Normalization क्या है? नॉर्मलाइजेशन कैसे होता है और यह क्यों जरूरी है?

Know Normalization In Detail: क्या आप में से किसी न किसी व्यक्ति ने कभी न कभी Normalization शब्द सुना होगा। यह ऐसी प्रक्रिया हैं जिसको सरकारी परीक्षाओं के दौरान लागू करते हैं। आज के समय में बहुत सी परीक्षाओं में इसको लागू किया जाने लगा हैं।1 अगर आप इसके बारे में नहीं जानते तो आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं हैं क्योंकि आज हम आपको इस लेख के माध्यम से Normalization की बहुत सी आवश्यक जानकारी प्रदान करने वाले हैं जैसे – Normalization क्या है?

नॉर्मलाइजेशन कैसे होता है और नॉर्मलाइजेशन आवश्यक क्यों हैं? यदि आप सरकारी नौकरी पाना चाहते हैं। इसके लिए उन्हें कई परीक्षाएं देनी पड़ती है। SSC Exam इनमें से मुख्य परीक्षा है अगर आप SSC Exam की परीक्षा देना चाहते हैं या SSC Exam की तैयारी कैसे करनी है इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए।

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Normalization

इस प्रकार की जानकारी आज हम आपको इस लेख में प्रदान करेंगे तो अगर आप भी इस प्रकार की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको इस लेख को अंत तक ध्यान से पढ़ना होगा।

नॉर्मलाइजेशन क्या है?

normalization

Normalization, यह एक ऐसी प्रक्रिया हैं जो कि हिसाब करने में मदद आती है। Normalization तब काम आता है जब बहुत सी परीक्षाएं अलग-अलग पारी में करवाई जाती है तब नॉर्मलाइजेशन को लागू किया जाता हैं। जैसे – इसका उदाहरण यह है कि मानिये कोई विद्यार्थी किसी भी परीक्षा को 10 अगस्त के दिन किसी भी विषय से दे रहा है और कोई दूसरा विद्यार्थी उस परीक्षा को बाद में दे रहा हो।

तो उन दोनों परीक्षाओं की डिफीकल्टी लेवल एक दूसरे से भिन्न होगा तो उन सभी को एक सामान करने के लिए नॉर्मलाइजेशन का उपयोग करके किसी परीक्षा को 70 अंक का और किसी परीक्षा को 80 अंक का कर दिया जाता हैं और विद्यार्थियों को उसी के मुताबिक अंक भी बढाकर दिए जाते हैं।

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नॉर्मलाइजेशन बहुत से फैक्टर्स पर निर्भर करता है जैसे –

  • यूनिवर्सिटी में सीटों की संख्या
  • स्टूडेंट की कैटेगरी
  • प्रश्न पत्र का डिफिकल्टी लेवल
  • एग्जाम में स्टूडेंट की परफॉर्मेंस
  • एग्जाम में स्टूडेंट्स की संख्या

यह भी पढ़ें :- एसएससी एग्जाम (SSC Exam) की तैयारी कैसे करें

नॉर्मलाइजेशन की आवश्यक क्यों है?

Exam

नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया इसलिए आवश्यक है क्योंकि जब बहुत से विद्यार्थी भिन्न विषय की परीक्षा अलग-अलग दिन या फिर अलग-अलग पारी में दे रहे हो तो ऐसे में यह भी मुमकिन है कि किसी विद्यार्थी की परीक्षा में कठिन सवाल पूछे गए हो। और यह भी हो सकता है कि किसी विद्यार्थी की परीक्षा में सरल सवाल पूछे गए हो तो इन सभी एक सामान करने के लिए ही नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को लागू किया जाता है ताकि सभी विद्यार्थी एक सामान हो सकें और उन सभी सही से यानी के उनके परीक्षा के प्रदर्शन के मुताबिक़ ही उनको अंक प्राप्त हो सकें।

नॉर्मलाइजेशन कैसे होता हैं?

