्वारा पिछले वर्ष अक्टूबर माह में 1 अक्टूबर 2021 से इस वर्ष के 30 सितंबर 2022 तक के लिए अफीम खेती हेतु लाइसेंस जारी किया जाने की प्रक्रिया शुरू की गयी है। अफीम खेती के लिए लाइसेंस पाने के लिए निम्न किसान पात्र है।

  • अफीम की खेती के लाइसेंस हेतु सरकार द्वारा पहले से अफीम की खेती कर रहे किसानो को प्राथमिकता दी जाएगी जिसमे की अपनी जमीन के 50 फीसदी भूमि पर खेती वाले किसान प्राथमिक रूप से शामिल होंगे।
  • वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर औसत वार्षिक उपज वाले किसानो को अफीम की खेती के लिए नवीन लाइसेंस दिया जायेगा।
  • जिन भी किसानो का वर्ष 2020-21 में लाइसेंस ना मिलने सम्बंधित अपील का निपटारा अंतिम तिथि तक हो चुका है ऐसे किसान भी अफीम की खेती के लिए लाइसेंस के पात्र है।
  • नेशनल नारकोटिक्स ब्यूरो के मानकों के अनुसार वर्ष 2017-18 में निर्धारित भाग के आधे और 2018 से 2021 के मध्य सम्पूर्ण निर्धारित भाग पर अफीम की खेती करने वाले किसान लाइसेंस के पात्र है।
  • दिव्यांग कृषको द्वारा नामित कृषक जिन्हे वर्ष 2020-21 के लिए कॉलम 11 में नामित किया गया है Afeem Farming के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के पात्र है।

अफीम की खेती (Opium Farming) ऐसे करें

अफीम की खेती करने के लिए सबसे पहले किसानो को लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक होगा जो की केंद्र सरकार के नार्कोटिक्स विभाग द्वारा प्रदान किया जायेगा। अक्टूबर माह से नवंबर माह में अफीम की बीजों की बुवाई की जाती है।

इसके लिए सबसे पहले खेती की अच्छे से गहरी जुताई कर दे और इसके बाद पानी लगाकर इसे पर्याप्त नमी प्राप्त करने दें। इसके बाद रोटावेटर की सहायता से खेत की अच्छी तरह जुताई कर दे और इसके बाद मिट्टी के भुरभुरा होने पर इसे समतल कर दे। इसके बाद बीज डालकर इसे पर्याप्त खाद दे। कुछ दिनों के बाद आप पौधे के अंकुर देख सकते है।

हालांकि इसके लिए आपको नियमित अंतराल पर सिंचाई करनी आवश्यक है। ड्रिप इरीगेशन के माध्यम से सिंचाई करके और पर्याप्त खाद और पोषक तत्त्व के माध्यम से आप बेहतर फसल प्राप्त कर सकते है।

इसके पश्चात 95 दिन से 115 दिन के अंतराल पर अफीम की फसल तैयार हो जाती है जिसमे डोडो पर चीरा लगाकर सफ़ेद रंग का द्रव प्राप्त किया जाता है। इसके फल से प्राप्त बीजो को सुखाकर नार्कोटिक्स विभाग द्वारा क्रय किया जाता है।

Opium Farming में कमाई

अफीम की खेती में लागत बहुत कम आती है वही यह बहुत अधिक मुनाफा देने वाली खेती है। एक हेक्टयर में किसान को आमतौर पर 7 से 8 किलोग्राम बीजो की आवश्यकता होता है जिसका बाजार मूल्य 150 से 200 रुपए प्रति किलोग्राम होता है।

वही एक हेक्टयर से किसान को लगभग 55 से 60 किलोग्राम लेक्टस प्राप्त होता है जो की डोडो से प्राप्त तरल पदार्थ है। सरकार द्वारा वर्तमान समय में लेक्टस को 1800 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से ख़रीदा जाता है ऐसे में किसान एक हेक्टेयर से ही आसानी से 50 हजार से एक लाख रुपए तक कमा सकते है।

जो की फसल की गुणवत्ता पर भी निर्भर करता है। साथ ही इसके पौधे से प्राप्त अन्य भाग जैसे बीजो को भी रसोई में मसालों के रूप में उपयोग किया जाता है ऐसे में किसान इसके माध्यम से अतिरिक्त कमाई कर सकते है।

इन बातो का रखे ध्यान

हालांकि अफीम की खेती फायदेमंद साबित हो सकती है परन्तु इसकी खेती से पूर्व आपको सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक होगा। अगर आप बिना लाइसेंस के अफीम खेती करते है तो आपके खिलाफ क़ानूनी कार्यवाही की जा सकती है।

इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा निर्धारित किये गए क्षेत्रफल पर ही अफीम की खेती करे अन्यथा आपकी फसल को जब्त किया जा सकता है।

साथ ही किसानो को अफीम की फसल के उत्पादन के पश्चात नार्कोटिक्स विभाग के माध्यम से ही विक्रय करना चाहिए अन्यथा फसल की कालबाजारी से ना सिर्फ आपका लाइसेंस छीना जा सकता है अपितु इसके दुरपयोग की आशंका भी बढ़ जाती है।

अफीम की खेती से सम्बंधित अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

अफीम क्या होता है ?

अफीम एक मादक पदार्थ होता है जिसका उपयोग चिकित्सा विज्ञान और रोगोपचार के अतिरिक्त अन्य सम्बंधित क्षेत्रों में किया जाता है।

क्या अफीम की खेती करना वैधानिक है ?

हाँ। सरकार द्वारा निर्धारित नियमो और लाइसेंस प्राप्त किसान अफीम की खेती कर सकते है। हालांकि गैर-लाइसेंस धारी किसानो द्वारा अफीम की खेती अवैध है। साथ ही सरकार द्वारा निर्धारित क्षेत्रफल पर ही खेती करना आवश्यक है।

अफीम की खेती कैसे करें ?

अफीम की खेती करने के लिए ऊपर दिया गया आर्टिकल पढ़े। इसमें आपको अफीम की खेती करने सम्बंधित सभी बिन्दुओ की जानकारी प्रदान की गयी है।

अफीम की खेती करने के लिए लाइसेंस हेतु कौन एलिजिबल है ?

अफीम की खेती के लिए लाइसेंस के लिए पात्रताओं को सूची आपको ऊपर दिया गए लेख के माध्यम से प्रदान की गयी है। इसके माध्यम से आप लाइसेंस प्राप्त करने हेतु पात्रता सूची देख सकते है।

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