तो अगर आप भी यह जानना चाहते हैं की नॉर्मलाइजेशन कैसे होता है तो उसके लिए हमने यहाँ पर उदाहरण देकर समझाया है।2 तो कृपया करके इस लेख और इस उदाहरण को ध्यानपूर्वक पढ़े एवं इसको समझने की कोशिश करें-

क्रम संख्याउम्मीदवार –1उम्मीदवार-2उम्मीदवार-3उम्मीदवार-4उम्मीदवार-5
पारी -16050456555
पारी -210080709085
पारी -39095607580

नॉर्मलाइजेशन के उदाहरण

इस उदाहरण में हमने यहाँ पर कुछ अंक दिए हैं-

  • पहली पाली यानी की Shift में उम्मीदवारों को 60,50,45,65,55 अंक प्राप्त हुए हैं।
  • दूसरी पारी (Shift) में उम्मीदवारों को 100,80,70,90,85 अंक प्राप्त हुए हैं।
  • तीसरी पारी (Shift) में उम्मीदवारों को 90,95,60,75,80 अंक प्राप्त हुए हैं।

इन अंक की मदद से हम आपको यहाँ पर नॉर्मलाइजेशन कर के दिखाएंगे।

यहाँ पर हमने उम्मीदवारों के अंक और उनकी पाली के अनुसार लिख दिए हैं तो यहाँ पर पहली पाली के उम्मीदवारों के अंकों 60,50,45,65,55 का Mean निकालेंगे जो की 55 आएगा। उसके बाद हमको दूसरी पाली के उम्मीदवारों के अंकों को लेना होगा और फिर उनका mean निकालना होगा 100,80,70,90,85 का mean 85 आएगा।

उसके बाद हमको पहली पाली के mean और दूसरी पाली के mean के बीच में अंतर निकलना होगा जो की 30 है। अब हम को पहली पाली के उम्मीदवारों के अंकों में 30 को जोड़ देना होगा (60+30=90), (50+30=80), (45+30=75), (65+30=95) और (55+30=85)। उसके बाद हमको दूसरी पाली और तीसरी पाली के उम्मीदवारों के अंकों को बीच में नॉर्मलाइजेशन करना होगा। इनके बीच में नॉर्मलाइजेशन करने के लिए हमको इन दोनों पाली का भी mean निकलना होगा।

दूसरी पाली का mean हम पहली ही निकाल चुके हैं जो कि 85 हैं और तीसरी पाली के अंकों का mean 80 आएगा अब हमको इन दोनों के बीच का अंतर निकलना होगा जो कि 5 आएगा। फिर हमको तीसरी पाली के उम्मीदवारों के अंकों में जोड़ देना होगा। (90+5=95), (95+5=100), (60+5=65), (75+20=95) और (80+20=100)।

इसी प्रकार से ही नॉर्मलाइजेशन किया जाता है यहाँ पर हमने आपको नॉर्मलाइजेशन करके दिखा दिया है। इस तरीके से आप भी बड़े ही आसानी से नॉर्मलाइजेशन कर सकते हैं और यह तरीका इसको सीखने का सबसे सरल तरीका हैं। अगर आप भी 12वीं कक्षा के बाद मेडिकल क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करना चाहते है तो उसके लिए पैरामेडिकल भी एक बहुत ही बेहतर विकल्प है।

Normalisation के संबंध में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

Normalisation का हिंदी में क्या अर्थ है?

Normalization – यह एक ऐसी प्रक्रिया हैं जो की हिसाब करने में मदद आती है। Normalization तब काम आता है जब बहुत सी परीक्षाएं अलग-अलग पारी में करवाई जाती है।

Normalization आवश्यक क्यों हैं?

नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया इसलिए आवश्यक है क्योंकि जब बहुत से विद्यार्थी भिन्न विषय की परीक्षा अलग-अलग दिन या फिर अलग-अलग पारी में दे रहे हो तो ऐसे में यह भी मुमकिन है कि किसी विद्यार्थी की परीक्षा में कठिन सवाल पूछे गए हो। और यह भी हो सकता है कि किसी विद्यार्थी की परीक्षा में सरल सवाल पूछे गए हो तो इन सभी एक सामान करने के लिए ही नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया को लागू किया जाता है।

Normalization का अविष्कार किसने किया था ?

Normalization का अविष्कार Carl R. May ने किया था।

क्या CTET की परीक्षा में भी Normalization लागू किया जाता हैं ?

जी हाँ , CTET की परीक्षा में भी Normalization लागू किया जाता हैं।

इस लेख के संदर्भ:

  1. https://www.pw.live/exams/ssc/ssc-cgl-normalisation/ ↩︎
  2. https://www.toprankers.com/how-does-normalisation-affect-my-cuet-score ↩︎

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